फौज में रहते की देश सेवा, रिटायरमेंट के बाद कर रहे पर्यावरण सेवा
13-जींद गांव में पौधों की देखभाल करते सूरजमल पंााल। जागरण।
प्रदीप घोघड़ियां, जींद
रिटायरमेंट की उम्र बेशक 58 या 60 साल हो सकती है लेकिन सेवा करने की कोई उम्र नहीं होती। मोरखी गांव के सूरजमल सिंह ने फौज में रहते देश सेवा की और रिटायरमेंट के बाद पर्यावरण संरक्षण में जुटे हुए हैं। सूरजमल ने मोरखी गांव के सरकारी स्कूल, सार्वजनिक स्थानों, तालाबों पर हजारों पौधे लगाने से लेकर जल संरक्षण की दिशा में काफी सकारात्मक कार्य किए हैं, जिससे हर तरफ सूरजमल के निस्वार्थ भाव से किए गए कार्यों की तारीफ हो रही है।
सूरजमल 2001 में आर्मी में हवलदार के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। सेवा निवृत्ति के बाद जब वह गांव में आए तो गांव में सार्वजनिक जगहों पर पेड़-पौधों का अभाव था या यूं कहें कि थे ही नहीं। इससे गर्मी की तपती दोपहरी में लोगों को परेशानी होती थी। सूरजमल से यह देखा नहीं गया। सूरजमल ने गांव के सार्वजनिक स्थानों पर हजारों की संख्या में पौधे लगाए और उनकी तब तक देखभाल की, जब तक यह पेड़ नहीं बन गए। गांव के प्राइमरी स्कूल में पौधे लगाए और उनकी देखभाल शुरू की लेकिन पशुओं ने यह उखाड़ दिए, जिस पर दोबारा से पौधे लगाए गए और इनकी देख-रेख के लिए स्पेशल व्यक्ति की ड्यूटी लगाई। पानी की व्यवस्था न होने के कारण दूर-दराज से पानी ढोकर पौधों में डाला गया। इसके बाद उसकी मेहनत रंग लाई और पौधे पेड़ बन गए। सूरजमल ने गांव वालों को एकत्रित कर यहां हैंडपंप लगा कर पानी का प्रबंध किया। सफाई अभियान चलाए। इसका सकारात्मक परिणाम यह देखने को मिला की पेड़ों की छांव और पानी की व्यवस्था होने से प्राइमरी स्कूल में बच्चों की संख्या भी बढ़ी। बैंक परिसर, तालाब, स्कूल समेत कई जगहों पर सूरजमल के लगाए पौधे आज छांव दे रहे हैं।
जहां भी पानी व्यर्थ बहता दिखा, वहीं कर दिया इंतजाम
अकेले पौधे लगा पर्यावरण संरक्षण तक ही सूरजमल सीमित नहीं हैं। जल संरक्षण को लेकर भी सूरजमल काफी गंभीर हैं। जहां कहीं भी व्यर्थ पानी सूरजमल को बहता दिखता है, वहीं पर वह ऐसा इंतजाम कर देते हैं कि पानी व्यर्थ नहीं बहे। गांव के बाहर से जा रही पेयजल की पाइप लाइन जगह-जगह से लीक थी, जिससे हर समय पानी बहता रहता था। सूरजमल ने जहां से भी पाइप लीक थी, वहं पर टंकी बनाकर उसमें टोंटियां लगा दी। इससे टंकी में पानी का स्टोरेज हो जाता है, जिसे लोग पीने के पानी के रूप में प्रयोग करते हैं। कई जगहों पर व्यर्थ पानी को बहने से रोकने की खातिर टंकियों का निर्माण सूरजमल करवा चुके हैं।
लाखों रुपये कर चुके हैं पर्यावरण और जल संरक्षण पर खर्च
84 साल के हो चुके मोरखी निवासी सूरजमल आर्मी से मिल रहे अपनी पेंशन से लाखों रुपये पर्यावरण और जल बचाने पर खर्च कर चुके हैं। सूरजमल का मानना है कि पौधे हैं तो जीवन है। पौधे छाया, आक्सीजन, फल, लकड़ी देते हैं। पौधे लगाते-लगाते उन्हें पता नहीं कब, इनसे इतना लगाव हो गया कि अब इनके बिना मन ही नहीं लगता। वह अपने हाथ से तो हजारों पौधे लगा ही चुके हैं, साथ ही नर्सरी से पौधे लाकर दूसरों को बांटते भी हैं।