ईओ ट्रांसफर विवाद: हाई कोर्ट ने प्रधान की ओर से जारी रिलीव ऑर्डर को माना सही
नगर परिषद कार्यकारी अधिकारी (ईओ) डा. एसके चौहान के ट्रांसफर के मामले में मंगलवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमें प्रदेश सरकार और नगर परिषद प्रधान की तरफ से जवाब दिया गया।
जागरण संवाददाता, जींद : नगर परिषद कार्यकारी अधिकारी (ईओ) डा. एसके चौहान के ट्रांसफर के मामले में मंगलवार को हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। जिसमें प्रदेश सरकार और नगर परिषद प्रधान की तरफ से जवाब दिया गया। सुनवाई के दौरान प्रधान की तरफ से ईओ के जारी किए रिलीव ऑर्डर को कोर्ट ने सही माना। अब इस मामले की अगली सुनवाई दो फरवरी को होगी। जिसमें कोर्ट अपना फैसला सुनाएगा। गौरतलब है कि 17 जुलाई को प्रधान पूनम सैनी के पति जवाहर सैनी और पार्षद हरेंद्र उर्फ काला सैनी के साथ विवाद हुआ था। उसके बाद चार अगस्त की तारीख में ईओ का जींद से टोहाना नगर परिषद में कर दिया। 13 अगस्त को ईओ ने हाई कोर्ट में अपनी ट्रांसफर के खिलाफ याचिका लगाई। कोर्ट ने आदेश दिए कि अगर ईओ को रिलीव नहीं किया गया है, तो आगामी आदेशों तक उनके ट्रांसफर पर रोक रहेगी। लेकिन प्रधान पूनम सैनी ने 10 अगस्त को ईओ को रिलीव करने का दावा किया था। प्रधान द्वारा रिलीव करने के पत्र का हवाला देते हुए अतिरिक्त मुख्य सचिव एसएन राय ने डीसी डा. आदित्य दहिया को नियमानुसार कार्रवाई के लिए लिखा था। ईओ ने प्रधान की तरफ से रिलीव ऑर्डर मिलने से इंकार करते हुए हाई कोर्ट में दोबारा याचिका लगाई थी। --------------- कोर्ट ने मांगे थे एसीएस और प्रधान से शपथ पत्र ईओ की याचिका पर हाई कोर्ट ने उनकी ट्रांसफर पर रोक लगाते हुए प्रधान पूनम सैनी और अतिरिक्त मुख्य सचिव से रिलीव ऑर्डर के संबंध में शपथ पत्र मांगे थे। उसके बाद अगली सुनवाई में ईओ के वकील ने प्रधान और अतिरिक्त मुख्य सचिव की तरफ से दिए गए शपथ पत्र में रिलीव ऑर्डर की कॉपी पर सवाल उठाए थे कि दोनों के शपथ पत्र में रिलीव ऑर्डर की रिसीविग डेट में अंतर है। मंगलवार को हुई सुनवाई में प्रदेश सरकार की तरफ से अतिरिक्त एडवोकेट जनरल दीपक सभरवाल और प्रधान पूनम सैनी के वकील ने जवाब दिया कि नगर परिषद जींद कार्यालय में 10 अगस्त को रिलीव ऑर्डर को रिसीव करने के समय डीलिग हैंड कोरोना से पीड़ित था। इसलिए रिसीविग डेट में अंतर था।
----------- ईओ के वकील ने कहा, कई बार ट्रांसफर हो चुका ईओ के वकील ने कोर्ट में कहा कि एक साल में ईओ डा. एसके चौहान का कई बार ट्रांसफर हो चुका है। इसके जवाब में प्रधान पूनम सैनी के वकील की तरफ से दलील दी गई कि डा. एसके चौहान की जहां भी नियुक्ति हुई, उनका अपने अधिकारियों के प्रति रवैया सही नहीं रहा और उनके आदेशों को भी नहीं मानते। अतिरिक्त एडवोकेट जनरल ने कहा कि इस मामले में सरकार की तरफ से ईओ के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। कोर्ट ने विभिन्न जगहों पर नियुक्ति के समय ईओ के खिलाफ जो भी मामले हैं, उनका रिकार्ड मांगा। साथ ही पूछा कि किसी मामले में ईओ पर चार्जशीट है या नहीं। अगर सरकार चार्जशीट करना चाहे, तो कर सकती है। इसका संबंधित मामले के फैसले पर कोई असर नहीं पड़ेगा।