गांगोली ने कांग्रेस की टिकट लेकर चौंकाया, कुंडू लाए जेजेपी की चाबी, देशवाल नहीं लड़ेंगे चुनाव
विधानसभा चुनाव की बिसात अब बिछ चुकी है। भाजपा कांग्रेस जेजेपी व इनेलो ने जिले की पांचों सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। भाजपा ने सफीदों से बचन सिंह आर्य को टिकट देकर चौंकाया था तो अब कांग्रेस ने समाजसेवी सुभाष देशवाल गांगोली को टिकट थमाकर सबको हैरान कर दिया। सुभाष गांगोली लंबे समय से सफीदों हलके में सक्रिय हैं।
कर्मपाल गिल, जींद
विधानसभा चुनाव की बिसात अब बिछ चुकी है। भाजपा, कांग्रेस, जेजेपी व इनेलो ने जिले की पांचों सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। भाजपा ने सफीदों से बचन सिंह आर्य को टिकट देकर चौंकाया था तो अब कांग्रेस ने समाजसेवी सुभाष देशवाल गांगोली को टिकट थमाकर सबको हैरान कर दिया। सुभाष गांगोली लंबे समय से सफीदों हलके में सक्रिय हैं। जेजेपी ने सफीदों हलके से जसबीर देशवाल के बजाय दयानंद कुंडू को ही टिकट दी है। वहीं, भाजपा के बाद जेजेपी से भी टिकट न मिलने से नाराज जसबीर देशवाल ने चुनाव लड़ने से ही मना कर दिया है। कांग्रेस में सक्रिय रहे राजबीर शर्मा ने भी निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।
सफीदों हलके में हर रोज नई सियासी पटकथा लिखी जा रही है। करीब एक माह पहले निर्दलीय विधायक जसबीर देशवाल के भाजपा में शामिल होने के बाद उनकी टिकट पक्की मानी जा रही थी, लेकिन कृष्णपाल गुर्जर, रमेश कौशिक व संजय भाटिया की बदौलत बचन सिंह आर्य टिकट ले आए। इसके बाद जसबीर देशवाल ने भाजपा को छोड़ने की घोषणा कर दी और मंगलवार को दिल्ली में जेजेपी नेता दुष्यंत सिंह चौटाला से मिले। सूत्रों के अनुसार देशवाल की टिकट भी पक्की हो गई थी और सफीदों से टिकट के दावेदार कृष्ण राठी व दयानंद कुंडू भी उनके नाम पर सहमत हो गए थे। लेकिन बुधवार सुबह दयानंद कुंडू फिर दिल्ली पहुंच गए और खुद टिकट के लिए अड़ गए। देर रात तक उन्हें मनाने की कोशिशें चलती रही, लेकिन वह टिकट के लिए अड़े रहे। आखिर में वीरवार सुबह जेजेपी की तीसरी सूची में दयानंद कुंडू को ही सफीदों से प्रत्याशी बना दिया। वहीं, समाजसेवी सुभाष देशवाल गांगोली ने कांग्रेस की टिकट लेकर सबको चकित कर दिया। गांगोली ने लंबे से किसी पार्टी का झंडा लिए बिना चुनाव लड़ने की तैयारी शुरू कर दी थी। करीब दो साल से उन्होंने सफीदों हलके में निश्शुल्क रूप से दो बसें चला रखी हैं। ये बसें सफीदों के सभी गांवों को कवर करते हुए पीजीआई खानपुर जाती हैं। अब अचानक कांग्रेस की टिकट लाकर गांगोली ने कई नेताओं के समीकरण बिगाड़ दिए। सफीदों से कर्मवीर सैनी व रविद्र देशवाल चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे। ये दोनों हुड्डा गुट में सक्रिय थे। अब गांगोली को टिकट मिलने के बाद कर्मवीर सैनी के अगले कदम पर सबकी निगाहें टिक गई हैं।
दो बार सियासत के शिकार हुए जसबीर देशवाल
उत्तर भारत के बड़े हैचरी किग जसबीर देशवाल सफीदों से वर्ष 2014 में मोदी लहर में निर्दलीय विधायक बने थे। तब उन्होंने भाजपा प्रत्याशी वंदना शर्मा को कड़े मुकाबले में हराया था। विधायक बनने के बाद देशवाल ने पहले दिन से भाजपा को समर्थन दे रखा था। मुख्यमंत्री के साथ भी उनकी अच्छी ट्यूनिग चल रही थी। खुद मुख्यमंत्री ने ही उन्हें भाजपा में शामिल कराया था। अब टिकट के लिए भी मुख्यमंत्री उनकी पैरवी कर रहे थे, लेकिन कृष्णपाल गुर्जर के मार्फत बचन आर्य टिकट ले आए। भाजपा से टिकट न मिलने के बाद समर्थकों ने देशवाल पर जेजेपी की टिकट से चुनाव लड़ने का दबाव डाला। इसके बाद देशवाल की दुष्यंत से मुलाकात हुई। सूत्रों के अनुसार दुष्यंत उन्हें टिकट देने पर सहमत हो गए थे। वहीं, कांग्रेस भी जसबीर देशवाल को टिकट देना चाह रही थी। लेकिन जसबीर की प्राथमिकता जेजेपी ही थी। पुख्ता सूत्रों के मुताबिक बुधवार देर रात तक कांग्रेस जसबीर को अपने पाले में लाना चाहती थी। लेकिन जेजेपी से मिले आश्वासन के कारण देशवाल ने कांग्रेस को मना कर दिया। इस कारण बुधवार देर रात कांग्रेस ने सुभाष गांगोली को टिकट दे दिया। जबकि वीरवार सुबह जेजेपी की लिस्ट जारी हुई तो उसमें सफीदों से जसबीर देशवाल की जगह दयानंद कुंडू का नाम देखकर खुद विधायक देशवाल व उनके समर्थकों को बड़ा झटका लगा। दो बार सियासत के शिकार हुए जसबीर देशवाल ने वीरवार को समर्थकों की बैठक में कहा कि भाजपा से बड़ा झटका जेजेपी से मिला है। अब वे निर्दलीय भी चुनाव नहीं लड़ेंगे।
कांग्रेस के बागी कर्मवीर सैनी आज निर्दलीय नामांकन करेंगे
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सफीदों विधानसभा से कांग्रेस की टिकट नहीं मिलने से नाराज कर्मवीर सैनी के समर्थकों ने वीरवार को वीर भवन में बैठक की। इसमें फैसला लिया गया कि कर्मवीर सैनी निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। कर्मवीर सैनी ने समर्थकों का फैसला स्वीकार करते हुए कहा कि उनके समर्थक ही उनके लिए सब कुछ हैं। कर्मवीर सैनी के समर्थकों ने कांग्रेस के खिलाफ रोष जताते हुए कहा कि इतनी मेहनत करने के बावजूद भी सैनी को टिकट नहीं दी गई। समर्थकों ने कहा कि सफीदों विधानसभा क्षेत्र से कर्मवीर सैनी को कांग्रेस की टिकट मिलती तो वह भारी मतों से विजयी होते। इस पर सभी ने फैसला किया कि वे अपने नेता का निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल करवाएंगे। कर्मवीर सैनी से पत्रकारों से बातचीत में कहा कि समर्थकों ने जो फैसला लिया है, उसे मानते हुए शुक्रवार को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। भविष्य में जो भी फैसले लिए जाएंगे, वह भी समर्थकों द्वारा ही लिए जाएंगे।