फ्रांस से आया निडाना का गूगल ब्वॉय, गांव को दिखाई उम्मीद की नई राह
जींद के निडाना गांव का गूगल ब्वाॅय फ्रांस से आया तो युवा पीढ़ी को शिक्षा से दूर होता देखा। उसने युवाओं को सही दिशा दिखाने की ठानी। आज उसके प्रयासों से गांव में नई उम्मीद जगी है।
जींद, [कर्मपाल गिल]। शहर से करीब 18 किलोमीटर दूर बसा है गांव निडाना। गांव के कुछ युवा आगे बढ़े, लेकिन हाल के दिनों में नई पीढ़ी के कदम बहकने लगे थे। इसी बीच फ्रांस से गांव का गूगल ब्वाॅय गांव आया तो युवाओं की हालत देख चिंता में पड़ गया। उन्होंने चिंता और चिंतन के बाद एक अन्य युवा के साथ मिलकर नई पीढ़ी के लिए सही दिशा तलाशने की ठानी। गांव के अन्य युवाओं को साथ लेकर चंदा एकत्रित किया और लाइब्रेरी खोल दी। नतीजतन एक बार फिर से यहां के बच्चों और किशोरों का किताबों से नाता जुड़ने लगा है। लाइब्रेरी खोलने की पहल करने वाले फूल सिंह फिलहाल फ्रांस में गूगल कंपनी के सर्च इंजन में जॉब करते हैं, जबकि पवन मलिक शिक्षक हैं। इससे वे गांव को उम्मीद की नई राह दिखा रहे हैं।
भटक रहे युवाआें को सही राह दिखाने के लिए खोली लाइब्रेरी
पवन ने बताया कि एक दिन फोन पर फूल सिंह से गांव के विकास पर चर्चा हो रही थी। विचार किया गया कि अपने गांव के लिए क्या कर सकते हैं? युवा पीढ़ी को सही राह दिखाने के लिए पहली जरूरत गांव में लाइब्रेरी खोलने की थी, जहां बच्चे पढ़ सकें, एक दूसरे से कुछ समझ सकें। आगे बढ़ने की राह मिली तो गांव के अन्य नौकरीपेशा युवाओं से संपर्क साधा गया। साथ मिलकर चंदा एकत्रित किया गया। देखते ही देखते 70 हजार रुपये एकत्रित हो गए। उन्हाेंने बताया कि लाइब्रेरी खोलने के लिए जगह नहीं थी, तो किराये पर मकान ले लिया। दो मंजिला मकान को रंग-रोगन कर फर्नीचर से सजाया गया।
यूं पड़ा दादा खेड़ा लाइब्रेरी नाम
पूरे गांव में दादा खेड़ा (ग्राम देवता) की मान्यता है, इसलिए लाइब्रेरी का नाम भी दादा खेड़ा लाइब्रेरी रखा गया। संचालन के लिए दादा खेड़ा वेलफेयर ट्रस्ट बनाकर उसे रजिस्टर्ड करवा दिया गया। युवाओं की इस पहल को आगे बढ़ाते हुए पंचायत ने भी तीन कनाल जमीन में लाइब्रेरी बनाने का प्रस्ताव पास कर दिया है। जिला उपायुक्त अमित खत्री ने मार्च के पहले सप्ताह में 600 किताबों के साथ लाइब्रेरी का उद्घाटन कर दिया है। शिक्षिका सुनीता मलिक और पवन ने भी लाइब्रेरी को 100-100 किताबें दान दी हैं।
गांव की लाइब्रेरी में पढ़ते बच्चे।
लाइब्रेरी के संचालन के लिए गांव के युवाओं को नौकरी पर रखा गया है। इसमें एक महिला भी शामिल है। सुबह छह से दोपहर 11 बजे तक लड़कों और 11 से शाम पांच बजे तक लड़कियों के लिए और शाम पांच से रात 10 बजे तक फिर लड़कों के लिए लाइब्रेरी को खोला जाएगा। विद्यार्थियों की सुविधा के लिए इंवर्टर की व्यवस्था भी की गई है।
इन्होंने किया सहयोग
युवाओं के लिए लाइब्रेरी खोलने के लिए फूल कुमार और पवन मलिक ने कदम आगे बढ़ाए और शिक्षिका सुनीता मलिक, इंजीनियर संदीप, दिल्ली पुलिस में तैनात विकास और खनन विभाग में कार्यरत सुखबीर व कुछ अन्य लोग हमराह बने। चंदा एकत्रित करने के लिए नौ युवाओं की टीम बनाई गई है।