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दो साल से स्वीमिग पूल तैयार, पंप इंस्टॉलेशन के लिए बढ़े बजट को नहीं मिली मंजूरी

सेक्टर नौ में बना स्वीमिग पूल पंप इंस्टॉल न होने के कारण दो साल बीतने के बावजूद शुरू नहीं हो सका है। पंप इंस्टॉलेशन का काम विभागीय मंजूरी न मिलने की वजह से अटका हुआ है। इससे दो साल पहले बन कर तैयार हुआ स्वीमिग पूल जर्जर हो रहा है।

By JagranEdited By: Published: Tue, 09 Apr 2019 07:13 AM (IST)Updated: Tue, 09 Apr 2019 07:13 AM (IST)
दो साल से स्वीमिग पूल तैयार, पंप इंस्टॉलेशन के लिए बढ़े बजट को नहीं मिली मंजूरी
दो साल से स्वीमिग पूल तैयार, पंप इंस्टॉलेशन के लिए बढ़े बजट को नहीं मिली मंजूरी

जागरण संवाददाता, जींद : सेक्टर नौ में बना स्वीमिग पूल पंप इंस्टॉल न होने के कारण दो साल बीतने के बावजूद शुरू नहीं हो सका है। पंप इंस्टॉलेशन का काम विभागीय मंजूरी न मिलने की वजह से अटका हुआ है। इससे दो साल पहले बन कर तैयार हुआ स्वीमिग पूल जर्जर हो रहा है। शहर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्वीमिग पूल बनाने की घोषणा हुड्डा सरकार के समय हुई थी और अगस्त, 2014 में निर्माण के लिए काम अलॉट हुआ था। 2017 में स्वीमिग पूल तैयार कर हुडा ने इसे खेल विभाग को हैंडओवर करना था। निर्माण के लिए शुरुआत में 3.87 करोड़ रुपये का बजट मंजूर किया गया था, लेकिन बाद मैकेनिकल का काम बढ़ने के कारण बजट बढ़ गया। पूल में पानी डालने-निकालने और साफ करने के लिए पंप सेट लगाए जाने हैं। जिस पर करीब एक करोड़ रुपये खर्च होने हैं। बढ़ी हुई राशि की मंजूरी लेनी होती है। उसके बाद बजट जारी होता है। स्थानीय हुडा अधिकारियों का कहना है कि मंजूरी के लिए फाइल मुख्यालय भेजी हुई है। वहां से मंजूरी मिलनी है। ठेकेदार का कहना है कि जब तक बजट की मंजूरी नहीं मिल जाती, तब तक पंप इंस्टॉलेशन का काम नहीं किया जाएगा।

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हालत खस्ता, गेट टूटा हुआ है

लंबे समय से बगैर उपयोग के स्वीमिग की हालत खस्ता है। यहां बनाए चेंज रूम और अन्य भवन बिना उपयोग के ही जर्जर हो रहे हैं। जगह-जगह गंदगी के ढेर लगे हैं। गेट टूटा हुआ है और उसकी जगह लोहे की अलमारी रखा गया है, ताकि कोई बाहरी व्यक्ति अंदर न जा सके। यहां बने हुए एक कमरे में मजदूरों ने डेरा डाला हुआ है।

स्वीमिंग पूल बन कर तैयार है और पंप इंस्टॉल किया जाना बाकी है। पहले करीब चार करोड़ बजट इसके लिए मंजूर हुआ था, लेकिन बाद में काम बढ़ने से लागत एक करोड़ और बढ़ गई। बढ़े हुए बजट की एन्हांसमेंट करानी जरूरी होती है। इसके लिए फाइल मुख्यालय भेजी हुई है। वहां से मंजूरी कब मिलेगी, इसके बारे में पता नहीं है। यह मामला मेरे लेवल का नहीं है।

विनोद कुमार गुप्ता, एसडीओ, हुडा।


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