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अवैध कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं को तरसे लोग

करीब 1.80 लाख आबादी वाले जींद शहर में 60 हजार लोग अवैध कॉलोनियों में रह रहे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 20 Apr 2019 09:30 AM (IST)Updated: Sat, 20 Apr 2019 09:30 AM (IST)
अवैध कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं को तरसे लोग
अवैध कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाओं को तरसे लोग

जागरण संवाददाता, जींद : शहर में अवैध कॉलोनियों में रह रहे लोग मूलभूत सुविधाओं की कमी से जूझ रहे हैं। करीब 1.80 लाख आबादी वाले जींद शहर में 60 हजार लोग अवैध कॉलोनियों में रह रहे हैं। इनमें सात कॉलोनियों को सरकार ने पिछले साल मंजूर किया था, लेकिन अभी तक इनमें गलियां कच्ची पड़ी हैं और पेयजल लाइन भी नहीं डाली गई हैं। जिससे लोगों को काफी परेशानी हो रही है।

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गोहाना रोड स्थित न्यू इंप्लाइज कॉलोनी में दो हजार के लगभग लोग रहते हैं। ये कॉलोनी पिछले मंजूर हुई थी, लेकिन अभी तक यहां कोई विकास कार्य नहीं हुआ है। गली निर्माण के लिए बजट मंजूर हुआ था। जिसके बाद नगर परिषद ने निर्माण के लिए गलियों को उखाड़ दिया, लेकिन उसके बाद काम बंद है। गली उखाड़ने की वजह से पहले जो कच्चा रास्ता था, स्थिति उससे भी खराब हो गई है। यहां सीवर लाइन तो डाली गई हैं, लेकिन बगैर पेयजल लाइन नहीं डाली गई है। पीने व घरेलू प्रयोग के लिए लोगों ने अपने घरों में हैंडपंप व सबमर्सिबल लगाए हुए हैं। भूमिगत पानी का टीडीएस दो हजार तक है। जिसके चलते मजबूरीवश आरओ सिस्टम लगवाने पड़ रहे हैं।

इसी तरह बात की जाए, वार्ड तीन की बात की जाए, तो यहां भी हरिजन बस्ती, चंद्रलोक कॉलोनी का आधा हिस्सा, दीनदयाल कॉलोनी, कुछ हिस्सा शिवपुरी और कुछ हिस्सा रामबीर कॉलोनी का अवैध कॉलोनी में आता है। जहां गलियां, सीवर व पेयजल की कोई व्यवस्था नहीं है। साल 2013-14 में विधानसभा चुनाव से पहले तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने 60 कॉलोनियों को वैध घोषित किया था। वार्ड तीन के पार्षद रणधीर राणा ने कहा कि नेताओं को चुनाव के समय ही अवैध कॉलोनियों में रहने वाले लोग नजर आते हैं, क्योंकि इनके वोट जो चाहिएं।

50 प्रतिशत से ज्यादा होने चाहिएं मकान

नगर परिषद अधिकारियों के अनुसार जो कॉलोनी नियम पूरे करती हैं, उनके प्रस्ताव मंजूरी के लिए सरकार के पास भेजे जाते हैं। नियमानुसार उस कॉलोनी में 50 प्रतिशत से ज्यादा मकान बने होने चाहिएं। जिन कॉलोनियों को मंजूरी मिलती है, उनको नगर परिषद विकसित करती है।

नहीं मिली कोई सुविधा

न्यू इंप्लाइज कॉलोनी निवासी चेतराम ने बताया कि पिछले 15 सालों से वह यहां रह रहा है। गलियां कच्ची पड़ी हैं। सीवर लाइन तो डाली गई हैं, लेकिन बगैर पेयजल लाइन के उसका फायदा भी क्या है। पीने के पानी के लिए सबमर्सिबल व हैंडपंप लगाए हुए हैं। जिनका पानी पीने लायक नहीं है।

आनन-फानन में उखाड़ी गली

न्यू इंप्लाइज कॉलोनी निवासी रामधारी ने बताया कि पिछले साल इस कॉलोनी को सरकार ने वैध घोषित कर दिया है। बजट लैप्स ना हो जाए, इसके चक्कर में गलियों को उखाड़ दिया। लेकिन उसके बाद कोई सुध नहीं ली। जिससे वाहन आने-जाने का रास्ता नहीं बचा। नगर परिषद जल्द काम शुरू कराए।


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