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धूमधाम से मनाया जन्माष्टमी पर्व, कान्हा को झूला झुलाकर मांगी मन्नतें

भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जिलेभर में बुधवार को धूमधाम व श्रद्धा के साथ मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Aug 2020 10:00 PM (IST)Updated: Thu, 13 Aug 2020 10:00 PM (IST)
धूमधाम से मनाया जन्माष्टमी पर्व, कान्हा को झूला झुलाकर मांगी मन्नतें
धूमधाम से मनाया जन्माष्टमी पर्व, कान्हा को झूला झुलाकर मांगी मन्नतें

जागरण संवाददाता, जींद : भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव जिलेभर में बुधवार को धूमधाम व श्रद्धा के साथ मनाया गया। हालांकि इस बार कोरोना संक्रमण के चलते पहले की तरह श्रद्धालुओं की भीड़ नहीं रही लेकिन मंदिर में आए श्रद्धालुओं ने कुछ देर के लिए कोरोना को भूल कान्हा को झूला झुलाया। इस बार न तो मंदिरों में झांकियां सजाई गई थी और न ही कोई खास सजावट देखी गई। दोपहर को कुछ समय के लिए श्रद्धालुओं की भीड़ देखने को मिली। श्रद्धालुओं ने भगवान श्रीकृष्ण के जन्म लेने तक व्रत रखा।

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बुधवार को सुबह से लेकर दोपहर 12 बजे तक रानी तालाब स्थित भूतेश्वर मंदिर, सोमनाथ मनसा देवी, जयंती देवी, शिव मंदिर, माता वैष्णवी धाम, रघुनाथ मंदिर, रामा-कृष्ण मंदिर, सोहम आश्रम मंदिरों के अलावा दूसरे सभी मंदिरों में श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए पहुंचे। मंदिरों में कान्हा को झूले पर बैठाया गया था। श्रद्धालुओं ने कान्हा को झूला झुलाया। प्रशासन की तरफ से सुरक्षा को लेकर शारीरिक दूरी के नियम का पालन करवाया गया।

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कुछ लोगों ने 11 अगस्त को भी यह पर्व मनाया तो बाकी ने बुधवार को मनाया। दरअसल इस वर्ष कृष्ण जन्म की तिथि 11 अगस्त को ही शुरू हो चुकी है लेकिन 12 अगस्त को सूर्योदय की तिथि मानने के कारण अधिकांश स्थानों पर जन्माष्टमी बुधवार को मनाई गई। कई मंदिरों में वालेंटियर श्रद्धालुओं को पूरा दिन सैनिटाइज करते रहे।

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फलों की बढ़ी डिमांड

जन्माष्टमी पर्व के मद्देनजर फलों की मांग काफी बढ़ गई थी। व्रत रखने वालों ने रात व्रत खोलने के लिए केला, अमरूद जैसे फलों की खरीददारी की। इनके दाम भी दूसरे दिनों की तुलना में बुधवार को बढ़े हुए थे। वहीं जन्माष्टमी के उपलक्ष्य में शहर में मिठाई की दुकानों पर भी काफी चहल-पहल रही। लोगों ने व्रत खोलने के लिए दुकानों से मिठाई की भी काफी खरीददारी की।

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इतिहास अधूरा है श्रीकृष्ण के बिना : आचार्य पवन शर्मा

माता वैष्णवी धाम के आचार्य पवन शर्मा ने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के बिना भारत का इतिहास अधूरा है। मंदिरों में जन्माष्टमी के दिन श्रद्धालुओं ने व्रत रखा और कान्हा के दर्शन कर उन्हें झूला झुलाया गया। शारीरिक दूरी का ख्याल रखा गया। एक-एक कर श्रद्धालुओं ने कान्हा के दर्शन किए।


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