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ठेका देने के बावजूद सड़कों पर बढ़ रही बेसहारा पशुओं की संख्या

शहर की सड़कों पर बेसहारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। नगर परिषद ने बेसहारा पशुओं को पकड़ने का ठेका दिया हुआ है लेकिन फिर भी इनकी संख्या बढ़ रही है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 20 Jan 2020 07:50 AM (IST)Updated: Mon, 20 Jan 2020 07:50 AM (IST)
ठेका देने के बावजूद सड़कों पर बढ़ रही बेसहारा पशुओं की संख्या
ठेका देने के बावजूद सड़कों पर बढ़ रही बेसहारा पशुओं की संख्या

जागरण संवाददाता, जींद : शहर की सड़कों पर बेसहारा पशुओं की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। नगर परिषद ने बेसहारा पशुओं को पकड़ने का ठेका दिया हुआ है, लेकिन फिर भी इनकी संख्या बढ़ रही है। पशुओं को पकड़ने के दौरान कोई हादसा न हो जाए, इसलिए ठेकेदार के कर्मचारियों द्वारा रात के समय यह कार्य किया जाता है। सर्दी का मौसम होने के कारण रात को इन पशुओं को पकड़ने का काम बंद किया हुआ है। ठेका होने के बाद ठेकेदार द्वारा अब तक 800 पशुओं को पकड़कर नंदीशाला में छोड़ा जा चुका है। पशु पकड़ने का कार्य बंद होने का सीधा असर शहर की सड़कों पर दिखाई दे रहा है और दिन प्रतिदिन इन पशुओं की संख्या बढ़ रही है। सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा पशुओं के कारण कई बार हादसे हो चुके हैं। जो पशु सड़कों पर घूम रहे हैं, उनमें से ज्यादातर सांड हैं। शहर में इस समय एक हजार से ज्यादा बेसहारा पशु सड़कों पर हैं, जो हादसों को न्योता दे रहे हैं। गत शुक्रवार को जाट धर्मशाला के सामने दो सांड आपस में भिड़ गए और हाउसिग बोर्ड कॉलोनी निवासी राजेंद्र के बाइक को चपेट में ले लिया। इसमें बाइक के पीछे बैठी उसकी पत्नी सुमन को गंभीर चोट आई। इसी तरीके से बस स्टैंड के निकट सांड अचानक सड़क पर आने से बाइक सवार दो युवक घायल हो गए।

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पीला पेंट लगाने के निर्देश

पशु ठेकेदार द्वारा पकड़ा जाता है, उसके शरीर पर पीला पेंट करने के निर्देश दिए हुए हैं ताकि उसकी पहचान रहे। नगर परिषद ने ठेकेदार को स्पष्ट निर्देश दिए हुए हैं कि यदि कोई पशु पकड़ने के बाद नंदीशाला में छोड़ा जाता है और वह किसी कारण बाहर निकल आता है तो ठेकेदार को फ्री में उसे दोबारा नंदीशाला में छोड़ना होगा।

हो चुके कई हादसे

सड़कों पर घूम रहे आवारा पशु से कई लोगों की जान जा चुकी है। पिछले वर्ष अप्रैल माह में जुलाना के वार्ड 3 में 85 वर्षीय महिला फूलपति व 95 वर्षीय हवासिंह को सांड ने टक्कर मारकर दी। दोनों की मौत हो गई। इससे पहले 3 अप्रैल को गांव अहिरका के निकट अचानक सड़क पर गाय आने के कारण गांव अहिरका निवासी मनोज, राहुल की बाइक ट्रक की चपेट में आ गई और इसमें दोनों की मौत हो गई। पिछले सप्ताह ही हाउसिग बोर्ड में सांड आपस में टकराते हुए दरवाजों को तोड़ते हुए मकान में घुस गए थे। इस दौरान वहां सो रहे परिवार के सदस्य बाल-बाल बच गए थे। इससे पहले किनाना गांव के समीप आवारा पशुओं के कारण हुए सड़क हादसे में वकील कमल गोस्वामी की मौत हो गई थी। कई वर्ष पहले आवारा पशुओं के कारण हुए सड़क हादसे में जाट संस्था के उपप्रधान मास्टर रण सिंह की मौत हो गई थी।

वर्जन

बेसहारा पशुओं को पकड़ने का ठेका दिया हुआ है। अभियान से किसी को परेशानी ना हो, इसलिए रात को बेसहारा पशुओं को पकड़ा जाता है। लेकिन अभी ठंड ज्यादा है, जिसमें पशु पकड़ते समय चोट लगने का डर रहता है। इसलिए ठंड कम होते ही दोबारा काम शुरू कराया जाएगा। आसपास के गांवों से भी लोग गोवंश शहर में छोड़ कर चले जाते हैं।

-अशोक सैनी, सफाई निरीक्षक, नगर परिषद जींद


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