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आउटसोर्स से शहर के पाकरें का रखरखाव, बंदर और कुत्तों को पकड़ने पर होगा मंथन

जागरण संवाददाता, जींद : करीब साढ़े सात माह बाद नगरपरिषद हाउस की मीटिंग 15 नवंबर को होगी। ल

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 09:37 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 09:37 PM (IST)
आउटसोर्स से शहर के पाकरें का रखरखाव, बंदर और कुत्तों को पकड़ने पर होगा मंथन
आउटसोर्स से शहर के पाकरें का रखरखाव, बंदर और कुत्तों को पकड़ने पर होगा मंथन

जागरण संवाददाता, जींद : करीब साढ़े सात माह बाद नगरपरिषद हाउस की मीटिंग 15 नवंबर को होगी। लंबे समय से मीटिंग न होने के कारण शहर में अनेक विकास कार्य अटके हुए हैं। शहर की सरकार आपसी खींचतान में उलझी हुई है और मुख्य समस्याओं बंदरों व आवारा कुत्तों, स्ट्रीट लाइट, पाकरें की बदहाली की तरफ किसी का ध्यान नहीं है।

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नियमानुसार नगरपरिषद हाउस की मीटिंग हर महीने होनी होती है, जिसमें शहर में होने वाले विकास कायरें पर मंथन होता है। हाउस की मंजूरी के बाद ही नगरपरिषद शहर में विकास कार्य करा पाती है। नगरपरिषद की पिछली मीटिंग 26 मार्च को हुई थी, जो बजट की मीटिंग थी। इससे पहले जनवरी में मीटिंग हुई थी। इस मीटिंग पर विरोधी पार्षदों ने सवाल उठाते हुए डीसी को शिकायत की थी। जिसके बाद लंबे समय तक यह जाच में ही उलझी रही और इस मीटिंग में मंजूर हुए कार्य पाकरें की मेंटेनेंस, बाजार में रखने के लिए कूड़ेदान व अन्य कार्य अटक गए। इसके बाद प्रधान पूनम सैनी ने मीटिंग बुलाने की जहमत नहीं उठाई, वहीं विरोधी पार्षद भी प्रधान की कुर्सी पाने की दौड़ में ही उलझे रहे। सूत्रों के अनुसार फिलहाल भी नगरपरिषद में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और पार्षद गुटों में बंटे हुए हैं। विरोधी खेमा दावा कर रहा है कि प्रधान के पास पूर्ण बहुमत नहीं है, इसलिए वे मीटिंग नहीं बुलाते। मीटिंग में रखे एजेंडे को मंजूरी के लिए आधे से ज्यादा पार्षदों की सहमति जरूरी होती है। अब प्रधान ने 15 नवंबर को जो मीटिंग बुलाई है, उसमें 15 एजेंडे रखे जाएंगे। इसमें पाकरें को रखरखाव के लिए आउटसोर्स पर देने पर फैसला लिया जाएगा। साथ ही शहर में आतंक का पर्याय बने बंदरों व आवारा कुत्तों को पकड़ने पर भी मंथन होगा। इसके अलावा कई अन्य विकास कायरें पर भी हाउस की सहमति ली जाएगी।

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--मीटिंग में रखे जाएंगे ये एजेंडे

1. शहर में बंदरों व आवारा कुत्तों को पकड़ने के बारे में विचार।

2. झाझ गेट पर स्थित चार दुकानों को पाच साल के लिए किराए पर देने के बारे में विचार-विमर्श।

3. उपायुक्त द्वारा 26 सितंबर को स्वीकृत तीन कायरें का अनुमोदन, जिनमें लघु सचिवालय के पीछे इम्प्लाइज कॉलोनी और एरोन स्कूल के दोनों तरफ गली बनाने, भगत सिंह कॉलोनी में बनाने, रेलवे फाटक से ढुल सर्विस स्टेशन तक वाया एरोन स्कूल गली का निर्माण करने।

4. शहर में पाकरें के रखरखाव का कार्य आउटसोर्स पॉलिसी के अंतर्गत देने के बारे में विचार-विमर्श।

5. पाकरें के लिए ग्रास कटिंग मशीन खरीदने के बारे में विचार-विमर्श।

6. प्रधान द्वारा स्वीकृत यूएस 35 के तहत खर्च की गई राशि की अदायगी का अनुमोदन करने के बारे में।

7. शहर में विभिन्न चौक का जीर्णोद्धार करने के बारे में।

8. विभिन्न पाकरें में ओपन जिम स्थापित करने के बारे में विचार-विमर्श।

9. विभिन्न पाकरें की स्पेशल रिपेयर करवाने के बारे में विचार।

10. विभिन्न रेलवे भूमियों पर पार्क विकसित करने के बारे में।

11. लोको कॉलोनी, स्कीम नंबर 4 वार्ड नंबर 26 तथा वार्ड 4 में परिषद की भूमि पर सामुदायिक केंद्र का निर्माण करने के बारे में विचार।

12. विभिन्न विकास कायरें के संशोधित अनुमानों की स्वीकृति के बारे में विचार।

13. शहर में विभिन्न मुख्य मागरें, स्थानों, चौकों को चिन्हित करने के लिए साइन बोर्ड लगाने के बारे में विचार।

14. नगरपरिषद में सरकार से प्राप्त अनुदान राशि के विकास कार्य करवाने के बारे में विचार-विमर्श।

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ये हैं मुख्य समस्याएं

--स्ट्रीट लाइट

फिलहाल शहर में सबसे बड़ा मुद्दा स्ट्रीट लाइट हैं। लंबे समय से शहर की ज्यादातर स्ट्रीट लाइटें खराब पड़ी हैं। स्ट्रीट लाइटों की मेंटेनेंस का ठेका तीन-चार माह पहले पूरा हो चुका है। उसके बाद दोबारा ठेका नगरपरिषद ने नहीं दिया है। इससे लोगों की दिवाली अंधेरे में ही गुजरी। लोग अपने स्तर पर ही स्ट्रीट लाइट ठीक कराते हैं।

--बंदरों की समस्या

शहर में बंदरों का आतंक है। अर्बन एस्टेट, हाउसिंग बोर्ड, स्कीम नंबर 5 व 6 समेत पूरे शहर में लोगों बंदरों से परेशान हैं और काफी लोगों को बंदर घायल कर चुके हैं। जब बंदरों को पकड़ने का जिक्त्र होता है, नगरपरिषद प्रधान का जवाब होता है कि मीटिंग में इसका प्रस्ताव रख कर कार्रवाई करेंगे। लेकिन मीटिंग नहीं हो रही।

--सफाई व्यवस्था

जब भी स्वच्छता सर्वेक्षण आता है, तो नगरपरिषद को शहर में सफाई व्यवस्था की याद आती है। लेकिन उसके बाद पूरे साल कोई ध्यान नहीं दिया जाता। शहर में जगह-जगह कूड़े के ढेर लगे हुए हैं। मुख्य सड़क मागरें की सफाई नहीं हो रही है। बाजार में कूड़ेदान नहीं रखे जा सके हैं। जबकि जनवरी में हुई मीटिंग में प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी।

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प्रधान के पास नहीं पूरा बहुमत

अल्प मत में होने के कारण प्रधान मीटिंग नहीं बुला रही है। नगरपरिषद में भ्रष्टाचार का बोलबाला है। शहर में कई कॉलोनिया ऐसी हैं, जहा कोई काम नहीं कराए गए। इससे पार्षद नाराज हैं। विपक्ष बार-बार इसका मुद्दा उठाता रहा है। मीटिंग बुलाना प्रधान की जिम्मेदारी है, लेकिन उनके पति बीजेपी प्रदेश सचिव जवाहर सैनी तानाशाही रवैया अपनाए हुए हैं।

सुभाष जागड़ा, उप प्रधान, नगरपरिषद, जींद

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14 को बुलाई है मीटिंग

शहर में करोड़ों रुपये के विकास चल रहे हैं। सेक्टरों में करीब 19 करोड़ की लागत से सड़कें बन रहीं हैं। अमृत योजना के तहत बारिश के पानी की निकासी के लिए पाइप लाइन बिछाई जा रही हैं। 14 नवंबर को मीटिंग बुलाई गई है, जिसके एजेंडे में बंदरों की मामला रखा गया है। विरोधी पार्षदों के पास कोई मुद्दा नहीं है। इसलिए अनाप-शनाप आरोप लगा रहे हैं।

पूनम सैनी, प्रधान, नगरपरिषद, जींद


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