जिंदगी के गुणा-भाग हल कर अंकित बनेगा अर्थशास्त्री
सही कहा है कि पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। भिवानी रोड पर खेम नगर में रहने वाले अंकित गर्ग पर यह बात सटीक बैठती है। घर की माली हालत के बावजूद उसने हौसले को डिगने नहीं दिया। इसका परिणाम यह निकला कि सीए की परीक्षा में उसने देशभर में 39वां स्थान हासिल किया। अंकित का कहना है कि वह अर्थशास्त्री के रूप में करियर बनाना चाहता है।
कर्मपाल गिल, जींद
सही कहा है कि पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है। मंजिल उन्हीं को मिलती है, जिनके सपनों में जान होती है। भिवानी रोड पर खेम नगर में रहने वाले अंकित गर्ग पर यह बात सटीक बैठती है। घर की माली हालत के बावजूद उसने हौसले को डिगने नहीं दिया। इसका परिणाम यह निकला कि सीए की परीक्षा में उसने देशभर में 39वां स्थान हासिल किया। अंकित का कहना है कि वह अर्थशास्त्री के रूप में करियर बनाना चाहता है।
अंकित ने बताया कि पापा मोहनलाल सांपला में प्राइवेट फैक्ट्री में नौकरी करते हैं। उन्हें जितनी पगार मिलती थी उससे घर चलाने में परेशानी होती थी। इसलिए मां सुषमा गर्ग ने कपड़ों की सिलाई शुरू की। मां-पापा के दिन-रात की मेहनत देख पढ़ाई के दौरान ही फैसला कर लिया था कि जिंदगी में बड़ा मुकाम हासिल कर परिवार की हालत सुधारनी है। दसवीं में 97 फीसद और 12वीं में 91 फीसद अंक
सपने को पूरा करने के लिए अंकित ने जी-तोड़ पढ़ाई शुरू की। गोपाल विद्या मंदिर स्कूल से दसवीं की परीक्षा 97 फीसद अंकों से पास की। इसके बाद मोतीलाल स्कूल से 12वीं की परीक्षा 91 फीसद अंकों से पास की। लक्ष्य अर्थशास्त्री बनने का था, इसलिए दिल्ली में इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड अकाउंटेंट ऑफ इंडिया में सीए में दाखिल लिया। साथ ही दिल्ली यूनिवर्सिटी से ओपन में ग्रेजुएशन में भी एडमिशन ले लिया। दोनों कोर्स की पढ़ाई साथ-साथ की। मामा ने मोटिवेट किया
अंकित ने बताया कि उसे जब भी कोई आर्थिक या अन्य परेशानी हुई तो मामा रमेश ¨सगला ने पूरा साथ दिया। सीए की परीक्षा से कुछ दिन पहले वह बीमार हो गया था। तब मम्मी-पापा हमेशा हौसला बढ़ाते रहे और मामा ने मोटिवेटर का काम किया। छोटी बहन आयुषी 12वीं में पढ़ती है।