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जिले में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, 203 में से 141 पद खाली

प्रदेश सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में जिले में स्वास्थ्य सेवाओं में कोई सुधार नहीं हुआ। जींद में करोड़ों रुपये से नागरिक अस्पताल के लिए नए भवन का निर्माण तो पूरा कर दिया गया लेकिन चिकित्सकों की भारी कमी जिले के लोगों को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 16 Apr 2019 07:24 AM (IST)Updated: Tue, 16 Apr 2019 07:24 AM (IST)
जिले में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, 203 में से 141 पद खाली
जिले में स्वास्थ्य सेवाएं बदहाल, 203 में से 141 पद खाली

जागरण संवाददाता, जींद : प्रदेश सरकार के साढ़े चार साल के कार्यकाल में जिले में स्वास्थ्य सेवाओं में कोई सुधार नहीं हुआ। जींद में करोड़ों रुपये से नागरिक अस्पताल के लिए नए भवन का निर्माण तो पूरा कर दिया गया, लेकिन चिकित्सकों की भारी कमी जिले के लोगों को स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं। जिले की करीब 14 लाख पहुंच चुकी है। इतनी आबादी के हिसाब से अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी है। जिले में डॉक्टरों के 203 पद मंजूर हैं, जबकि फिलहाल मात्र 62 डॉक्टर सेवाएं दे रहे हैं। मुख्यालय पर नागरिक अस्पताल में 55 चिकित्सकों के पद स्वीकृत हैं। इनमें से फिलहाल 18 चिकित्सक अपनी सेवाएं दे रहे हैं। नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन लगभग 1500 मरीज अपना इलाज कराने आते हैं। इतने मरीजों को देखने के लिए चिकित्सकों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। केवल दंत विभाग में ही आराम से मरीज देखे जाते हैं, बाकी विभागों में मरीजों को जल्दी-जल्दी देखा जाता है। इसे केवल खानापूर्ति ही कहा जा सकता है। नागरिक अस्पताल की फिजीशियन ओपीडी में इलाज की यह खानापूर्ति रोज होती है। प्रतिदिन इस विभाग में छह सौ के लगभग मरीज आते हैं। अस्पताल में कोई फिजीशियन मौजूद नहीं हैं। इस कारण दो डॉक्टर मरीजों का इलाज करते हैं। एक चिकित्सक करीब तीन सौ मरीजों को देखता है, इस कारण मरीज के साथ केवल खानापूर्ति ही होती है। इसके साथ ही अस्पताल में न तो स्किन स्पेशलिस्ट है और न ही हड्डी रोग विशेषज्ञ। इस कारण यहां आने वाले मरीजों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस कारण यहां आने वाले मरीजों को दूसरे जिलों का रुख करना पड़ता है। जरा सी हालत गंभीर होते ही यहां से मरीज को रेफर कर दिया जाता है।

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एमपीएचडब्ल्यू के सहारे चल रही प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र

जिले में छह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 20 प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र बनाए गए हैं। जहां पर सामुदायिक केंद्रों पर एक-एक डॉक्टर की नियुक्ति की गई है, जबकि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र एमपीएचडब्ल्यू के सहारे चल रही है। इन केंद्रों पर मरीजों प्राथमिक उपचार भी नहीं मिल पाता है और मरीजों को इलाज के लिए मुख्यालय आना पड़ता है। एमपीएचडब्ल्यू मेल 190 पद स्वीकृत होने चाहिए, लेकिन अभी तक 152 पद ही स्वीकृत हैं। 152 में से भी 130 पदों पर ही कर्मचारी तैनात हैं, जबकि 22 पद खाली हैं। यदि जनसंख्या के अनुसार देखा जाए तो रिक्त पदों की संख्या 60 हो जाती है।

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दो सौ बेड का हुआ अस्पताल स्टाफ सौ का भी नहीं

कहने को तो जींद का जिला अस्पताल दो सौ बेड का हो गया है, लेकिन यहां सुविधाएं सौ बेड की भी नहीं हैं। यहां तैनात स्टाफ के स्वीकृत पद भी फिलहाल सौ बेड के अनुसार ही हैं और वे भी पूरी तरह से भरे नहीं हैं। जिले में फीजीशियन चिकित्सक सिर्फ एक है, वह भी जुलाना सीएचसी में तैनात है। आर्थो का भी जिले के चार नागरिक अस्पतालों पर एक ही चिकित्सक है और उन पर ऑपरेशन के साथ ओपीडी संभालने के साथ मेडिकल का दबाव रहता है।

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नागरिक अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी

प्रतिदिन आने वाले नए मरीज 1000

प्रतिदिन पुराने मरीज 320

बीपीएल मरीज 100

गायनी वार्ड में मरीज 200

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अल्ट्रासाउंड में भी कट रही जेब

नागरिक अस्पताल में लंबे समय से रेडियोलॉजिस्ट का पद खाली पड़ा हुआ है, जिस कारण अल्ट्रासाउंड नहीं हो रहे हैं। ऐसे में मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों और लैब में अल्ट्रासाउंड करवाने पड़ रहे हैं, जिसके लिए छह सौ से 1000 रुपये तक जेब कटवानी पड़ रही है। नागरिक अस्पताल प्रशासन की तरफ से सिर्फ गर्भवती महिलाओं को मंगलम लैब में मुफ्त अल्ट्रासाउंड की सुविधा मिल रही है।

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मरीजों को नहीं मिल रही पूरी दवाई

नागरिक अस्पताल में बजट के अभाव में दवाइयों का टोटा बना रहता है। तीन माह पहले तो मुख्यालय से बजट नहीं आने के कारण दवाई सप्लाई करने वाली एजेंसियों ने दवाइयों पर रोक लगा दी थी और अस्पताल में मरीजों को दवाई देने के लिए स्टॉक खत्म हो गया था। अस्पताल प्रशासन की ढाई करोड़ की डिमांड पर मुख्यालय ने 80 लाख का बजट भेजा था। उसके बाद कुछ दिन तो अस्पताल से राहत मिली, लेकिन अब फिर से वहीं हालात बनने शुरू हो गए।

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नहीं हो पाया मेडिकल कॉलेज का निर्माण

सीएम मनोहर लाल ने करीब चार साल पहले जींद में मेडिकल कॉलेज बनाने की घोषणा की थी। इसके लिए गांव हैबतपुर की 24 एकड़ तीन कनाल पंचायती जमीन भी अधिग्रहण कर ली, लेकिन वहां पर चाहरदीवारी के सिवाय काम शुरू नहीं हो पाया है। प्रदेश सरकार अभी तक मेडिकल कॉलेज के लिए डीपीआर भी तैयार नहीं करा पाई है, जबकि मुख्यमंत्री और अन्य मंत्री हर बार जींद दौरे पर कहते हैं कि जल्द मेडिकल कॉलेज का निर्माण शुरू होगा। बजट में भी कॉलेज के लिए राशि अलॉट नहीं की गई।


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