सरना खेड़ी में न स्वास्थ्य केंद्र न खेल स्टेडियम, सफाई भी ठप
कस्बे से चार किलोमीटर बसे गांव सरनाखेड़ी में सरकार और प्रशासन की अनदेखी के चलते मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। गांव को शहर से जोड़ने वाली सड़क की हालत खस्ता है।
दलजीत सिंह, सफीदों
कस्बे से चार किलोमीटर बसे गांव सरनाखेड़ी में सरकार और प्रशासन की अनदेखी के चलते मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहा है। गांव को शहर से जोड़ने वाली सडक की हालत खस्ता है। चौड़ाई कम होने के कारण दो वाहनों एक साथ नहीं निकल सकते। गांव में जाते ही सबसे पहले आप को मुख्य सड़क जर्जर और उसके दोनों तरफ कुरड़ियों के ढेर दिखाई देंगे। यही हालत गांव के अंदर के हैं। सफाई व्यवस्था चरमराई हुई है। उपस्वास्थ्य केंद्र नहीं होने से ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित हैं। खेल स्टेडियम नहीं होने से युवाओं में रोष है। ऐसे में सरकार के विकास व स्वास्थ्य सेवाओं के दावे इस गांव में खोखले दिखाई देते हैं। गांव में लगभग 1500 मतदाता हैं और जनसंख्या करीब 2700 है। गांव का इतिहास
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पंडित हरिराम शर्मा के अनुसार गांव सरना खेड़ी को रामसरन नाम के व्यक्ति ने बसाया था। गांव सरना खेड़ी को कुछ साल पहले तक टोडी खेड़ी के नाम से भी जाना जाता था, लेकिन ग्रामीणों की अपने बड़े व गांव बसाने वाले राम सरन के प्रति आस्था के कारण इसका नाम बदलवा कर सरना खेड़ी करवा दिया गया। कैप्टन धर्मपाल मलिक ने बताया कि पड़ोसी गांव का नाम टीटो खेड़ी होने के कारण गांव की डाक पड़ोसी गांव में चली जाती थी। कई बार दस्तावेजों में भी गांव का नाम गलत अंकित हो जाने से अधिकारियों में असमंजस की स्थिति बनी रहती थी। कई युवाओं को नौकरी मिलने में भी परेशानी होती थी। इसलिए गांव का नाम बदलवाना पड़ा। --नहीं है स्वास्थ्य केंद्र
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ग्रामीण बलराज ने बताया कि गांव में स्वास्थ्य केंद्र न होने के कारण छोटी बीमारी के लिए भी शहर का रुख करना पड़ता है। इस मौलिक सुविधा के नहीं होने से ग्रामीणों में रोष है। गांव में पशु अस्पताल तो है, लेकिन उसमें डॉक्टर रोजाना नहीं आता। डॉक्टर को फोन करके बुलाना पड़ता है। इससे पशुओं को समय पर उपचार नहीं मिल पाता है। --खेल स्टेडियम न होने से नहीं उभर रही प्रतिभाएं
गांव सरना खेड़ी में खेल स्टेडियम नहीं होने से युवाओं का शारीरिक विकास नहीं हो पा रहा है। गांव के युवा बताते हैं कि स्टेडियम न होने के कारण पुलिस, सेना की भर्ती की तैयारी भी युवाओं को सड़क पर दौड़ लगा कर करनी पड़ती है। इससे सड़क पर गुजरने वाले वाहनों से हादसे होने का खतरा बना रहता है।
गलियां तो बनी पर नालियां नहीं बनाई
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युवा कुलदीप शर्मा ने बताया कि गांव की लगभग हर गली का निर्माण हो चुका है, लेकिन नालियों को गली के साथ ऊंचा नहीं उठाया गया। इस कारण आज ये हालत हैं कि नालियां दो से तीन फुट तक गहरी हैं। कोई छोटा बच्चा नाली में गिर जाए तो कोई भी अनहोनी हो सकती है। इससे पहले भी तीन-चार बार छोटे बच्चे भी गिर कर घायल हो चुके हैं। नाली की गहराई दिखाने के लिए कुलदीप ने अपना पांव ही नाली में डाल कर दिखा दिया।
सफाई व्यवस्था चरमराई, गंदगी के ढेर
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ग्रामीण बीर सिंह ने बताया कि गांव में सफाई कर्मचारी कभी-कभी आते हैं। नालियां हर समय गंदगी से भरी पड़ी रहती हैं। सड़क के दोनों ओर गंदगी के ढेर लगे हैं, जिससे मच्छर-मक्खियां पनपती हैं। सरपंच को कहते हैं तो दो-तीन बाद सफाई कर्मचारी भेज देते हैं। मच्छर अधिक होने से बीमारियों फैलने का खतरा भी बना रहता है। एक महिला सफाईकर्मी : सरपंच
गांव के सरपंच रामफल ने बताया कि उनके कार्यकाल में 30 लाख की ग्रांट आई है। इसमें जितने कार्य हो सकते थे, करवाए गए हैं। मुख्य सडक का टेंडर छूट चुका है। जल्द ही सड़क निर्माण शुरू कर दिया जाएगा। खेल स्टेडियम के लिए जगह तलाशी जा रही है। गांव में एकमात्र महिला सफाई कर्मचारी है, जिस कारण सफाई नहीं हो पा रही। सफाई कर्मचारी आने पर ही सफाई कराई जा सकती है।
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