ड्रॉप आउट बच्चों को मुख्य धारा में लाने के लिए 4 ट्रेनिग स्कूल शुरू
बिजेंद्र मलिक जींद झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों के बच्चे जो स्कूल नहीं किसी कारण से पढ़ाई बीच में छोड़ गए हैं। जिले से ऐसे 100 ड्रॉप आउट बचों की पहचान कर उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए प्रदेश सरकार के सहयोग से हुमाना पीपल टू पीपल इंडिया संस्था काम कर रही है।
बिजेंद्र मलिक, जींद
झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों के बच्चे, जो स्कूल नहीं जाते या किसी कारण से पढ़ाई बीच में छोड़ गए हैं। जिले से ऐसे 100 ड्रॉप आउट बच्चों की पहचान कर उन्हें मुख्य धारा में लाने के लिए प्रदेश सरकार के सहयोग से हुमाना पीपल टू पीपल इंडिया संस्था काम कर रही है। जिले में पिछले साल 22 दिसंबर को चार ट्रेनिग स्कूल शुरू किए गए हैं। जिनमें इन बच्चों को ट्रेनिग दी जा रही है। नए शैक्षणिक सत्र में इन बच्चों को उम्र के अनुसार सरकारी स्कूलों में संबंधित कक्षा में दाखिला दिलाया जाएगा। अभी इन्हें पहाड़े, गिनती, अक्षर ज्ञान दिया जा रहा है और जिस कक्षा में दाखिला दिलाया जाना है, उसी के हिसाब से इन बच्चों को तैयार किया जाएगा। समग्र शिक्षा अभियान के जिला परियोजना अधिकारी जगदीश चंद्र ने बताया कि जींद शहर में टपरीवास कालोनी में, आश्रम बस्ती में और हनुमान नगर में सरकारी स्कूल में ये ट्रेनिग स्कूल चल रहे हैं। छातर गांव में एक भट्ठे पर ट्रेनिग स्कूल चल रहा है।
गरीबी के कारण कूड़ा बीनने, भीख मांगने में लगा देते अभिभावक
शहर में पुराना हांसी रोड पर टपरीवास कालोनी में झुग्गी-झोपड़ियों में काफी गरीब परिवार रहते हैं। गरीबी की वजह से बहुत से अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने की बजाय उन्हें कूड़ा बीनने, भीख मांगने जैसे काम में लगा देते हैं। इससे मिलने वाले प्रतिदिन 50 से 100 रुपये के लालच में अभिभावक अपने बच्चों को शिक्षा से वंचित रखते हैं। खुद भी अनपढ़ होने के साथ वे अपने बच्चों को भी अज्ञानता के अंधेरे से निकलने देते। जो उनके जीवन स्तर के सुधरने में बड़ी बाधा है।
बोल-चाल और व्यवहार का नहीं पता
जिला समग्र शिक्षा अभियान कार्यालय के साथ मिल कर संस्था ने जिन बच्चों की पहचान की है। उनमें से कुछ बच्चों की उम्र पांच साल से ज्यादा हो चुकी है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से उनका दाखिला नहीं कराया गया। कुछ बच्चे पांचवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ चुके हैं। वहीं कुछ ऐसे बच्चे भी हैं, जो 10 साल के हो चुके हैं। लेकिन कभी स्कूल नहीं गए। जिन्हें व्यवहार और बोल-चाल का ढंग नहीं पता है। ट्रेनिग में उन्हें एक-दूसरे से कैसे व्यवहार और बातचीत करनी है। ये सिखाया जाएगा।
अभिभावक नहीं लेते रुचि, खुद घर से बुलाकर लाते हैं बच्चों को
ट्रेनर संदीप शर्मा ने बताया कि एक ट्रेनिग स्कूल में 25 बच्चों को पढ़ाया जा रहा है। एक समय में 12 से 13 बच्चों को पढ़ाते हैं। कुछ अभिभावक बच्चों को भेजने में रुचि नहीं लेते। इसलिए वह प्रतिदिन बच्चों को लाने के लिए उनके घर जाते हैं। कुछ लड़कियां 13 से 14 साल की हैं। जिन्हें अभिभावकों ने पढ़ाई छुड़वा कर घरेलू काम में लगा दिया था। इन बच्चों को अक्षर ज्ञान के साथ-साथ माता-पिता व छोटे-बड़ों से व्यवहार कैसे करना है। ये भी सिखाया जा रहा है।
देशभर में काम कर रही संस्था
हुमाना पीपल टू पीपल इंडिया के जिला कॉर्डिनेटर संदीप कुमार ने बताया कि उनकी संस्था देशभर में काम कर ही है। हरियाणा में साल 2015 में संस्था ने प्रदेश सरकार के साथ मिलकर काम शुरू किया था। हरियाणा स्कूल परियोजना परिषद पंचकूला ये संचालित करता है। भट्ठों पर काम करने वाले परिवारों और झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वाले परिवारों के बच्चे, जो पढ़ नहीं रहे। उनकी पहचान कर स्कूलों में दाखिला कराया जाता है। प्रदेशभर में ऐसे करीब 350 ट्रेनिग स्कूल चल रहे हैं।