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फर्जीवाड़े का शिकार निवेशकों ने की मीटिग, कंपनियों पर कार्रवाई की मांग

चिट फंड कंपनियों से पीड़ित निवेशकों से मिलने के लिए रविवार को राष्ट्रीय एकता फाउंडेशन की टीम जींद पहुंची। नेहरू पार्क में फाउंडेशन की अध्यक्ष रानी शेख की अध्यक्षता में निवेशकों ने बैठक की।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 May 2019 10:00 AM (IST)Updated: Mon, 20 May 2019 10:00 AM (IST)
फर्जीवाड़े का शिकार निवेशकों ने की मीटिग, कंपनियों पर कार्रवाई की मांग
फर्जीवाड़े का शिकार निवेशकों ने की मीटिग, कंपनियों पर कार्रवाई की मांग

जागरण संवाददाता, जींद : चिट फंड कंपनियों से पीड़ित निवेशकों से मिलने के लिए रविवार को राष्ट्रीय एकता फाउंडेशन की टीम जींद पहुंची। नेहरू पार्क में फाउंडेशन की अध्यक्ष रानी शेख की अध्यक्षता में निवेशकों ने बैठक की। उसमें सरकार से कंपनी संचालकों पर कार्रवाई करने के साथ ही उनके पैसे दिलाने की मांग की गई।

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रानी शेख ने बताया कि जींद में केबीसीएल इंडिया लिमिटेड कंपनी ने कार्यालय खोला था, जिसमें निवेशकों को सपने दिखाते हुए हजारों निवेशकों के पैसे जमा कराए गए। जब निवेशकों को पैसे वापस देने का समय आया, तो कंपनी ने कार्यालय बंद कर भूमिगत हो गई। निवेशक लगभग पांच वर्षो से कंपनी मालिकों को ढूंढ़ रहे हैं। कंपनी निवेशकों से आरडी एफडी के नाम पर पैसे इकट्ठा कर भाग गई, जबकि कंपनी रियल इस्टेट में पैसे लगाने का काम दिखा रही थी। सरकार निवेशकों का पैसे लेकर भागी कंपनी पर कोई कार्रवाई नहीं कर रही है।

राष्ट्रीय एकता फाउंडेशन चिट फंड कंपनियों से पीड़ित निवेशकों का मामला पूरे देश में उठा रहा है। इसी के चलते जींद निवासियों की मांग पर उसकी टीम यहां पहुंची है। पूरे मामले की जानकारी लेकर जिला प्रशासनिक अधिकारियों से मुलाकात कर मामले में न्याय दिलाने की मांग की जाएगी। अगर प्रशासन से समय रहते न्याय नही मिला तो मामले को सुप्रीम कोर्ट में केस दायर कर न्याय की मांग की जाएगी।

काफी लोगों से हो चुका फर्जीवाड़ा

निवेशक अजमेर शर्मा कुलदीप सिंह, दलबीर सिह, सतबीर सिंह, संदीप कुमार, प्रवेश कुमार आदि ने बताया कि लगभग पांच वर्ष पहले केबीसीएल इंडिया लिमिटेड कंपनी के नाम से हुडा ग्राउंड जींद में एक कार्यालय खोला था। उसमें निवेशकों ने भारी मात्रा में पैसा जमा किया। जब निवेशकों को पैसे लौटाने का समय आया तो कंपनी कार्यालय को बंद कर भूमिगत हो गई। कंपनी में पैसे फंसा होने कारण अनेक निवेशक आत्महत्या तक कर चुके हैं। उन्होंने सरकार के प्रति रोष दिखाते हुए कहा कि सरकार ऐसी कंपनी मालिकों के खिलाफ सख्त नहीं है। सरकार क्यों उनको ऐसे कार्य करने की इजाजत देती है, जो जनता के खून पसीने की कमाई को लूटकर भाग जाते हैं।

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