जुलाना में डूबे खेतों को देखने पहुंचे डीसी, जल्द पानी निकासी का आदेश
जुलाना तहसील के गांव पौली हथवाला किलाजफरगढ़ बराड़खेड़ा करसोला नंदगढ़ बूढ़ाखेड़ा लाठर सहित कई गांवों की हजारों एकड़ फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो चुकी है।
जागरण संवाददाता, जींद : जुलाना तहसील के गांव पौली, हथवाला, किलाजफरगढ़, बराड़खेड़ा, करसोला, नंदगढ़, बूढ़ाखेड़ा लाठर सहित कई गांवों की हजारों एकड़ फसल पानी में डूबकर बर्बाद हो चुकी है। अब इन गांवों में गेहूं की बिजाई पर भी संकट है। दो दिन पहले जागरण ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था। सोमवार को डीसी नरेश नरवाल इन गांवों में पहुंचे और खेतों से जल्द पानी निकासी का आदेश दिया।
डीसी ने स्पेशल गिरदावरी के तहत फसलों में हुए खराबे की बारीकी से जांच की। इस दौरान देवरड़, पोली, बूढ़ाखेड़ा लाठर व बराड़खेड़ा गांवों समेत अन्य क्षेत्रों का भी दौरा किया। एसडीएम दलबीर सिंह, सिचाई विभाग के अधीक्षण अभियंता राजेश बिश्नोई, सिचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता राजीव राठी मौजूद रहे। डीसी ने देवरड़ गांव के खेतों में पैदल चलकर वहां लगी 14 एकड़ की पाइप लाइन से निकाले जा रहे पानी के कार्य का निरीक्षण किया। उपस्थित अधिकारियों को निर्देश दिए कि जब तक जलभराव वाले क्षेत्र का पानी निकल न जाएं तब तक यह पंप निरंतर चलते रहने चाहिए। उन्होंने ग्रामीणों को पानी निकासी का स्थायी समाधान करने का भी आश्वासन दिया। इस दौरान ग्रामीणों की मांग पर डीसी ने देवरड़ व आसपास के क्षेत्र में टूटी सड़कों की मरम्मत के कार्य को 15 नवंबर तक पूरा करवाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने विभागों से संबंधित अधिकारियों, कर्मचारियों को निष्पक्ष व पारदर्शी तरीके से कार्य करने बारे निर्देश जारी करें ताकि आमजन को किसी भी प्रकार की असुविधा का सामना न करना पड़े। डीसी नरेश नरवाल ने इस दौरान पौली, बूढ़ा खेड़ा लाठर, बराड़ खेड़ा गांवों के खेतों में खड़े पानी का भी जायजा लिया और सिचाई विभाग के अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे पानी निकासी का समाधान जल्द करें। डीसी ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि बरसात के चलते जो सड़कें टूटी हैं, उनकी मरम्मत का कार्य 15 नवंबर तक पूरा किया जाए।
बुआना माइनर के नीचे साइफन खुलवाकर पानी निकलवाए प्रशासन
गांव बराड़खेड़ा के किसान ओम सिंह सांगवान ने कहा कि उनके गांव में लगभग 400 एकड़ में कई फुट पानी खड़ा हुआ है। बुआना माइनर के नीचे साइफन खुलवाकर इस पानी की निकासी करवाई जा सकती है। 1995 की बाढ़ के समय भी बराड़खेड़ा के खेतों का पानी बुआना माइनर में ही छोड़ा गया था। प्रशासन ने जल्द बुआना माइनर में पानी नहीं निकलवाया तो गेहूं बिजाई पर संकट आ जाएगा।