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घंटों लाइन में खड़ा रहने के बाद भी मरीजों को नहीं मिल रहा उपचार

जिला मुख्यालय पर स्थित नागरिक अस्पताल के नए व पुराने भवन में मरीजों की लाइनें तो लंबी लगी रहती हैं लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण लोग ठीक ढंग से इलाज नहीं करा पाते। अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले लोग इस उम्मीद के साथ ओपीडी समय से करीब दो घंटे पहले पहुंचते है कि जल्द नंबर आ जाएगा

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Jul 2019 09:00 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jul 2019 09:00 AM (IST)
घंटों लाइन में खड़ा रहने के बाद भी मरीजों को नहीं मिल रहा उपचार
घंटों लाइन में खड़ा रहने के बाद भी मरीजों को नहीं मिल रहा उपचार

जागरण संवाददाता, जींद : जिला मुख्यालय पर स्थित नागरिक अस्पताल के नए व पुराने भवन में मरीजों की लाइनें तो लंबी लगी रहती हैं, लेकिन डॉक्टरों की कमी के कारण लोग ठीक ढंग से इलाज नहीं करा पाते। अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले लोग इस उम्मीद के साथ ओपीडी समय से करीब दो घंटे पहले पहुंचते है कि जल्द नंबर आ जाएगा, लेकिन कहीं ओपीडी में चिकित्सक, जहां चिकित्सक मिलते हैं वहां पहले ही लंबी-लंबी कतार में लगी रहती है, इस कारण रोजाना लोग बीमारी को साथ लिए कभी घर तो कभी अस्पताल के चक्कर लगाने पर मजबूर हैं। सोमवार को तो अस्पताल में मरीजों की लाइन इतनी लंबी थी कि वह नए भवन के मुख्य गेट से बाहर तक मरीजों की लंबी लाइन लगी थी। डिप्टी एमएस डॉ. राजेश भोला ने कहा कि मौजूदा डाक्टरों के सहारे ही व्यवस्था बनाई जा रही है। मरीजों को ज्यादा परेशानी न हो अस्पताल प्रशासन का यही प्रयास रहता है।

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जांच से लेकर इलाज तक बीत जाता है दिन

अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को एक तरह से जंग लड़नी पड़ती है। अव्यवस्था के चलते मरीज लाइन में धक्का-मुक्की का शिकार होने पर मजबूर हैं। ओपीडी की पर्ची बनवाने के लिए दो से अढ़ाई घंटे लाइन में खड़ा रहना पड़ता है। इसके बाद लिए मरीजों को डेढ़ से दो घंटे का इंतजार करना पड़ता है, फिर भी मुश्किल से नंबर आ पाता है। पहले रजिस्ट्रेशन, फिर इलाज, टेस्ट व दवाई लेने तक पूरा दिन लाइनों में ही बीत जाता है। सोमवार को लंबी लाइन में घंटों बिताने के लिए अंदर गए तो पता चला कि उनके इलाज के लिए दो से तीन डाक्टर ही ओपीडी के लिए बैठे हैं और उनके बाहर भी मरीजों की लंबी लाइन है।

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1500 से ओपीडी पर्ची, इलाज करने के लिए डाक्टर नहीं

नागरिक अस्पताल में डाक्टरों की संख्या व इलाज करवाने आने वाले मरीजों के अनुपात में काफी अंतर है। सोमवार को जहां 1500 के करीब ओपीडी पर्ची बनी, लेकिन मरीजों के चेकअप करने से करीब चार डाक्टर ही बैठे थे। इसके कारण सामान्य बीमारियों के उपचार के लिए आए मरीजों को लंबी लाइन में लगने के बाद भी सही तरीके से इलाज नहीं हो पाया। नागरिक अस्पताल में डॉक्टरों के 58 पद हैं, लेकिन सिर्फ 15 डॉक्टर ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उनमें से भी कुछ डॉक्टर छुट्टी पर चले जाते हैं, तो कुछ कोर्ट केस और मीटिग में व्यस्त रहते हैं। जबकि कुछ डाक्टर की रात्रि ड्यूटी होने के कारण सुबह ओपीडी नहीं कर पाते हैं।

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महिला मुनेश कुमार ने बताया कि सुबह नौ बजे अस्पताल पहुंच गई थी और नए भवन के मुख्य गेट से बाहर तक निकली लाइन में लग थी। अब 11 बज चुके हैं, लेकिन अभी उनका नंबर आने पर करीब एक घंटा लगेगा। उसके बाद ही डाक्टर को दिखा पाएंगे। अस्पताल में चिकित्सक व स्टाफ की कमी के चलते लोगों को परेशानी आ रही है।

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महिला मुकेश ने कहा कि घंटों लाइन में लगने के बाद भी इलाज नहीं मिल रहा है। पहले तो पर्ची बनवाने के लिए लाइन में खड़े रहो और उसके बाद डाक्टर के चेकअप व टेस्ट के लिए लाइनों में लगना पड़ रहा है। उसके बाद टेस्ट रिपोर्ट दिखाने के लिए दोबारा डाक्टर के कमरे के बाहर लाइन में लगना पड़ता है। उसके बाद दवाई लेने के लिए। मरीज को इलाज लेने के लिए सुबह आठ बजे से दो बजे तक अस्पताल में ही चक्कर लगाने पड़ते हैं।


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