पराली जलाने से बाज नहीं आ रहे किसान, 198 फायर लोकेशन मिली, सबसे ज्यादा नरवाना में
हर किसान का सपना होता है कि उसके खेत में बंपर पैदावार हो। उसके खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़े लेकिन कुछ किसान अपने ही खेत को बंजर बनाकर अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं।
प्रदीप घोघड़ियां, जींद
हर किसान का सपना होता है कि उसके खेत में बंपर पैदावार हो। उसके खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़े लेकिन कुछ किसान अपने ही खेत को बंजर बनाकर अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। जिले में कुछ किसान धान की फसल की कटाई के बाद उसके अवशेषों को जलाकर अपनी जमीन की उर्वरा शक्ति को नष्ट करने पर तुले हुए हैं। कृषि विभाग अधिकारियों द्वारा जागरूक करने के बावजूद कुछ किसान इसे समझने के लिए तैयार नहीं हैं। हरियाणा अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (हरसेक) ने सैटेलाइट से जिले में फायर की 198 लोकेशन लेकर भेजी हैं। 21 किसानों पर विभाग ने एफआईआर दर्ज करवाई है। सबसे ज्यादा धान की पराली जलाने के मामले नरवाना ब्लॉक में आए हैं।
इस समय धान की फसल कटाई का कार्य जोरों पर है। फसल काटने के बाद धान की पराली को अक्सर किसान आग लगा देते हैं। इससे जमीन की उर्वरा शक्ति तो नष्ट होती है और भूमि के मित्र कीट भी मर जाते हैं। इससे फसल की पैदावार पर प्रतिकूल असर पड़ता है और फसल के उत्पादन में कमी आती है। फसल के अवशेष जलाने से वायु प्रदूषण होता है। फसल अवशेषों का धुआं सांसों में जहर घोलने का काम करता है। धुएं से निकलने वाली कार्बन मोनोआक्साइड गैस से सबसे ज्यादा प्रदूषण फैलता है। अस्थमा, आंखों में एलर्जी से लेकर कैंसर तक की बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा सड़क किनारे खड़ी फसल के अवशेषों में आग लगाने से इसका धुआं सड़क की तरफ चला जाता है। इससे वाहन चालकों के लिए भी खतरा बना रहता है।
हरसेक एप से मिली फायर की 198 लोकेशन
कृषि विभाग को हरसेक एप के माध्यम से पूरे जिले में 198 फायर लोकेशन मिली हैं। इनमें से कृषि विभाग ने 21 किसानों पर एफआईआर दर्ज करवाई है। नरवाना के 10 किसानों, उचाना के 7, सफीदों के एक और अलेवा के 3 किसानों पर अब तक विभाग द्वारा एफआईआर दर्ज करवाई जा चुकी है।
ब्लाक का नाम - पराली जलाने के केस
नरवाना -136
उचाना -29
अलेवा -14
सफीदों -11
पिल्लूखेड़ा -5
जींद -3
जुलाना -0
कुल -198
डी-कंपोजर तकनीक से पराली को गलाएं किसान : डॉ. नरेंद्र
कृषि विभाग और किसान वैलफेयर में क्वालिटी कंट्रोल इंस्पेक्टर डा. नरेंद्र पाल ने किसानों से आह्वान किया कि फसलों के अवशेष नहीं जलाएं। फसलों के अवशेष में आग नहीं लगाने के कई तरह के फायदे हैं। किसानों को फसल काटने के बाद बचे अवशेषों को खेत में ही जुताई कर दें। इसके बाद खेत को पानी से भर दें। इससे अवशेष खेत में खाद का काम करेंगे और भूमि की उपजाऊ शक्ति बढ़ेगी। जमीन में मित्र कीट सुरक्षित होंगे तो फसलों में बीमारियां कम आएंगी। डा. नरेंद्र ने यह भी बताया कि फसल के अवशेष जलाने की बजाय हैप्पी शीडर, मल्चर, रोटावेटर का प्रयोग कर भूमि की उर्वरा शक्ति बचाया जा सकता है। डी-कम्पोजर से फसल के अवशेषों को गलाया जा सकता है।