धरौदी में भूख हड़ताल पर बैैठी और महिलाओं सहित एक पुरुष की हालत बिगड़ी
धरौदी गांव में भाखड़ा नहर से धरौदी माइनर को जोड़ने के लिए 33 दिन से धरने पर बैठे 11 गांवों के किसानों की मांग को लेकर धरौदी माइनर संघर्ष समिति के प्रधान अमित धरौदी के नेतृत्व में छह सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को मुख्यमंत्री से मिला लेकिन अधिकारियों ने इन गांवों में केवल पीने के पानी की पाइप लाइन बिछाने की ही बात कही।
संवाद सूत्र, नरवाना : धरौदी गांव में भाखड़ा नहर से धरौदी माइनर को जोड़ने के लिए 33 दिन से धरने पर बैठे 11 गांवों के किसानों की मांग को लेकर धरौदी माइनर संघर्ष समिति के प्रधान अमित धरौदी के नेतृत्व में छह सदस्यों का प्रतिनिधिमंडल सोमवार को मुख्यमंत्री से मिला, लेकिन अधिकारियों ने इन गांवों में केवल पीने के पानी की पाइप लाइन बिछाने की ही बात कही। जिस पर कमेटी के सदस्य ने कहा कि उनको पीने के पानी के साथ खेतों की सिचाई के लिए पानी चाहिए, ताकि खेतों में अच्छी फसल हो सके। अधिकारियों ने केवल पीने के पानी की बात कही, तो कमेटी के सदस्य वापस आ गए और उन्होंने अपना धरना जारी रखने की बात कही। वहीं धरने पर भूख हड़ताल पर बैठी आठ बुजुर्ग महिलाओं गांव फरैण कलां वासी शांति, होशियारी, नीलम, चंद्रपति, सुमित्रा, गांव धरौदी वासी ओमपति, रजिया, शंकुतला तथा गांव खानपुर वासी रामकुमार की तबीयत बिगड़ गई। जिससे प्रशासन के हाथ-पांव फूल गए और उनको तुरंत नागरिक अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने उनको अस्पताल में दाखिल कर लिया। डॉक्टरों ने बताया कि महिलाओं की तबीयत बिगड़ने का कारण शरीर में पानी की कमी और कमजोरी रही है। वहीं रामकुमार का बीपी बढ़ गया था। महिलाओं की हालत सामान्य है। इसके अलावा धरने में शामिल गांव खानपुर वासी मांगेराम जब धरने से अपने गांव जा रहा था, तो गांव धरौदी के पास हृदयघात होने पर निधन हो गया। जिस पर धरने पर बैठे ग्रामीणों ने दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धाजंलि दी।-
मुख्यमंत्री की नियत है साफ
किसानों के प्रतिनिधिमंडल ने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल की नियत साफ हैं। वे धरौदी माइनर में भाखड़ा नहर का पानी देना चाहते हैं। लेकिन सिचाई विभाग के अधिकारी ही मुख्यमंत्री को गुमराह कर रहे हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को बताया हुआ है कि इससे राजस्थान व अन्य इलाकों का पानी कटेगा। जबकि ऐसी कोई बात नहीं हैं, यह सब राजनीति के कारण 11 गांवों के लोगों को पानी नहीं मिल पा रहा है।
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कल लेंगी खापें अहम फैसला
धरने पर बैठे ग्रामीणों ने कहा कि अब वे किसी के बहकावे में नहीं आने वाले हैं। वे धरौदी माइनर में पानी लाकर रहेंगे, इसके लिए उनको अपनी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े। ग्रामीणों ने कहा कि 30 साल से वे पानी के लिए चुप बैठे थे, लेकिन समय के साथ नीचे का पानी खराब होने पर वो जहर बन गया है। जिससे बच्चों से लेकर बुजुर्गों को गंभीर रोग हो चुके हैं। अब 24 जुलाई को ही खापों के लोग अहम फैसला लेंगे। वहीं ग्रामीणों ने काली तीज पर्व मनाने का फैसला लिया है।