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कंक्रीट से होगा घासो माइनर का निर्माण, अंतिम टेल तक पहुंचेगा पूरा नहरी पानी

घासो से झील गांव तक जाने वाली घासो माइनर को कंक्रीट की बनाने के लिए सीएम घोषणा में शामिल करने की मंजूरी सीएम हाउस से मिल चुकी है। काफी लंबे समय से झील सहित इस माइनर पर आने वाले गांवों के किसानों द्वारा घासो माइनर को कंक्रीट की बनाने की मांग की जाती रही थी ताकि माइनर की टेल तक पूरा पानी किसानों को अपनी फसल के लिए मिले।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 06:00 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 06:00 AM (IST)
कंक्रीट से होगा घासो माइनर का निर्माण, अंतिम टेल तक पहुंचेगा पूरा नहरी पानी
कंक्रीट से होगा घासो माइनर का निर्माण, अंतिम टेल तक पहुंचेगा पूरा नहरी पानी

संवाद सूत्र, उचाना : घासो से झील गांव तक जाने वाली घासो माइनर को कंक्रीट की बनाने के लिए सीएम घोषणा में शामिल करने की मंजूरी सीएम हाउस से मिल चुकी है। काफी लंबे समय से झील सहित इस माइनर पर आने वाले गांवों के किसानों द्वारा घासो माइनर को कंक्रीट की बनाने की मांग की जाती रही थी, ताकि माइनर की टेल तक पूरा पानी किसानों को अपनी फसल के लिए मिले। अब इस माइनर के कंक्रीट की बनाने के लिए सीएम ऑफिस से मंजूरी मिलने के बाद नहरी विभाग प्रोजेक्ट एस्टीमेट बनाने में लग गया है। प्रोजेक्ट एस्टीमेट बना कर विभाग को अब भेजे जाएंगे, ताकि इसके निर्माण को लेकर आगामी कार्रवाई हो। अंतिम टेल तक पहुंचेगा पानी

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बरसोला फीडर की राइट साइड 15500 नंबर से घासो माइनर जाती है। यह घासो कलां, घासो खुर्द के अलावा भगवानपुरा, झील तक जाती है। 1980-81 में इस माइनर का निर्माण हुआ था। यह माइनर कई जगह से ईंट उखड़ने के चलते कच्ची है तो पानी ओवरफ्लो होने से माइनर कई बार टूट भी चुकी जिससे किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। जगह-जगह से कच्ची होने के चलते घास उगने के चलते बार-बार इसकी सफाई भी करवानी पड़ती थी लेकिन इसके बाद भी अंतिम टेल तक पूरा पानी नहीं पहुंच पाता था। इस माइनर पर करीब 1500 एकड़ जमीन चार गांवों की आती है। 9275 मीटर की लंबाई वाली इस माइनर को कंक्रीट की बनाने पर एक अनुमान के अनुसार 60 लाख रुपए के आस-पास की लागत खर्च होगी। डिप्टी सीएम से की थी मांग

नसीब, बलजीत, राजेश, नरेश ने कहा कि 40 साल पहले माइनर का निर्माण हुआ था। कंक्रीट की माइनर बनाने की मांग डिप्टी सीएम से की थी। माइनर को बने काफी समय होने के चलते काफी जगह से ईट उखड़ने के चलते कच्ची है। यहां पर घास-फूंस उगने के चलते नहरी पानी भी कम होता रहता है। माइनर में पानी ओवर फ्लो होने से टूटने का डर रहता है तो चूहों द्वारा इसमें बिल बनाने से माइनर टूटती भी रहती है। अब कंक्रीट की बनने के बाद न तो घास-फूंस उगेगा, न ही माइनर टूटने की समस्या से किसानों को परेशानी होगी। टेल तक पानी पहुंचेगा। सीएम ऑफिस से मिली मंजूरी

घासो माइनर को कंक्रीट की बनाने के लिए सीएम घोषणा में शामिल कर इसको लेकर मंजूरी सीएम हाऊस से मिल चुकी है। माइनर का निर्माण काफी पहले हुआ था। कई जगह से माइनर कच्ची भी है। अब कंक्रीट की बनाने को लेकर प्रोजेक्ट एस्टीमेट बना कर विभाग के उच्चाधिकारियों को भेजा जाएगा।

- शमशेर, एसडीओ, नहरी विभाग, उचाना।


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