Move to Jagran APP

कुत्तों का क्या कसूर

26 जनवरी को कार्यक्रम के दौरान कोई कुत्ता समारोह स्थल के अंदर आकर खलल ना डाल दे। इसके लिए आसपास के कुत्तों को पैर बांध कर टैंक में डाल दिया गया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Jan 2020 06:50 AM (IST)Updated: Wed, 29 Jan 2020 06:50 AM (IST)
कुत्तों का क्या कसूर
कुत्तों का क्या कसूर

गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्यातिथि सीएम मनोहर लाल थे। जिसके चलते प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए थे। कार्यक्रम में कोई चूक ना हो जाए, इसको लेकर हर चीज का बारीकी से ध्यान रखा जा रहा था। 24 जनवरी को रिहर्सल के दौरान एक कुत्ता एकलव्य स्टेडियम में घुस गया। 26 जनवरी को कार्यक्रम के दौरान कोई कुत्ता समारोह स्थल के अंदर आकर खलल ना डाल दे। इसके लिए आसपास के कुत्तों को पैर बांध कर टैंक में डाल दिया गया। इस मामले का वीडियो वायरल हो गया। सोशल मीडिया में वीडियो आने पर अब जांच करने की बात हो रही है। सामने आया कि कुत्तों को नगर परिषद कर्मचारियों ने बांध कर टैंक में डाला था। देखना होगा कि जांच के नाम पर क्या लीपापोती होती है। सवाल ये भी उठता है कि कर्मचारियों ने किसके कहने पर कुत्तों को टैंक में बंद किया। अब इस मामले की जांच नगर परिषद के ईओ देख रहे हैं।

loksabha election banner

कार्यकर्ता दिलाएंगे विधायक को कुर्सी

जिला परिवेदना समिति की मीटिग में विधायक डॉ. कृष्ण मिढ़ा को कुर्सी ना मिलना उनके समर्थकों को नागवार गुजरा है। समर्थक इसके लिए सीधे तौर पर प्रशासन को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं और जानबूझकर ऐसी परिस्थिति पैदा करने के आरोप लगा रहे हैं। युवा बीजेपी नेता अनुराग खटकड़ का दर्द छलका कि पहले तो कार्यकर्ताओं के साथ ही इस तरह की घटना होती थी। लेकिन अब जो विधायक के साथ हुआ, वो सही नहीं है। भविष्य में ये सब सीएम के साथ भी हो सकता है। इसलिए सरकार को इस मामले में कड़ा संज्ञान लेना चाहिए। उन्होंने जिला प्रशासन को सलाह भी दी कि अगली मीटिग में पहले से ही निर्धारित हो कि कौन किस कुर्सी पर बैठेगा। भविष्य में अगर दोबारा ऐसा हुआ, तो कार्यकर्ता खुद विधायक को कुर्सी दिलाएंगे। कुर्सी ना मिलने पर विधायक के मीटिग छोड़ कर जाने व बाद में मंत्री द्वारा उनको बुला कर वापस लाने का मामला सुर्खियों में रहा।

गली बनवाने के लिए खुद लानी होगी मंजूरी

निगरानी कमेटी की मीटिग में विधायक द्वारा गली व सड़क निर्माण में इंटरलॉकिग पेवर ब्लॉक का मामला उठाने के बाद नगर परिषद भी विवादों में पड़ना नहीं चाहती। हालांकि मीटिग में विधायक की मांग पर सांसद रमेश कौशिक ने डीसी को जो आदेश दिए थे, उसके हिसाब से ऐसा कुछ हुआ नहीं। जांच के लिए ना तो कोई कमेटी बनी और ना ही कोई कार्रवाई। लेकिन नगर परिषद ने अपने स्तर पर तय किया है कि अगर कोई उनके पास गली बनवाने की डिमांड लेकर आता है, तो वो ही मंजूरी लेकर आएगा कि गली सीसी की बननी है या इंटरलॉकिग पेवर ब्लॉक की। नगर परिषद अपने स्तर पर कोई सिरदर्दी नहीं लेगी। 13 जनवरी को हुई निगरानी कमेटी की मीटिग में सांसद के आदेश के बाद नगर परिषद ने शहर में चल रहे गली निर्माण के कामों को रोक दिया था। हालांकि उसके बाद निर्माणाधीन कामों को शुरू कर दिया गया था। अब देखना ये होगा कि शहर की सरकार के इस फैसले से क्या असर पड़ता है।

सत्ता को सलाम

जेजेपी के सत्ता में भागीदारी होने के बाद जिला पार्टी कार्यालय का माहौल भी बदल गया है। दिनभर लोगों की तो भीड़ लगी ही रहती है। साथ ही नगर परिषद के सफाई कर्मचारी भी यहां का विशेष तौर पर ख्याल रख रहे हैं। जेजेपी कार्यालय के आसपास प्रतिदिन सफाई करने के लिए जाने लगे हैं। कार्यालय के आसपास तो सफाई हो ही जाती है। साथ ही इसका फायदा कार्यालय के आसपास रहने वाले अर्बन एस्टेट निवासियों को भी हो रहा है। लोगों का कहना है कि पहले कभी-कभार ही यहां सफाई कर्मचारी दिखाई देते थे। लेकिन अब उनकी गलियों में भी सफाई हो रही है। कोर्ट के सामने से जेजेपी कार्यालय तक जाने वाला रास्ता अब चकाचक नजर आता है। ऐसे में ये कहना गलत नहीं है कि सत्ता को सलाम होता है। डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला का जींद में रात्रि ठहराव भी पार्टी कार्यालय में ही होता है। जिससे यहां की व्यवस्था को लेकर जिला प्रशासन भी अलर्ट रहता है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.