पौने दो लाख की आबादी वाले शहर में नहीं ड्रेनेज सिस्टम, सीवरों से जुड़े हैं बरसाती नाले
करीब पौने दो लाख की आबादी वाले जींद शहर में कोई ड्रेनेज सिस्टम नह
जागरण संवाददाता, जींद : करीब पौने दो लाख की आबादी वाले जींद शहर में कोई ड्रेनेज सिस्टम नहीं है। सीवरेज लाइनों से ही बरसाती पानी की निकासी निर्भर है। नगर परिषद ने जो नाले बनाए हुए हैं, उन्हें जन स्वास्थ्य विभाग की सीवर लाइनों से जोड़ा हुआ है। साल 2018 में अमरूत योजना में शहर के ड्रेनेज सिस्टम को शामिल किया गया। जिसका अभी काम चल रहा है। इस साल के अंत तक इसका काम पूरा होने की संभावना है। दशकों तक शहर में ड्रेनेज सिस्टम नहीं होने से शहरवासियों की परेशानी बढ़ती गई। पहले तो शहर का विस्तार कम था, जिस कारण सीवरों से कुछ घंटे में बरसाती पानी की निकासी हो जाती और आसपास एरिया में पानी चला जाता। लेकिन जैसे-जैसे आबादी बढ़ी गई। समस्या बड़ी होती गई। अब हालात ऐसे हैं कि अगर 20 से 25 एमएम बारिश भी हो जाए, तो सड़कों व गलियों में घुटनों तक पानी भर जाता है। कई कालोनियों में तो घरो में भी पानी घुस जाता है।
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तीन दशक में दोगुनी हुई आबादी
साल 1990 में शहर की आबादी करीब 85 हजार होती थी और 20 स्क्वायर किलोमीटर से भी कम एरिया में शहर फैला हुआ था। उसके बाद तेजी से शहरीकरण हुआ और लोगों में गांवों से शहर में बसने की होड़ लगी। अभी जींद शहर की आबादी पौने दो लाख से ज्यादा है और शहर भी 42 स्क्वायर किलोमीटर में फैल चुका है। नरवाना रोड, कैथल रोड, सफीदों रोड, गोहाना रोड और रोहतक रोड की तरफ शहर का काफी विस्तार हुआ। लेकिन बरसाती पानी की निकासी के लिए कभी कोई प्लान ही नहीं बना। अब अमरूत योजना में इसे शामिल किया गया है। जिससे शहर का ड्रेनेज सिस्टम में सुधार की उम्मीद जगी है।
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एक्सपर्ट व्यू : ड्रेनेज सिस्टम के लिए अलग पाइप लाइन होनी चाहिए
रिटायर्ड एमई बलराज सिगला ने कहा कि बरसाती पानी की निकासी के लिए अलग से अंडरग्राउंड पाइप लाइन होनी चाहिए। अगर कहीं पाइप लाइन नहीं दबाई जा सकती, तो वहां नाले बनाए जा सकते हैं और उन्हें पाइप लाइनों से जोड़ा जाता है। ये सीवर लाइनों से अलग होना चाहिए। क्योंकि कालोनी या किसी क्षेत्र की आबादी के हिसाब से वहां सीवरलाइन का डिजाइन तय होता है। सीवर लाइन में घरों के शौचालयों का मल-मूत्र जाता है। अलग से पाइप लाइन ना होने के कारण जींद शहर के बरसाती पानी की निकासी सीवर लाइनों से ही होती है। कुछ साल पहले अमरूत में ड्रेनेज सिस्टम के प्लान को शामिल किया गया। -------------------
गंदगी से अटे रहते हैं नाले
ड्रेनेज सिस्टम के नाम पर शहर में जो नाले हैं। वे भी अटे रहते हैं। कहीं नालों में लोग कूड़ा डाल रहे हैं, तो कहीं पॉलीथिन से अटे पड़े हैं। नगर परिषद बरसाती सीजन से पहले जून में हर साल इन नालों की सफाई कराती है। लेकिन पहली बरसात में ही ये नाले जवाब दे जाते हैं। इन नालों से पॉलीथिन, डिस्पोजल बह कर सीवरों में चले जाते हैं। जिससे सीवर भी ओवरफ्लो हो जाते हैं। बगैर बरसाती सीजन में भी सीवर ओवरफ्लो रहते हैं। बरसात में तो सीवरों का गंदा पानी भी सड़कों व गलियों में आ जाता है।
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पहले किसी ने ध्यान ही नहीं दिया : पूनम सैनी
जींद नगर परिषद की चेयरपर्सन पूनम सैनी ने कहा कि पहले की सरकारों ने शहर में ड्रेनेज व्यवस्था पर ध्यान ही नहीं दिया। उनके कार्यकाल में बीजेपी सरकार ने अमरूत योजना में जींद शहर को शामिल किया। हांसी ब्रांच नहर से लेकर पूर्व की दिशा में शहर का बरसाती पानी कालवा-किनारा ड्रेन में डाला जाएगा। इसके लिए करीब 19 करोड़ रुपये से 26 किलोमीटर लंबी पाइप लाइन डाली जा रही है। सड़कों की एनओसी समेत 24 से 25 करोड़ रुपये की लागत आएगी। अगले बरसाती सीजन से पहले ये काम पूरा हो जाएगा।