आधा सत्र बीता, अब खरीदी जाएंगी गणित व विज्ञान की अंग्रेजी माध्यम की किताबें
जागरण संवाददाता, जींद सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार दावे तो क
जागरण संवाददाता, जींद
सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार दावे तो कर रही है, लेकिन धरातल पर काम कुछ नहीं हो रहा है। शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों की लापरवाही के कारण बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है। इसका बड़ा उदाहरण यह है कि शिक्षा विभाग ने जिले के 14 स्कूलों में गणित व विज्ञान विषय अंग्रेजी में पढ़ाने का निर्णय लिया था, लेकिन अब तक बच्चों को अंग्रेजी की किताबें नहीं मिली हैं।
प्रदेश सरकार शैक्षणिक सत्र 2018-19 के शुरू में प्रदेश में 310 स्कूलों में नौवीं कक्षा में गणित व विज्ञान अंग्रेजी माध्यम से शुरू किया था। इसमें जींद जिले के 14 स्कूल शामिल हैं। शिक्षा विभाग की आधी-अधूरी तैयारी के कारण बच्चे इन विषयों की ¨हदी की किताबें पढ़ने को मजबूर हैं। सिर्फ कागजों में खानापूर्ति के लिए ही अंग्रेजी की किताबें लगाई हैं। हद तो यह है कि सितंबर की अर्धवार्षिक परीक्षाएं शुरू हो गई हैं और अब शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों को यह याद आया है कि बच्चों को अंग्रेजी की किताबें उपलब्ध करवानी हैं। वीरवार को माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने गणित व विज्ञान की अंग्रेजी माध्यम की किताबें खरीदने के लिए चयनित स्कूलों को 15-15 हजार रुपये की ग्रांट जारी की। सहायक निदेशक की ओर से जारी निर्देशों में कहा गया है कि बोर्ड आफ सेकेंडरी एजुकेशन के पाठ्य पुस्तक वितरण केंद्रों से यह पुस्तकें खरीदी जाएं। उन केंद्रों पर अंग्रेजी माध्यम की पुस्तक न मिलें तो एनओसी लेकर एनसीईआरटी की किताबें खरीद सकते हैं। अब स्कूलों तक रुपया आने और किताब खरीदने में भी 15-20 दिन निकल जाएंगे। लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि पिछले छह महीने में अंग्रेजी की किताबें न मिलने से बच्चों की पढ़ाई में जो नुकसान हुआ है, उसका जिम्मेदार कौन होगा। --इन स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई
-सफीदों, नरवाना, उचाना मंडी व जींद के गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल, पिल्लूखेड़ा, सफीदों, नरवाना, जुलाना, निडानी, दालमवाला, जींद के डिफेंस कॉलोनी, बडनपुर व मालवी के गवर्नमेंट सीनियर सेकेंडरी स्कूल और जींद बाल आश्रम गवर्नमेंट हाई स्कूल में गणित व विज्ञान विषय अंग्रेजी में पढ़ाए जाने हैं। --सरकारी स्कूलों को ठप कर रही सरकार
सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधारने के लिए सरकार सिर्फ घोषणाएं कर रही है, अमल किसी पर नहीं होता है। आधी-अधूरी तैयारी के साथ गणित व विज्ञान विषयों को अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाने का फैसला ले लिया गया। अब छह महीने बीत जाने के बाद बच्चे न इधर के रहे, न उधर के। सरकार की कार्यप्रणाली से लग रहा है कि वह सरकारी स्कूलों को ठप करने की नीति पर चल रही है।
भूप ¨सह वर्मा, प्रेस प्रवक्ता, हरियाणा विद्यालय अध्यापक संघ