कृषक प्रशिक्षण केंद्र सच्चाखेड़ा महिलाओं व किसानों को प्रशिक्षित कर बना रहा आत्मनिर्भर
महा¨सह श्योरान, नरवाना : सच्चाखेड़ा गांव स्थित पंजाब नेशनल बैंक के तत्वावधान संचालित हरियाणा का एकमात्र कृषक प्रशिक्षण केंद्र महिलाओं और किसानों को प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। अब तक यहां से दो लाख 54 हजार 495 किसान पशु पालन, मधुमक्खी पालन समेत विभिन्न व्यवसाय के लिए लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। महिलाएं भी साबुन
महा¨सह श्योरान, नरवाना : सच्चाखेड़ा गांव स्थित पंजाब नेशनल बैंक के तत्वावधान संचालित हरियाणा का एकमात्र कृषक प्रशिक्षण केंद्र महिलाओं और किसानों को प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में काम कर रहा है। अब तक यहां से दो लाख 54 हजार 495 किसान पशु पालन, मधुमक्खी पालन समेत विभिन्न व्यवसाय के लिए लोग प्रशिक्षण प्राप्त कर चुके हैं। महिलाएं भी साबुन बनाने, आचार, जैम, सिलाई-कढ़ाई का यहां से निश्शुल्क प्रशिक्षण लेकर अपना खुद का रोजगार शुरू रही हैं। इस प्रशिक्षण केंद्र का शिलन्यास 3 जनवरी, 2003 को तत्कालीन मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला ने किया था। 20 एकड़ में बने इस प्रशिक्षण केंद्र में किसानों को कृषि संबंधी जानकारी, बागवानी संबंधी जानकारी युवाओं के कौशल को उभारना, महिलाओं को सिलाई और कढ़ाई प्रशिक्षण, कंप्यूटर का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। बैंक से हिसार के कृषि विश्वविद्यालय समझौते के तहत विश्वविद्यालय रोज कृषि और उनसे संबंधित विशेषज्ञों की सेवाएं प्रदान करता है। केंद्र पर सप्ताह में एक बार महिलाओं के लिए निश्शुल्क स्वास्थ्य चिकित्सा के साथ ही यहां किसान मेला, औषधीय पौधों के प्रदर्शनी प्लांट किसानों को पूरी जानकारी दी जाती है। आदर्श गांव कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्र में प्रौढ़ शिक्षा केंद्र, होम्योपैथिक औषधालय, पुस्तकालय आदि स्थापित किए गए हैं। स्वरोजगार के लिए प्रशिक्षण के साथ ही न्यूनतम दरों पर ऋण भी दिलाया जाता है। केंद्र निदेशिका किरण कुमारी ने बताया कि कृषक प्रशिक्षण केंद्र का उद्देश्य है कि ज्यादा से ज्यादा किसान इसका लाभ उठाएं। महिलाओं के लिए सिलाई और कढ़ाई के अतिरिक्त उन्हें साबुन बनाना, मोमबती बनाना, दूध से बने पदार्थो आदि के लिए लघु उद्योग लगाने के लिए मार्गदर्शन किया जाता है। इसके लिए बैंक द्वारा ऋण देने का प्रावधान किया है। जहां तक अपना व्यवसाय चालू करने की बात है। प्रशिक्षण प्राप्त पुरुष और महिलाओं में से कम से कम पांच प्रतिशत व्यक्ति तो अपना स्वयं का व्यवसाय चुन ही रहे हैं।