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जींद को संघ-भाजपा के लिए उपजाऊ मानते थे अटल

कर्मपाल गिल, जींद जनसंघ और भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे अटल बिहारी वाजपेयी जींद को संघ व भ

By JagranEdited By: Published: Thu, 16 Aug 2018 11:23 PM (IST)Updated: Thu, 16 Aug 2018 11:23 PM (IST)
जींद को संघ-भाजपा के लिए उपजाऊ मानते थे अटल
जींद को संघ-भाजपा के लिए उपजाऊ मानते थे अटल

कर्मपाल गिल, जींद

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जनसंघ और भाजपा के संस्थापक सदस्य रहे अटल बिहारी वाजपेयी जींद को संघ व भाजपा के लिए उपजाऊ जमीन मानते थे। यही कारण था कि जनता पार्टी से भारतीय जनता पार्टी बनने के अगले ही साल वह जींद आए थे। कुल चार बार यहां पहुंचे अटल कहते थे कि जींद में संघ और भाजपा की जड़ों को मजबूत किया जा सकता है।

अटलजी से कई बार करीब से मिल चुके भाजपा के पूर्व जिला प्रधान पंडित श्यामलाल नंबरदार बताते हैं कि भाजपा के गठन के बाद वर्ष 1981 में पालिका बाजार में वाजपेयी की पहली सार्वजनिक सभा हुई थी। तब पालिका बाजार में रणबीर ¨सह अस्पताल को तोड़ दिया गया था और खाली जगह पड़ी थी। अटल जी के आने की सूचना पर पूरा मैदान खचाखच भर गया था। करीब 10-12 हजार लोग अटल जी को सुनने के लिए पहुंच गए थे। जिला प्रधान होने के नाते पं. श्यामलाल ने तब अटलजी को पार्टी फंड के लिए 51 हजार रुपये की थैली भी भेंट की थी। वाजपेयी का यह दौरा पार्टी संगठन को मजबूत करने के लिए था। उस समय अटलजी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष थे। करीब एक घंटे तक रुके अटलजी ने भाजपा के संगठन को मजबूत करने के लिए बातें की थी। साथ ही, उस समय की राष्ट्रीय राजनीति पर भी काफी देर बोले थे।

अटल के साथ ¨खचवाई गई फोटो दिखाते हुए पं. श्यामलाल नंबरदार कहते हैं कि तब उन्हें सुनने और उनके साथ फोटो खिंचवाने का लोगों में इतना क्रेज था कि मंच पर भारी भीड़ इकट्ठी हो गई थी। जींद से कार्यक्रम समाप्त करने के बाद अटल जी कैथल के लिए निकल गए थे। --झांज गेट पर 1991 में की जनसभा

पार्टी के कार्यक्रम में वाजपेयी दूसरी बार 1991 के चुनाव में जनसभा को संबोधित करने आए थे। तब लोकसभा और विधानसभा चुनाव हो रहे थे। जींद से भाजपा के उम्मीदवार पं. श्यामलाल नंबरदार थे। उनके समर्थन में अटलजी ने शाम को झांज गेट पर जनसभा को संबोधित किया था। तब अटलजी हिसार से जींद आए थे। उन्होंने अपने भाषण में कांग्रेस की गलत नीतियों, इमरजेंसी में नसबंदी और इंदिरा की तानाशाही आदि का जिक्र किया था। हाव-भाव पर लोग मोहित

पं. श्यामलाल नंबरदार बताते हैं कि अटलजी का बोलने का अंदाज बहुत गजब था। जब बहुत आकर्षक तरीके से तो बोलते ही थे, हाव-भाव से भी अपनी बात कहते थे। सिर को अलग अंदाज में हिलाकर और मस्ती में जब वे अपनी बात कहते थे तो लोगों की खूब तालियां बजती थीं। दो बार गोपाल स्कूल में संघ के कार्यक्रम में भी आए

पहली बार अटल जी 1980 में लोहड़ी पर राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यक्रम में गोपाल स्कूल में पहुंचे थे। तब वहां संघ की शाखा लगती थी। तब जींद में संघ के सक्रिय सदस्य रहे कृष्ण चंद्र बताते हैं कि उन्होंने अटल जी को नेपाली कवि गोपाल शरण दास की लिखी कविता सुनाई थी, जिसके बोल थे.. भारत के प्यारे जागो, सोए सितारे जागो। बैरी द्वारे आए, तुम सिर उतारो जागो। इसके अगले साल भी अटल जी गोपाल स्कूल में संघ की शाखा के कार्यक्रम में कार्यक्रम में पहुंचे थे। तब भी उन्होंने कृष्ण चंद्र से वही कविता दोबारा सुनी थी। कृष्ण चंद्र बताते हैं कि अटल की मौजूदगी में हुए संघ की शाखा के कार्यक्रम में देशभक्ति की बातें समझाई जाती थी। अटल जी कहते थे कि देश के लिए कुछ करना है। हमें समझना है कि स्वयंसेवक क्यों बनें। वह स्वयंसेवकों को उनके कर्तव्य भी समझाते थे।


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