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कृषि कानूनों का विरोध: हाट में पशु मेला व घासो खुर्द में निशानदेही रुकवाई

केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में अब ग्रामीणों ने सरकारी कार्यक्रमों का बहिष्कार भी शुरू कर दिया है। सोमवार को गांव हाट में लगने वाले पशु मेले का ग्रामीणों ने डटकर विरोध किया तथा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी।

By JagranEdited By: Published: Tue, 12 Jan 2021 07:20 AM (IST)Updated: Tue, 12 Jan 2021 07:20 AM (IST)
कृषि कानूनों का विरोध: हाट में पशु मेला व घासो खुर्द में निशानदेही रुकवाई
कृषि कानूनों का विरोध: हाट में पशु मेला व घासो खुर्द में निशानदेही रुकवाई

संवाद सूत्र, सफीदों: केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीन कृषि कानूनों के विरोध में अब ग्रामीणों ने सरकारी कार्यक्रमों का बहिष्कार भी शुरू कर दिया है। सोमवार को गांव हाट में लगने वाले पशु मेले का ग्रामीणों ने डटकर विरोध किया तथा सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी शुरू कर दी।

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सोमवार सुबह एससीपीओ मनजीत खर्ब की अगुवाई में बीडीपीओ कार्यालय की टीम पशु मेला आयोजित करवाने के लिए गांव हाट पहुंची। टीम के आने की सूचना पाकर मौके पर ग्रामीण आ धमके और उन्होंने पशु मेले का विरोध करते हुए सरकार के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। अधिकारियों ने सरकार के आदेशों का हवाला देकर ग्रामीणों को समझाने का प्रयास किया, लेकिन ग्रामीणों ने उनकी एक नहीं सुनी। ग्रामीणों ने साफ किया कि जब तक सरकार तीनों काले कानूनों को वापिस नहीं ले लेती तब तक गांव हाट में कोई भी सरकारी प्रोग्राम आयोजित होने नहीं दिया जाएगा। ग्रामीणों के आगे अधिकारियों की एक ना चली और उन्होंने बैरंग लौटाना ही मुनासिब समझा। जिओ डिजिटल लाइफ के बाहर दिया था किसानों ने धरना

कृषि कानूनों का विरोध हाट गांव के ग्रामीणों ने पहली बार नहीं किया है बल्कि इससे पूर्व वे गांव में स्थित जिओ डिजिटल लाइफ के बाहर धरना दे चुके हैं। किसानों ने जियो डिजिटल लाइफ के बाहर धरना देते हुए सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की थी और किसानों के विरोध को देखते हुए इस सेंटर के संचालक को अपना कार्यालय बंद करना पड़ा था। सत्तासीन नेताओं के गांव में न घुसने के लग चुके है बैनर

सफीदों के गांवों में किसानों ने सत्ताधारी गठबंधन के नेताओं के बहिष्कार की बात कहनी शुरू कर दी है और गांवों में बहिष्कार के बैनर भी लगने शुरू हो गए है। कई सिख बाहुल्य गांवों में किसान एकता जिदाबाद के स्लोगन के साथ पोस्टर चस्पा किए गए हैं, जिनमें हरियाणा के सत्ताधारी भाजपा-जजपा गठबंधन के नेताओं के पूर्ण बहिष्कार की बात कही गई है। गांव मलिकपुर में लगे पोस्टर पर लिखा है कि जो किसानों की मांगों का समर्थन करेगा या उनके साथ खड़ा होगा वहीं गांव में प्रवेश कर सकेगा। घासो खुर्द में लाल डोरा मुक्त करने को लेकर निशानदेही रुकवाई

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संवाद सूत्र, उचाना : कृषि कानूनों के विरोध में चल रहा किसानों का आंदोलन अब स्थानीय स्तर पर भी सरकार के गले की फांस बनने लगा है। सोमवार को उचाना के घासो और सफीदों के हाट गांव में सरकारी काम यह कहकर रुकवा दिए गए कि जब तक कृषि कानून रद नहीं किए जाते, गांव में कोई भी सरकारी कार्य या कार्यक्रम नहीं होने दिया जाएगा। उचाना के घासो खुर्द गांव को लाल डोरा मुक्त करने की खातिर ड्रोन के जरिए मैपिग का काम और निशानदेही करवाई जा रही थी। घासो के लोगों ने एकत्रित होकर बैठक की और यह फैसला लिया गया कि जब तक कृषि कानून वापस नहीं जाते या किसान आंदोलन समाप्त नहीं होता, तब तक गांव में कोई भी सरकारी कार्यक्रम या फिर दूसरा सरकारी काम नहीं होगा। गांव के कलीराम, रामस्वरूप, राजबीर, सुखपाल, सतपाल, अमित, महासिंह, ईश्वर, संदीप, भूप सिंह, सुभाष ने कहा कि कृषि कानूनों के चलते सरकार के विरोध के कारण ही ग्रामीण जमीन की निशानदेही नहीं करवाना चाहते।


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