भारत की समृद्ध संस्कृति की तरफ बढ़ रहे दुनिया के देश : स्वामी अवधेशानंद
जागरण संवाददाता, जींद भारतीय संस्कृति में धर्म, आध्यात्म का समावेश है। इस संस्कृति को अपनाकर
जागरण संवाददाता, जींद
भारतीय संस्कृति में धर्म, आध्यात्म का समावेश है। इस संस्कृति को अपनाकर समग्र विकास के मूल मंत्र को प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय संस्कृति में जीवन जीने की कला छिपी है। यही कारण है कि आज दुनिया के विकसित देश जो भारतीय संस्कृति की तरफ आशा भरी निगाहों से देख रहे हैं। ऐसे राष्ट्र भारतीय संस्कृति को अपनाने भी लगे हैं। जूनापीठाधीश्वर स्वामी अवधेशानंद ने हिन्दू महिला कॉलेज में समृद्ध भारत सशक्त भारत विषय पर बोलते हुए यह बात कही। विवेकानंद फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि मुख्यमंत्री के निजी सचिव राजेश गोयल थे।
आचार्य महामंडलेश्वर अवधेशानंद गिरी ने कहा कि हरियाणा की धरा वैदिक संस्कृति से जुड़ी है। आत्मा अमर है, अविनाशी है। यह संदेश पूरी दुनिया में भारत से गया है। हम आध्यात्म के बल पर आत्मा को जीत सकते है। हमें मृत्यु का भय बिल्कुल भी नही सताता आत्मा शाश्वत है, अविनाशी है। पूरे विश्व को अपना कुटुंब मानने वाला भारत प्राणी मात्र से प्यार करता है। हम भारतीय भोजन को प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं और दूसरे का आतिथ्य सत्कार सर्वोपरि रहता है। भारत ऐसा देश जिसकी माटी चंदन है और इस देश का बच्चा-बच्चा राम है। उन्होंने स्वामी विवेकानंद से जुड़े एक व्यक्तव्य में कहा कि किसी ने स्वामी जी से पूछा की आप किसे भगवान मानते हैं यानि आपका भगवान कौन है? स्वामी जी का उत्तर था कि जिसे अज्ञानी लोग मनुष्य कहते हैं, वह मेरा भगवान है। मेरा परमात्मा दरिद्र नारायण में रहता है। स्वामी अवधेशानंद ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री खुद को प्रधान सेवक मानता है। इससे भारत की छवि विदेशों में मजबूत हुई है।
ये रहे उपस्थित: समारोह में विवेकानंद फाउंडेशन के प्रधान प्यारे लाल, प्रदीप कुमार, मनीष गोयल, सुमन बेदी, डॉ. ओपी पहल, अमरपाल राणा, डॉ. राज सैनी, डॉ. एके चावला, डॉ. धर्मदेव विद्यार्थी, दलशेर लोहान, नगरधीश सत्यवान ¨सह मान, श्रीचंद जैन, ओमप्रकाश ढांडा, जसमेर रजाना, रामफल शर्मा, सौरभ अनेजा, मुनीष अरोडा, सुधीर शर्मा, कुलदीप कुमार, सीयाराम पार्षद, अर्पण बंसल, जयप्रकाश वर्मा, आकाश छाबड़ा, अतुल चौहान आदि उपस्थि रहे। --भारत 21 वीं सदी में दुनिया का बनेगा सिरमौर: गोयल
विशिष्ट अतिथि के रूप में बोलते हुए मुख्यमंत्री के निजी सचिव राजेश गोयल ने कहा कि 11 सितम्बर 1893 में युवा सन्यासी ने शिकागो में व्याख्यान देकर भारतीय जन मानस का माथा उंचा किया था। इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारत की समृद्ध संस्कृति को सहेजने वाले महान पुरुषों द्वारा स्थापित किये गए आदर्शो को जिन्दा रखना है। उन्होंने भारत मां के जयघोष के साथ देश के ऐसे शहीद को नमन किया। उन्होंने कहा कि स्वामी अवधेशानंद भी उसी हाल में पिछले दिनों अपना संदेश देकर आए है। राजेश गोयल ने कहा कि आज दुनिया के वैज्ञानिकों में भारत के वैज्ञानिकों की पहचान है। कम्पयूटर व अन्य क्षेत्रों में भारत के वैज्ञानिकों का अपना स्थान है।