डीजी हेल्थ के आदेश, दिव्यांगों के दर्द को नहीं समझ रहे डॉक्टर
चार माह से अभिभावक अपने दिव्यांग बच्चों का मेडकिल करवाने के लिए हर बुधवार सुबह नागरिक अस्पताल में पहुंच जाते हैं। अस्पताल में आते ही वहां पर मौजूद कर्मचारी मेडिकल के लिए कागजातों को खिड़की पर जाम करवाने के लिए लाइन में लगा देते हैं।
जागरण संवाददाता, जींद : चार माह से अभिभावक अपने दिव्यांग बच्चों का मेडकिल करवाने के लिए हर बुधवार सुबह नागरिक अस्पताल में पहुंच जाते हैं। अस्पताल में आते ही वहां पर मौजूद कर्मचारी मेडिकल के लिए कागजातों को खिड़की पर जाम करवाने के लिए लाइन में लगा देते हैं। सुबह आते ही कह दिया जाता है कि डाक्टर जल्द ही मेडिकल के लिए आ जाएंगे, लेकिन शाम होते ही कह दिया जाता है कि फिजिशियन को रोहतक से आना था, लेकिन आज नहीं आएंगे।
पूरे दिन जहां दिमागी रूप से कमजोर होने के कारण बच्चों को यहां पर संभालना मुश्किल हो जाता है, वहीं शारीरिक रूप से कमजोर होने के कारण सर्दी के मौसम में बीमार पड़ने का भी डर रहता है। मौके पर मौजूद कर्मचारी भी कोई संतोषजनक जवाब नहीं देते, अगर उनसे पूछा जाता है तो सीधा सिविल सर्जन व डिप्टी सिविल सर्जन के कार्यालय में जाकर पूछने के लिए कहा जाता है। आज भी सुबह से ही डाक्टर का इंतजार कर रहे है, अब चार बज चुके हैं, लेकिन अभी तक फिजिशियन मेडिकल के लिए नहीं पहुंचा है। यह दर्द नागरिक अस्पताल में पिछले चार माह से हर बुधवार दिव्यांगों को लेकर आने वाले अभिभावकों का है। पिछले बुधवार को भी फिजिशियन दोपहर बाद नागरिक अस्पताल में पहुंचा था और कुछ ही लोगों का मेडिकल हो पाया था। बचे हुए दिव्यांगों को दो जनवरी को आने के लिए कहा था। ज्ञात रहे कि नागरिक अस्पताल में ईएनटी सर्जन का पद लंबे समय से खाली पड़ा है, जबकि जिले का एकमात्र फिजिशियन नरेश वर्मा जुलाना में है, लेकिन करीब एक माह पहले निदेशालय ने उनकी मेडिकल करने की पॉवर को छीन लिया। दिव्यांगों की परेशानी को देखते हुए डीजी हेल्थ ने नवंबर में रोहतक के सिविल अस्पताल में कार्यरत फिजिशियन डा. कुणाल ठाकुर, ईएनटी सर्जन डा. सुरेंद्र कुमार की ड्यूटी लगाई थी। ड्यूटी लगाने के बाद दोनों ही डाक्टर मेडिकल करने के लिए नहीं पहुंचे। इसके बाद सिविल सर्जन डा. संजय दहिया ने दोनों ही डाक्टरों की ड्यूटी पर नहीं आने पर डीजी हेल्थ को पत्र लिखा था और डीजी ने दोनों डाक्टरों से स्पष्टीकरण भी मांगा। डीजी हेल्थ द्वारा सख्त आदेश दिए जाने बाद भी बुधवार को फिजिशियन मेडिकल करने के लिए नहीं पहुंचे। केवल ईएनटी सर्जन व हड्डी रोग विशेषज्ञ के कमरे के बाहर दिव्यांगों की भीड़ लगी रही, जबकि सैंकड़ों दिव्यांग फिजिशियन आने का इंतजार करके वापस लौट गए।
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रोहतक चक्कर लगवाकर दिया था जींद का समय
53 किलोमीटर दूर गांव धमतान साहिब से आए चांदीराम ने बताया कि वह चार माह से अपनी 12 वर्षीय बेटी एकता का मेडिकल करवाने के लिए चक्कर काट रहा है। उसकी बेटी मानसिक रूप से कमजोर है और उसने 10 अक्टूबर को नागरिक अस्पताल में फाइल जमा करवाई थी। उस समय उसके बेटी के टेस्ट करवाने के लिए रोहतक पीजीआई रेफर कर करवा दिया और वहां से बड़ी मुश्किल से फाइल निकलकर जींद के नागरिक अस्पताल में आई थी। अब तीन सप्ताह हो चुके हैं, लेकिन मेडिकल करने के लिए फिजिशियन नहीं आ रहा है। इतनी दूरी से अपनी बेटी को बार-बार जिला मुख्यालय पर लाना पड़ रहा है।
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अस्पताल में नहीं कोई सुनने वाला
32 किलोमीटर से अपने 25 वर्षीय बेटे सोमपाल का मेडिकल करवाने आई शीला देवी ने बताया कि उसका बेटा बिना सहारे के गर्दन नहीं उठा पाता है और वह भी बुजुर्ग हो चुकी। बेटे की पेंशन बन जाए इसके लिए कई सप्ताह से मेडिकल करवाने के लिए नागरिक अस्पताल में आ रही है, लेकिन यहां पर मेडिकल करने के लिए डाक्टर नहीं आ रहा है। उनके इस दर्द को सुनने वाला कोई नहीं है, यहां पर मौजूद कर्मचारी से पूछते है तो उनका कहना होता है कि इंतजार कर लो, जल्द ही चिकित्सक आएंगे, लेकिन पूरा दिन निकलने के बाद भी डाक्टर नहीं आया।
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डीजी हेल्थ ने फिजिशियन रोहतक की हर बुधवार को जींद में ड्यूटी लगाई हुई है। फिजिशियन की ड्यूटी हर हाल में सुनिश्चित करने के लिए रोहतक के सिविल सर्जन को भी पत्र लिखा हुआ है। दिव्यांगों की परेशानी को देखते हुए इसके बारे में उच्च अधिकारियों को अवगत करवाया जाएगा।
डा. संजय दहिया, सिविल सर्जन जींद