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किसानों ने छह जगह रेलवे ट्रैक पर दिया धरना, नरवाना में सात घंटे खड़ी रही कोटा-कटड़ा एक्सप्रेस

संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आंदोलनकारी किसानों ने दिल्ली-फिरोजपुर रेलवे लाइन पर सुबह 10 से चार बजे तक नरवाना उचाना बरसोला और जुलाना में धरना दिया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 19 Oct 2021 09:45 AM (IST)Updated: Tue, 19 Oct 2021 09:45 AM (IST)
किसानों ने छह जगह रेलवे ट्रैक पर दिया धरना, नरवाना में सात घंटे खड़ी रही कोटा-कटड़ा एक्सप्रेस
किसानों ने छह जगह रेलवे ट्रैक पर दिया धरना, नरवाना में सात घंटे खड़ी रही कोटा-कटड़ा एक्सप्रेस

जागरण संवाददाता, जींद : संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर आंदोलनकारी किसानों ने दिल्ली-फिरोजपुर रेलवे लाइन पर सुबह 10 से चार बजे तक नरवाना, उचाना, बरसोला और जुलाना में धरना दिया। जिससे ट्रेनों को नजदीकी रेलवे स्टेशनों पर रोका गया। वहीं सफीदों में भी किसान जींद-पानीपत ट्रैक और बराह कलां में जींद-सोनीपत रेलवे लाइन पर बैठे, लेकिन यहां कोरोना की वजह से करीब डेढ़ साल से यात्री गाड़ियों का परिचालन बंद है। इस दौरान रेलवे स्टेशनों पर पुलिस तैनात रही, ताकि कोई शरारती तत्व रेलवे संपत्ति को नुकसान ना पहुंचाए। करीब 10 बजे नरवाना पहुंची कोटा कटड़ा एक्सप्रेस को प्रशासन द्वारा स्टेशन पर ही रुकवा दिया। हालांकि आंदोलनकारियों ने शाम चार बजे ही ट्रैक को खाली कर दिया गया था। लेकिन रेलवे किसी भी प्रकार का जोखिम नहीं उठाना चाहता था। इसलिए जाखल से इंजन को रवाना कर हालात का जायजा लेने के लिए भेजा गया। इंजन ने घासो रेलवे स्टेशन तक रेलवे ट्रैक का मुआयना किया और वापसी में नरवाना आकर हरी झंडी देने की बात कही। जिसके बाद कोटा-कटड़ा एक्सप्रेस को शाम 5.10 बजे रवाना किया गया। नरवाना में बदोवाल टोल कमेटी के किसानों ने रेलमार्ग को हाईवे के नीचे पुल पर धरना देकर जाम लगाया। ट्रेन रुकने से नरवाना में यात्रियों को छह घंटे तक स्टेशन पर ही रुकना पड़ा। जिससे यात्रियों का दर्द छलक गया। यात्रियों ने अपना दुखड़ा सुनाते हुए कहा कि अगर कृषि कानून रद्द करवाने हैं या फिर किसी को गिरफ्तार करवाना है, तो रेलमार्ग रोकना किसी समस्या का हल नहीं है। इससे आम जनता को ही परेशानी होती है। नरवाना रेलवे स्टेशन पर पर रेल रूकने पर कई सामाजिक संस्थाएं व गुरुद्वारा से सेवादार सेवा के लिए आगे आए। रेल यात्रियों को बिस्किट, चाय, केले देने लगे, तो यात्रियों ने उनका विरोध किया और कहा कि यह सब प्री प्लानिग है, पहले रेल रोको, फिर यात्रियों को खाना, लंगर आदि खिलाओ। उन्होंने कहा कि वे भी किसान के बेटे हैं, लेकिन रेलमार्ग जाम करने पर उनको भी परेशानी हो रही है। यात्रियों ने कहा कि रेल में पानी खत्म हो चुका है, लाइट भी नहीं है, जिससे छोटे बच्चों, बुजुर्गों व महिलाओं को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। रेलवे स्टेशन पर चाय, पानी का स्टाल भी नहीं है, जिससे पानी के लिए परेशानी हो रही है। कुछ यात्रियों ने कहा कि कृषि कानून रद्द करवाने के लिए संसद में बातचीत की जा सकती है, लेकिन रेलमार्ग को रोकना किसी भी तरह से जायज नहीं हैं। वहीं रेल रूकने पर जींद, रोहतक के यात्रियों ने बस से ही जाना मुनासिब समझा। उनका कहना था कि वे शाम तक ट्रेन चलने का इंतजार नहीं कर सकते, क्योंकि शाम तक वे अपने घर पर ही पहुंच जाएंगे।

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यात्रियों के लिए संस्थाओं ने की चाय, पानी का प्रबंध

नरवाना रेलवे स्टेशन पर कोटा-कटड़ा एक्सप्रेस रूकने की खबर मिलते ही साईं परिवार व अन्य संस्थाएं आगे आई। उनके द्वारा यात्रियों के लिए बिस्किट, चाय, केला व रोटी-सब्जी की व्यवस्था की। संस्थाओं द्वारा हर डिब्बे में जाकर यात्रियों को खाने-पीने की चीजें मुहैया करवाई। यात्रियों ने कहा कि ऐसे समय में संस्थाओं द्वारा सेवा करना सराहनीय कार्य है, लेकिन गर्मी के बीच छोटे बच्चे को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

जनता को परेशान करना गलत

दिल्ली जा रहे अजय एडवोकेट ने कहा कि रेलमार्ग रोककर गुरुद्वारा में लंगर आदि की व्यवस्था करना यह प्री प्लांनिग है। ताकि यात्रियों की सहानुभूति बटोरी जा सकी। लेकिन ऐसे आम जनता को परेशान करके साथ नहीं मिल सकता है। ट्रेन को ऐसी जगह पर रोक दिया गया है कि कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है।

चार साल का बच्चा है बीमार

रोहतक निवासी विनय ने कहा कि वे माता वैष्णो देवी की यात्रा पर चार साल के बीमार बेटे को लेकर गए थे। लेकिन वापसी में रेल रूक जाने पर दिक्कत और बढ़ गई। जो लंबी दूरी की यात्रा कर रहे हैं, उनको काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। लेकिन यात्रियों की सुनने वाला कोई नहीं है।

दो महीने पहले करवाया था रिजर्वेशन

दिल्ली के जनकपुरी निवासी मंजू वशिष्ठ ने कहा कि उनके परिवार के 10 सदस्यों ने दो महीने पहले ही माता वैष्णो देवी यात्रा के लिए कटरा का रिजर्वेशन करवाया था। उनको यह पता नहीं था कि सोमवार को किसानों द्वारा रेलमार्ग जाम कर किया जाएगा। अगर यह पता होता, तो वो आते ही नहीं। उनके साथ तीन छोटे बच्चे हैं।

रेलवे को गाड़ी नहीं चलानी चाहिए थी

दिल्ली के रोहिणी निवासी राहुल, शालीमार बाग निवासी ललिता मुटरेजा तथा उत्तराखंड के प्रभात ने कहा कि अगर रेलवे पता था, 18 अक्टूबर को पूरे देशभर में रेलमार्ग जाम करने का कार्यक्रम है, तो ट्रेन नहीं चलानी चाहिए थी। किसी को कार्यालय का जरूरी काम निपटाना है, तो कोई अपने बच्चों के पास जा रहा है।

यात्री और मालगाड़ियों को स्टेशनों पर रोका गया

जींद स्टेशन अधीक्षक जयप्रकाश ने बताया कि ट्रैक बाधित होने के कारण ट्रेनों को बीच में रोकना पड़ा। एक यात्री गाड़ी नरवाना में रुकी। वहीं किनाना, जैजैवंती, जुलाना और किलाजफरगढ़ में मालगाड़ियों को रोका गया। ट्रैक खाली होने के बाद ट्रेन चलाई गई। सुबह 10 से चार बजे के दौरान कोटा-कटड़ा एक्सप्रेस, 11 बजे इंटरसिटी एक्सप्रेस पुरानी दिल्ली की तरफ जाती है। दोपहर सवा एक बजे हिसार से जींद पैसेंजर ट्रेन पहुंचती है। वहीं दिल्ली की तरफ से आने वाली इंटरसिटी एक्सप्रेस दोपहर तीन बजकर 20 मिनट पर जींद जंक्शन पहुंचती है। ये सभी ट्रेन सोमवार को ट्रैक जाम की वजह से समय पर नहीं पहुंच पाई। जिससे यात्रियों को दिक्कत हुई।


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