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भगवान को पाने के लिए छोड़ने होंगे ईष्र्या और अंहकार : आचार्य पवन

खोल दीजिए स्वार्थ व संकीर्णता के कपाट परमात्मा को यदि सही अर्थों में पाना है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 21 Oct 2019 06:20 AM (IST)Updated: Mon, 21 Oct 2019 06:20 AM (IST)
भगवान को पाने के लिए छोड़ने होंगे ईष्र्या और अंहकार : आचार्य पवन
भगवान को पाने के लिए छोड़ने होंगे ईष्र्या और अंहकार : आचार्य पवन

जागरण संवाददाता, जींद : खोल दीजिए स्वार्थ व संकीर्णता के कपाट परमात्मा को यदि सही अर्थों में पाना है। उक्त विचार आचार्य पवन शर्मा ने माता वैष्णवी धाम में आयोजित मां वैष्णवी के सत्संग व भंडारे के अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं के समक्ष अपने संबोधन में कहे। इससे पूर्व आयोजित हवन यज्ञ में श्रद्धालुओं ने अपनी आहुति दी। आचार्य ने कहा कि भगवान हमारे भीतर प्रवेश करना चाहते हैं, पर करें तो कैसे। द्वार तो हमने सभी बंद कर रखे हैं। भगवान हमारे भीतर निवास करना चाहते हैं, पर वहां जगह ही कहां है उनके लिए। जगह तो सभी भरी पड़ी हैं, अंत:करण के कोने-कोने में हमने कचरा भर रखा है। न जाने कितनी कामनाएं, तृष्णाएं, लालसाएं उसमें डेरा डाले हुए हैं। रही-सही जगह को ईष्र्या, द्वेष, अहंकार, छल, दम्भ और मत्सर जैसे दुष्टों ने घेर रखा है। अब उसमें तिल रखने भर की जगह भी नहीं है। बाहर से किसी और को न आने देने के लिए इन्होंने भीतर से कपाट बंद कर लिए हैं।

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