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खेतों में जलभराव होने से फसलें हुई बर्बाद, 40 फीसदी घटेगा उत्पादन

खेतों में जलभराव होने से सूखने लगी फसलें 40 फीसदी घटेगा उत्पादन

By JagranEdited By: Published: Fri, 13 Mar 2020 10:34 PM (IST)Updated: Fri, 13 Mar 2020 10:34 PM (IST)
खेतों में जलभराव होने से फसलें हुई बर्बाद, 40 फीसदी घटेगा उत्पादन
खेतों में जलभराव होने से फसलें हुई बर्बाद, 40 फीसदी घटेगा उत्पादन

जागरण संवाददाता, जींद : बेमौसमी बारिश तथा ओलावृष्टि ने किसानों की पूरे सीजन की मेहनत पर पानी फेर दिया है। खेत में खड़ी गेहूं के पौधों की जड़ गलने से फसल सूखने लगी है। इसके चलते लगभग 35 से 40 फीसद घटने की आशंका है। जुलाना, उचाना, सफीदों में बड़े स्तर पर फसलों को नुकसान हुआ है। फसलों को बचाने के लिए किसान खेतों से पानी निकालने में लगे हैं। शुक्रवार को बारिश तथा ओलावृष्टि से हुए खराबे के मुआवजे की मांग को लेकर कई गांवों के किसान एसडीएम सत्यवान मान से मिले और जल्द स्पेशल गिरदावरी करवा मुआवजे की मांग की।

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सरपंच बलबीर, रतन सिंह, सतबीर, रामधन, नरेंद्र, विजय, कर्मबीर, वेद प्रकाश, अनिल, सुभाष और प्रदीप ने कहा कि बेमौसमी बारिश के कारण जुलाना खंड में उनकी रबी की फसल पूरी तरह से नष्ट हो चुकी है। भारी बारिश से हुए नुकसान की मौके पर अधिकारियों को भेजकर जांच करवाई जाए ताकि किसानों की जो फसल बर्बाद हुई है, उसकी भरपाई हो सके। प्रभावित फसलों की स्पेशल गिरदावरी करवाई जाए और जल्द मुआवजा राशि दी जाए।

बृहस्पतिवार रात को भी कई स्थानों पर बारिश हुई। जींद में एक एमएम, जुलाना में तीन एमएम, अलेवा में छह एमएम बारिश दर्ज की गई। किसानों को चिता सता रही है कि अगर और बारिश हुई, तो अबकी बार मंडी में ले जाने की बात तो दूर, घर पर खाने के लिए भी गेहूं नहीं बचेंगे। जुलाना व पिल्लूखेड़ा ब्लॉक के गांवों में भूमिगत जल स्तर काफी ऊपर है। दो सप्ताह से रुक-रुक हो रही बारिश के कारण कई गांवों में भूमिगत जल स्तर जमीन से ऊपर आ गया है, जिससे यहां भी फसलें सूखने लगी हैं। किसान पानी उतारने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन भूमिगत जल स्तर ऊपर होने से खेत का पानी कम नहीं हो रहा। फसलों में ये नुकसान

बारिश के साथ तेज आंधी की वजह से फसलें गिर गई। गेहूं की फसल में बाली आई हुई है और दाना बन रहा है। फसल गिरने से दाना कमजोर होगा। जिससे उत्पादन कम होगा। वहीं जिस खेत में पानी भरा है, उसमें जड़ गलने की वजह से फसल सूख जाएगी। खेतों में सरसों की फसल भी लगभग पक चुकी है। लेकिन सरसों का पौधा जमीन पर गिरने से फलियों के अंदर करीब करीब पक चुके दाने इसके अंदर ही अंकुरित हो सकते हैं। जिससे उत्पादन प्रभावित होगा। किसानों की लगी रही भीड़

जलभराव व ओलावृष्टि से फसल में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कृषि विभाग कार्यालय में शुक्रवार को दिनभर आवेदन देने वाले किसानों की भीड़ लगी रही। फसल बीमा योजना के तहत 11 मार्च की रात को हुई ओलावृष्टि और जलभराव के चलते हुए नुकसान के सर्वे के लिए शनिवार शाम तक आवेदन लिए जाएंगे। आज भी बारिश के आसार

किसानों की परेशानी कम नहीं हो रही है। पश्चिमी विक्षोभ के चलते शनिवार को भी बारिश के आसार हैं। पांडू पिडारा कृषि विज्ञान केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. यशपाल मलिक ने किसानों को सलाह दी कि खेत में पानी भरा हुआ है, तो उसे निकाल दें, ताकि फसल को बचाया जा सके।


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