Move to Jagran APP

पराली को मिट्टी में मिलाकर पैदावार बढ़ाएं किसान, जलाने से बंजर होगी जमीन

पराली को मिट्टी में मिला कर प्राकृतिक व जैविक खाद बनाई जा सकती है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने से पैदावार में वृद्धि और खर्चा कम होता है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 11 Oct 2021 09:20 AM (IST)Updated: Mon, 11 Oct 2021 09:20 AM (IST)
पराली को मिट्टी में मिलाकर पैदावार बढ़ाएं किसान, जलाने से बंजर होगी जमीन
पराली को मिट्टी में मिलाकर पैदावार बढ़ाएं किसान, जलाने से बंजर होगी जमीन

महा सिंह श्योरान, नरवाना

loksabha election banner

पराली को मिट्टी में मिला कर प्राकृतिक व जैविक खाद बनाई जा सकती है। इससे भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने से पैदावार में वृद्धि और खर्चा कम होता है। पराली को बंजर एवं क्षारीय भूमि पर बिछाने से बंजर एवं क्षारीयता कम हो जाने से भूमि की गुणवत्ता में सुधार हो जाता है। केएम राजकीय महाविद्यालय में रसायन विज्ञान विभागाध्यक्ष प्रो. जयपाल देसवाल गांवों में जाकर किसानों को पराली के फायदे और जलाने के नुकसान पर जागरूक कर रहे हैं।

प्रो. जयपाल कहते हैं कि हमारे ऋषि-मुनियों ने प्राचीन काल से ही प्रकृति की पवित्रता को बनाए रखने के लिए प्राकृतिक संसाधनों का सदुपयोग किया है। परंतु आधुनिक विकास पर्यावरण के विनाश का आधार बनता जा रहा है। प्राकृतिक संसाधनों का अंधाधुंध दोहन, पेड़-पौधों और वनों का कटाव, कल-कारखानों, वाहनों, वातानुकूलित यंत्रों, पालीथिन-प्लास्टिक एवं रबर जलाने, बम-पटाखे, विस्फोटकों आदि उपक्रमों से उत्सर्जित भयंकर विषैले रसायनों के परिणाम स्वरूप पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण अपरिहार्य हो गया है। बावजूद इसके अप्रैल-मई और अक्टूबर-नवंबर में फसल अवशेष एवं पराली जलाने से भयंकर पर्यावरण प्रदूषण से होता है। शोध के आधार पर 1 टन पराली जलाने से वायु में 3 किलोग्राम सूक्ष्म कण, 513 किलोग्राम कार्बन डाइआक्साइड, 92 किलोग्राम कार्बन मोनोआक्साइड, 3.83 किलोग्राम नाइट्रिक आक्साइड, 2-7 किलोग्राम मिथेन, 2-3 किलोग्राम सल्फर डाइआक्साइड और 250 किलोग्राम राख उत्पन्न होती है। पराली जलाने से वायु गुणवत्ता सूचकांक 600 ग्राम मीटर क्यूब से ऊपर पहुंच जाता है, जो नमी के साथ मिलकर संमोग बनाता है। इससे आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत, खांसी-जुकाम, फेफड़ों में सुजन, संक्रमण, अस्थमा, टीबी, निमोनिया, हृदयाघात, चर्मरोग, उच्च रक्तचाप जैसी बिमारियों बढ़ जाती है। फसल अवशेष जलने से भूमि कठोर हो जाती है। पानी सोखने की शक्ति एवं हवा के आवागमन के सुक्ष्म छिद्र बंद हो जाते हैं।

इस तरह करें पराली का सदुपयोग

प्रो. देसवाल ने बताया कि स्ट्राबेलर मशीनों से पराली के छोटे-छोटे गट्टे बनाकर ईंट-भट्ठा, बिजली संयंत्रों, कागज-गत्ता, सेनेटरी उद्योग एवं पैकिग में प्रयोग किया जा सकता है। इससे बायोगैस बनाई जा सकती है, जो भोजन बनाने के उपयोग में आती है। धान की फसल मल्चिग मशीन से काटने के उपरांत हेरो से जोत कर पानी लगाकर दिव्य अमृत या डी-कंपोजर का छिड़काव करने से पराली 10 से 15 दिन में खाद में बदल जाती है। यह खाद का काम कर उर्वरा शक्ति बढ़ाकर नमी भी बनाए रखती है। पराली को खेत में बिछा कर हैप्पी सीडर की सहायता से सीधी बिजाई की जा सकती है, जिससे खरपतवार कम होंगे और भूमि की उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी। सबसे बड़ी बात पर्यावरण संरक्षण होगा तथा जल वायु और भूमि की गुणवत्ता एवं शुद्धता बनी रहेगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.