दिल्ली बॉर्डर पर एक घर से जाए एक व्यक्ति, इसके लिए प्रेरित करेंगी खापें
खटकड़ टोल धरने पर मंगलवार को सर्व समाज सर्व खाप की महापंचायत हुई। इस महापंचायत में भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने हिस्सा लिया। सांकेतिक भूख हड़ताल पर नफे सिंह बड़ौदी जिले सिंह तारखां सुमित घासो कलां बलजोर बरसोला मेवा सिंह मोहनगढ़ छापड़ा रहे।
संवाद सूत्र, उचाना : खटकड़ टोल धरने पर मंगलवार को सर्व समाज सर्व खाप की महापंचायत हुई। इस महापंचायत में भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी, किसान नेता अभिमन्यु कोहाड़ ने हिस्सा लिया। सांकेतिक भूख हड़ताल पर नफे सिंह बड़ौदी, जिले सिंह तारखां, सुमित घासो कलां, बलजोर बरसोला, मेवा सिंह मोहनगढ़ छापड़ा रहे। महापंचायत में सर्वसम्मति से छह फैसले लिए गए। हर घर से एक व्यक्ति दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचे। इसके लिए गांव-गांव, घर-घर जाकर प्रेरित किया जाएगा। 25 अप्रैल को भाजपा का प्रस्तावित कार्यक्रम जींद में होता है, तो इसका विरोध किया जाएगा। यह कार्यक्रम भाजपा आयोजित न करे, इसको लेकर 21 अप्रैल को डीसी को ज्ञापन भी किसान नेता देंगे। आगजनी से जली फसल का मुआवजा सरकार दे, क्षति पूर्ति कानून जो सरकार लेकर आई है उसको रद किया जाए, सभी किसान, मजदूर अपने मकानों, वाहनों पर राजनीतिक दल का झंडा न लगाकर किसान यूनियन का झंडा लगाएं, खाप पंचायत प्रतिनिधि किसानों के साथ टीम बना कर गांव-गांव जाकर आंदोलन को लेकर एक घर से एक व्यक्ति की हिस्सेदारी दिल्ली बॉर्डर पर पहुंचने के लिए प्रेरित करेंगे।
सरकार कोरोना संक्रमण के नाम पर अगर आंदोलन कर रहे किसानों के धरनों के साथ किसी तरह की छेड़छाड़ करती है और कोई नुकसान होता है, तो इसका जिम्मेदार सरकार व प्रशासन होगा। इस मौके पर रघुबीर नैन, फकीर चंद, दिलबाग पिल्लुखेड़ा, टेकराम कंडेला, महेंद्र सिंह रढ़ाल, समुंद्र सिंह लाठर, सोमदत्त शर्मा, चंद्र चहल, कुलदीप ढांडा, सरजीत बड़ौदा, उदयवीर बरसोला, कुलदीप सरपंच, कविता सरपंच मौजूद रहे।
कृषि कानूनों की पहली मार गरीब पर पड़ेगी
गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि सरकार की मंशा किसानों के खिलाफ है। जो सर्व समाज, सर्व खाप ने फैसले लिए हैं, किसान उसके साथ है। कृषि विरोधी तीनों कानूनों की सबसे पहली मार अगर पड़ेगी, तो वो गरीब पर पड़ेगी। इन कानूनों को रद करवाने की मांग को लेकर चार महीनों से दिल्ली बॉर्डर पर किसान शांतिपूर्वक धरना दे रहे हैं। सरकार की मंशा कई बार जवान, किसान को लड़वाने की हो चुकी है। किसान आज अपना हक सरकार से मांग रहा है।
कानूनों पर खुले मंच पर हो बहस
सतबीर पहलवान, आजाद पालवां ने कहा कि जब तक किसान आंदोलन चलेगा। जजपा, भाजपा नेताओं का विरोध करने का फैसला लिया गया है। क्यों जानबूझ कर सरकार कार्यक्रम कर रही है। अभिमन्यु कोहाड़ ने कहा कि केंद्र सरकार तीनों कानूनों को किसान हित में बता रही है। ये कानून अगर किसान हित में हैं, तो हम इन कानूनों पर बहस को तैयार हैं। केंद्र सरकार इन कानूनों पर खुले मंच से बहस कर बताए कि कैसे इन कानूनों से किसान को फायदा होगा।
देश के विकास के लिए किसानों की मांगें माने सरकार: कंडेला
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सर्वजातीय खाप पंचायतों के राष्ट्रीय संयोजक चौ. टेकराम कंडेला ने कहा कि प्रधानमंत्री देश का विकास करना चाहते हैं तो तुरंत किसानों की सभी मांगें माननी चाहिए। केंद्र सरकार को किसान मोर्चे के साथ बात करके जल्द आंदोलन को समाप्त करवाना चाहिए। सरकार कोरोना की आड़ में आंदोलन दबाने की कोशिश करेगी तो इसके भयंकर परिणाम देखने को मिलेंगे। कंडेला ने कहा कि तीनों कानून वापस होने पर ही आंदोलन खत्म होगा। पूरे उत्तरी भारत की खाप पंचायतें किसानों के साथ हैं। जब तक आंदोलन चलेगा हम तन-मन-धन से सहयोग करेंगे।