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गांवों में भी भाजपा को मिले खूब वोट, शहरी पार्टी का ठपा हटा

पहले जींद उपचुनाव और अब लोकसभा चुनाव में खा बात यह देखने को मिली कि भाजपा को गांवों में भी खूब वोट मिले हैं। अभी तक सियासी गलियारों में भाजपा को शहरी पार्टी माना जाता रहा है लेकिन भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक को गांवों में भी कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले हैं।

By JagranEdited By: Published: Fri, 24 May 2019 08:40 AM (IST)Updated: Fri, 24 May 2019 08:40 AM (IST)
गांवों में भी भाजपा को मिले खूब वोट, शहरी पार्टी का ठपा हटा
गांवों में भी भाजपा को मिले खूब वोट, शहरी पार्टी का ठपा हटा

जागरण संवाददाता, जींद

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पहले जींद उपचुनाव और अब लोकसभा चुनाव में खास बात यह देखने को मिली कि भाजपा को गांवों में भी खूब वोट मिले हैं। अभी तक सियासी गलियारों में भाजपा को शहरी पार्टी माना जाता रहा है, लेकिन भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक को गांवों में भी कांग्रेस से ज्यादा वोट मिले हैं।

जींद विधानसभा क्षेत्र की मतगणना गांवों के बूथों से शुरू होती है। पहले राउंड की गिनती में सभी गांवों के वोट होते हैं। सुबह जब जींद हलके के पहले राउंड का परिणाम आया तो भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक को कांग्रेस के भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर 1354 वोटों की लीड मिली। इसके बाद हर राउंड में यह लीड बढ़ती चली गई। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को सिर्फ 11वें राउंड में सिर्फ 675 वोट ज्यादा मिले थे, लेकिन तब तक रमेश कौशिक 40127 वोटों की लीड बढ़त ले चुके थे। इसी तरह जुलाना हलके से भी रमेश कौशिक को पहले वार्ड में 1906 वोटों की लीड मिली थी। हर राउंड में यह लीड बढ़ती चली गई। जबकि जुलाना हलका पूरी तरह ग्रामीण बेल्ट है। जुलाना हलके में कोई बड़ा शहर नहीं है। सियासी गलियारों में सभी लोग जुलाना से कांग्रेस की लीड मानकर चल रहे थे। खुद भाजपाई भी यह अनुमान लगा रहे थे कि जींद व सफीदों से कौशिक को अच्छी लीड मिलेगी, लेकिन जुलाना से 8-10 हजार से पीछे रह सकते हैं। लेकिन यहां से कौशिक को 10 हजार से ज्यादा की लीड ने सबके गणित फेल कर दिए। सफीदों हलके के गांवों में भी भाजपा ने खूब वोट लिए। गांवों में भाजपा से मिले वोटों को बड़ा कारण लोकसभा चुनाव से ऐन पहले प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना लागू होना जा रहा है। इस योजना के तहत जिले के काफी किसानों के खाते में अब तक दो-दो हजार रुपये की दो किस्तें आ चुकी हैं। इस कारण गांवों में किसानों ने खूब वोट दिए। साथ ही, ग्रुप-डी की भर्तियों के कारण भी गांवों से अच्छे वोट मिले हैं। भाजपा की जीत में मोदी मैजिक के अलावा मनोहर सरकार का भी बड़ा रोल रहा है। कुल मिलाकर अब भाजपा के लिए गांव-शहर सब बराबर हो गए हैं। पांच साल में भाजपा गांवों में अपना वोट बैंक स्थापित कर चुकी है।

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