दूसरों से ईष्र्या और द्वेष रखना अपनी आत्महत्या के समान : शर्मा
आचार्य पवन शर्मा ने कहा कि सुख और दुख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सुख और दुख मात्र मन की अनुभूति है।
जागरण संवाददाता, जींद : आचार्य पवन शर्मा ने कहा कि सुख और दु:ख एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। सुख और दु:ख मात्र मन की अनुभूति है। शर्मा माता वैष्णवी धाम में आयोजित मासिक सत्संग में कहे। आचार्य ने कहा कि मनुष्य जब अपनी तुलना दूसरों से करने लगे तो मान लेना वह दुखों को आमंत्रण दे रहा है। हर व्यक्ति का नसीब, कर्म और बुद्धि भिन्न-भिन्न हैं। दूसरों से ईष्र्या, द्वेष रखना अपनी आत्महत्या के समान है। औरों के सुख पर जलने वाला कभी सुखी नहीं रह सकता। आचार्य ने कहा कि मनुष्य पुण्य किए बिना ही पुण्य का फल तो चाहता है, लेकिन पाप करते हुए भी पाप का फल नहीं भोगना चाहता। यही जीव का दुर्भाग्य है और यही जीव के दु:खों का कारण भी है। यद्यपि यह संसार दुखमय है तथापि इसमें रहकर भी हम सुख का अनुभव कर सकते हैं। इस अवसर पर हरबंस रल्हन, विकास ग्रोवर, विरेष मोंगा, दिनेश गुप्ता, अनिल नागपाल, सुरेश गर्ग, रजत गर्ग, आरके कोहली, श्याम छाबड़ा, सुरेंद्र सिगला, सोमनाथ लखीना, राजकुमार, डा. अश्विनी मिढ़ा, डा. नरेश शर्मा, नीरज मिगलानी एडवोकेट, अशोक गुलाटी, अमर आहुजा, जितेंद्र भारद्वाज, नीतिन धींगड़ा, जगदीश अरोड़ा, रामकुमार गुप्ता, सोनू गर्ग, अश्विनी वधवा, रोहित आहुजा, बरकत राम, सुभाष अरोड़ा, गुलशन कोचर, राजेश खुराना उपस्थित थे।