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डाहौला के हरदीप ने किर्गिस्तान के पहलवान को हराया

दिल्ली में हो रही एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में ग्रीको-रोमन स्पर्धा में जींद के डाहौला गांव के हरदीप ढिल्लों ने किर्गिस्तान के पहलवान को पटखनी देते हुए कांस्य पदक पर कब्जा किया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 22 Feb 2020 06:20 AM (IST)Updated: Sat, 22 Feb 2020 06:20 AM (IST)
डाहौला के हरदीप ने किर्गिस्तान के पहलवान को हराया
डाहौला के हरदीप ने किर्गिस्तान के पहलवान को हराया

जागरण संवाददाता, जींद : दिल्ली में हो रही एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में ग्रीको-रोमन स्पर्धा में जींद के डाहौला गांव के हरदीप ढिल्लों ने किर्गिस्तान के पहलवान को पटखनी देते हुए कांस्य पदक पर कब्जा किया। छह मिनट के मुकाबले में हरदीप ने अंतिम क्षणों में किर्गिस्तान के बेकसुल्तान मखमादजानोविच माखमुदोव को पटखनी देते हुए खिताब पर कब्जा किया। हरदीप के कांस्य पदक जीतने पर पूरे गांव में खुशी का माहौल है।

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डाहौला गांव के हरदीप ने 97 किलोग्राम भार वर्ग में किर्गिस्तान के बेकसुल्तान मखमादजानोविच माखमुदोव को 3-1 से हराकर भारत के लिए कांस्य पदक सुनिश्चित किया। 19 फरवरी को हरदीप का मुकाबला था। यहां बता दें कि हरदीप जिले के एकमात्र खिलाड़ी थे, जो एशियाई खेलों में भाग ले रहे थे। ग्रीक रोमन स्पर्धा में स्टेमिना की जरूरत होती है। जिसमें जितना ज्यादा स्टेमिना होगा, उतना ही ज्यादा वह मैदान में टिक पाएगा। हरदीप ने अपने स्टेमिना से किर्गिस्तान के पहलवान को धूल चटाई। अब अगले महीने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई होगा, जिसमें हरदीप भाग लेगा। यहां से सीधे ओलपिक खेलों में हरदीप ढिल्लों दम दिखाएगा।

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ओलंपिक में देश के लिए मेडल लाना ही लक्ष्य : हरदीप

दिल्ली से लौटने पर हरदीप ढिल्लों ने बताया कि उनका लक्ष्य ओलंपिक में देश के लिए मेडल लाना है। उन्हें अफसोस जरूर है कि वह एशियाई खेलों में गोल्ड तक नहीं पहुंच पाए लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी है। 28 से 31 मार्च तक ओलंपिक क्वालीफाई मुकाबले होंगे, जो चीन में होने थे लेकिन कोरोना वायरस की वजह से यह किर्गिस्तान में होने की संभावना है। इसकी तैयारी उन्होंने अभी से शुरू कर दी है। कोच रमेश मलिक के मार्गदर्शन में वह कड़ी मेहनत कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि ओलंपिक में मेडल लाने में वह कामयाब होंगे।

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नेशनल लेवल पर जीत चुके हैं सात गोल्ड मेडल

हरदीप पिछले 15 सालों से कुश्ती के अखाड़े में अपना दम दिखा रहे हैं। उनकी मेहनत का ही परिणाम है कि वह नेशनल लेवल पर सात गोल्ड मेडल, तीन बार कॉमनवेल्थ और दो बार एशियाई खेलों में मेडल ला चुके हैं। एक छोटे से परिवार से निकले हरदीप ढिल्लों आज कुश्ती के खेल में नए आयाम स्थापित कर रहे हैं। वह दिन दूर नहीं, जब ओलंपिक में भी कुश्ती में हरदीप का डंका बजेगा।


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