सीआरएसयू भर्ती विवाद : जांच कमेटी ने दुर्व्यवहार के मामले में प्रो. संदीप बेरवाल को माना दोषी
सीआरएसयू में भर्तियों में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले प्रो. संदीप बेरवाल को चयन कमेटी के सदस्यों से दुर्व्यवहार के मामले में जांच कमेटी ने दोषी माना है।
जागरण संवाददाता, जींद : सीआरएसयू में भर्तियों में गड़बड़ी का आरोप लगाने वाले प्रो. संदीप बेरवाल को चयन कमेटी के सदस्यों से दुर्व्यवहार के मामले में जांच कमेटी ने दोषी माना है। शुक्रवार को विश्वविद्यालय में वीसी प्रो. आरबी सोलंकी की अध्यक्षता में कार्यकारी परिषद की मीटिग हुई। जिसमें जांच कमेटी की रिपोर्ट खोली गई और प्रो. बेरवाल को चार्जशीट करते हुए इसकी जांच रिटायर्ड सेशन जज से कराने का फैसला लिया गया। वहीं दो साल पहले विश्वविद्यालय से प्रो. बेरवाल द्वारा एडवांस लिए 5.20 लाख रुपये 15 दिन में एडजस्ट कराने के लिए कहा गया। ये राशि 15 दिन में एडजस्ट नहीं कराने पर प्रो. बेरवाल के वेतन से काटी जाएगी। वहीं विश्वविद्यालय से संबंधित मामला मीडिया में लाने पर वीसी प्रो. आरबी सोलंकी की तरफ से प्रो. बेरवाल को चेतावनी भी दी गई। वहीं ईसी की मीटिग में एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। जसबीर सूरा सहायक प्रोफेसर से प्रमोट होकर एसोसिएट प्रोफेसर बने। ये विश्वविद्यालय में होने वाली पहली प्रमोशन है।
ये था मामला
गौरतलब है कि अक्टूबर में भर्तियों को लेकर सीआरएसयू में चयन कमेटी की मीटिग में विवाद हो गया था। इस मीटिग में शामिल प्रो. संदीप बेरवाल ने चयन कमेटी के सदस्यों पर भर्तियों में फर्जीवाड़े के आरोप लगाते हुए धरना शुरू कर दिया था। वीसी और रजिस्ट्रार पर भी इस मामले में शामिल होने के आरोप लगाए थे। वहीं चयन कमेटी के सदस्यों ने प्रो. संदीप बेरवाल पर उनके साथ दुर्व्यवहार करने और अपने नजदीकी के चयन का दबाव बनाने के आरोप लगाए थे। जिसके बाद कार्यकारी की परिषद में चयन कमेटी के सदस्यों की शिकायत के आधार पर प्रो. बेरवाल को सस्पेंड करते हुए जांच के लिए कमेटी गठित की गई थी। इस जांच कमेटी ने पिछले दिनों जांच पूरी कर वीसी प्रो. आरबी सोलंकी को सौंप दी थी। जो शुक्रवार को हुई कार्यकारी परिषद की मीटिग में खोली गई। रजिस्ट्रार प्रो. राजेश पूनिया ने बताया कि जांच कमेटी की रिपोर्ट खोली गई। रिपोर्ट में प्रो. बेरवाल दोषी पाए गए। उन्हें एक बार और सुनवाई का मौका देते हुए जांच कराने का फैसला लिया गया। वहीं एडवांस राशि एडजस्ट कराने के लिए कहा है।
दो साल पहले लिए थे एडवांस
नॉर्थ जोन के एक सांस्कृतिक कार्यक्रम में दो साल पहले तत्कालीन कल्चरल कॉर्डिनेटर डा. पवन बख्शी विश्वविद्यालय की टीम लेकर गए। इसके लिए विश्वविद्यालय से 5.20 लाख रुपये एडवांस में लिए गए थे। उस समय प्रो. संदीप बेरवाल यूथ वेलफेयर के डायरेक्टर थे। डा. पवन बख्शी कॉन्ट्रेक्ट पर थे, इसलिए एडवांस राशि उनके नाम से जारी नहीं हो सकती थी। इसलिए प्रो. बेरवाल ने विश्वविद्यालय के खाते से एडवांस राशि लेकर उन्हें दी थी। विश्वविद्यालय प्रबंधन का कहना है कि कार्यक्रम में टीम को ले जाने पर हुए खर्च के बिलों को जमा करा कर प्रो. बेरवाल को ये राशि एडजस्ट करानी थी।
वीसी के कहने पर डा. बख्शी को दी थी राशि
प्रो. संदीप बेरवाल का कहना है कि वीसी के कहने पर ही उन्होंने डा. पवन बख्शी को अपने नाम एडवांस राशि लेकर दी थी। उन्होंने ये राशि खर्च ही नहीं की, तो उसके बिल कहां से लाकर दें। डा. पवन बख्शी को खर्च के बिल जमा करवा कर राशि एडजस्ट करवानी थी। पिछले साल विश्वविद्यालय से हट चुके हैं। वीसी से उसके खिलाफ एफआइआर के लिए भी वे कह चुके हैं। लेकिन उसके खिलाफ एफआइआर नहीं कराई गई। अब वीसी का कार्यकाल पूरा होने वाला है, तो उन्होंने इस मामले को कार्यकारी परिषद की मीटिग में ले जाते हुए उनके ऊपर सारी जिम्मेदारी डाल दी।
किस आधार पर माना दोषी, रिपोर्ट नहीं मिली : प्रो. बेरवाल
जांच रिपोर्ट में दोषी माने जाने के मामले में प्रो. संदीप बेरवाल ने कहा कि उन्हें किस आधार पर दोषी माना है। इसकी जांच की रिपोर्ट नहीं मिली है। वहीं दोबारा किस आधार पर जांच होगी। जो भी वीसी की तरफ से जांच कमेटी गठित की जाएगी, उसकी जांच में वे शामिल नहीं होंगे। क्योंकि पूरे मामले में वीसी शामिल हैं और वे ही जांच के लिए कमेटी गठित कर रहे हैं। सरकार या राज्यपाल की तरफ से अगर कोई कमेटी बनती है, तो वे जांच के लिए शामिल होंगे।