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अनुमति के बाद भी नहीं टूट रहा लघु उद्योगों का लॉक, कच्चा माल आ रहा न तैयार माल की डिमांड

प्रदीप घोघड़ियां जींद लॉकडाउन 3.0 में सरकार और प्रशासन ने जिन उद्योगों में 25 से कम क

By JagranEdited By: Published: Sat, 02 May 2020 10:02 PM (IST)Updated: Sun, 03 May 2020 06:17 AM (IST)
अनुमति के बाद भी नहीं टूट रहा लघु उद्योगों का लॉक, कच्चा माल आ रहा न तैयार माल की डिमांड
अनुमति के बाद भी नहीं टूट रहा लघु उद्योगों का लॉक, कच्चा माल आ रहा न तैयार माल की डिमांड

प्रदीप घोघड़ियां, जींद : लॉकडाउन 3.0 में सरकार और प्रशासन ने जिन उद्योगों में 25 से कम की लेबर है, उन उद्योगों को शुरू करने की परमिशन तो दे दी लेकिन इस अनुमति के बावजूद लघु उद्योगों का लॉक नहीं टूटा है। वैसे तो इसके कई कारण हैं, लेकिन सबसे बड़ा कारण यह है कि उद्योग शुरू करने के लिए कच्चा माल उपलब्ध नहीं हो पा रहा। मार्केट और बाजार बंद पड़े हैं तो सामान की किसी भी तरह की डिमांड भी नहीं आ रही। ऐसे में अगर माल तैयार कर भी लिया तो यह कहां पर बिकेगा, इसे लेकर उद्यमी चिता में हैं। उद्यमियों ने सरकार और प्रशासन से फैक्ट्री शुरू करने की शर्तों में ढील देने की भी मांग की है। 24 मार्च को पूरे देश में लागू हुए लॉकडाउन के बाद से ही लघु और बड़ी औद्योगिक इकाइयां बंद पड़ी हैं। जींद में भी 100 से ज्यादा फैक्ट्रियां हैं, जिनमें 25 से कम की लेबर काम करती है। अब लॉकडाउन 3.0 में प्रशासन ने नियमों में बंधकर लघु उद्योगों को चलाने की अनुमति दे दी है। इन नियमों पर फैक्ट्री संचालक अमल नहीं ला पा रहे, क्योंकि फैक्ट्रियों में शारीरिक दूरी और बार-बार सैनिटाइजिग करने का काम मुश्किल है। लघु उद्योग की इकाई में इतनी जगह नहीं होती कि शारीरिक दूरी का अमल किया जा सके। जींद में अधिकतर कच्चा माल दिल्ली, गुजरात की तरफ से आता है। वहां से माल की सप्लाई नहीं आने के चलते उद्यमियों को अपने उद्योग चलाना मुश्किल हो रहा है।

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कहां बिकेगा तैयार माल

अगर फैक्ट्री संचालक अपने उद्योग शुरू कर भी लेते हैं तो माल तैयार होने के बाद कहां पर बिकेगा, यह सवाल खड़ा हो रहा है। सभी जगह मुख्य बाजार बंद पड़े हैं, ऐसे में तैयार माल की खपत कहां की जाएगी, यही सोच उद्यमियों को अंदर ही अंदर खाए जा रही है।

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फैक्ट्री को सैनिटाइज करने, थर्मल स्कैनर देने का जिम्मा ले प्रशासन : प्यारेलाल

जींद सर्जिकल कॉटन के मालिक प्यारेलाल ने कहा कि लघु उद्योग शुरू करने को लेकर प्रशासन द्वारा जो शर्तें लागू की गई हैं, वह पूरी लागू नहीं हो सकती है, क्योंकि बार-बार न तो पूरी फैक्ट्री को सैनिटाइज किया जा सकता और वर्कर्स को रखने में भी कोस्ट ज्यादा रहेगी। फैक्ट्री को सैनिटाइज और थर्मल स्कैनर की व्यवस्था नगर परिषद या प्रशासन द्वारा की जाए। अगर उत्पादन महंगा होता है तो सेल के लिए दुकानदार भी नहीं हैं, ऐसे में तैयार माल लेकर वह कहां जाएंगे।

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फाइनेंस की टूटी चेन, उद्यमियों को नुकसान : परमानंद गोड

लक्ष्मी मां फार्मा के ऑनर परमानंद गोड ने कहा कि लॉकडाउन के कारण फाइनेंशियल चेन टूट गई है। किसी के पास माल नहीं पहुंच तो किसी का माल रास्ते में ही खड़ा है। ऐसे में उद्यमियों को आर्थिक हानि भी हुई है। लॉकडाउन खुलने के बाद नए सिरे से उद्योग को खड़ा करना पड़ेगा। परमानंद ने मांग करते हुए कहा कि बैंकों द्वारा लोन की राशि की मात्रा बढ़ाई जाए, ताकि उद्यमियों को आर्थिक मदद मिल सके और पब्लिक ट्रांसपोर्ट को खोला जाए, ताकि बाहर से कच्चा माल आ सके।


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