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बड़े ऑपरेशन के लिए पशुओं को नहीं ले जाना पड़ेगा हिसार, जींद का वेटरनरी पॉलिक्लिनिक बना पशुओं के लिए वरदान

जागरण संवाददाता, जींद जिला मुख्यालय पर वेटरनरी पॉलिक्लिनिक पशुपालकों के लिए रामबाण सिद्ध ह

By JagranEdited By: Published: Mon, 12 Nov 2018 09:53 PM (IST)Updated: Mon, 12 Nov 2018 09:53 PM (IST)
बड़े ऑपरेशन के लिए पशुओं को नहीं ले जाना पड़ेगा हिसार, जींद का वेटरनरी पॉलिक्लिनिक बना पशुओं के लिए वरदान
बड़े ऑपरेशन के लिए पशुओं को नहीं ले जाना पड़ेगा हिसार, जींद का वेटरनरी पॉलिक्लिनिक बना पशुओं के लिए वरदान

जागरण संवाददाता, जींद

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जिला मुख्यालय पर वेटरनरी पॉलिक्लिनिक पशुपालकों के लिए रामबाण सिद्ध होने लगा है। यहां अब पशुओं में होने वाली पत्थरी का इलाज भी ऑपरेशन से संभव हो पाया है। अब पशुपालकों को गंभीर बीमारी से ग्रस्त पशुओं को हिसार ले जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। हिसार जैसी सुविधाएं यहां वेटरनरी पॉलिक्लिनिक में उपलब्ध होने लगी हैं।

पत्थरी के कारण पशुओं में पेशाब का ब्लेडर फटने जैसी बीमारी में यहां ऑपरेशन की सुविधा उपलब्ध हो गई है। पशुपालन विभाग के चिकित्सकों ने खटकड़ गांव से आए कटड़े के पेट से पत्थरी निकालने का सफल ऑपरेशन करने जैसी कामयाबी हासिल की है। खटकड़ गांव के निरंजन का साढ़े तीन माह का कटड़ा बीमारी के कारण मरणासन पर पहुंच चुका था। वह अपने कटड़े को वेटरनरी पॉलिक्लिनिक में लेकर आया। डॉ. बलवंत ¨सह ने पहली नजर में ही भांप लिया कि कटड़े के पेट में पत्थरी है, जिसकी वजह से उसका पेशाब बंद हो गया। लगभग डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद कटड़े के पेट से पत्थरी निकालकर उसका ऑपरेशन कर दिया। वैल¨पग मशीन के जरिये ऑपरेशन के दौरान छोटा सा कट ही लगाया जाता है। तीन माह में इस प्रकार का यह तीसरा केस था, जिसमें पशु के मूत्र ब्लेडर फटने की सूरत में भी पशु को बचाया जा सका है। छोटे पक्षियों व पशुओं के इलाज के लिए बनाया गया अलग वार्ड

सघन पशुधन विकास परियोजना के उपनिदेशक डॉ. रविन्द्र हुड्डा ने कहा कि डीसी अमित खत्री के मार्गदर्शन में यहां पिछले दिनों पक्षियों व छोटे पशुओं के इलाज के लिए अलग से वार्ड बनाया गया है। अब तक जिले में पक्षियों के इलाज तथा जंगली पशुओं वाइल्ड एनीमल छोटे पशुओं के इलाज के लिए सही सुविधा उपलब्ध नहीं थी। यहां इन पक्षियों को रखने के लिए ¨पजरों की भी व्यवस्था की गई है। इसके अलावा गिलहरी, नवजात सुअर के बच्चों के ईलाज, बकरी, नैवला, कछुआ, नील गाय आदि पशुओं के इलाज के लिए सुविधा उपलब्ध हो गई है। पॉलिक्लिनिक में डाया फ्रैगमैटिक डीएच बीमारी को छोड़कर सभी प्रकार के ऑपरेशन व बीमारियों के इलाज की सुविधा उपलब्ध हो गई है। खुलेंगे पैट क्लीनिक

पचंकूला, गुरुग्राम जैसे विकसित शहरों की तर्ज पर निकट भविष्य में पैट क्लीनिक यानि पालतू कुतों को रखने के लिए पीजी की सुविधा उपलब्ध करवाने पर गम्भीरता से विचार किया जा रहा है। विभाग के निर्णय अनुसार प्रत्येक जिला मुख्यालय पर ये पैट पीजी खोले जायेंगे। पशुओं के बनाए जाएगे हेल्थ कार्ड

पशुपालन विभाग के उपनिदेशक के अनुसार अब पशुओं के ओपीडी के तहत हेल्थ कार्ड जारी किए जाएंगे। इस कार्ड में पशु से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारी को अंकित किया जायेगा। हेल्थ कार्ड में वर्णित इलाज से सहज अनुमान लगाया जा सकता है कि यह पशु किस बीमारी से ग्रस्त था।


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