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प्रधान खेमे में लौटे पार्षद राममेहर व कर्मबीर मोना के खिलाफ हो सकती कार्रवाई

नगर परिषद में प्रधान और विरोधियों में शह मात का खेल जारी है। प्रधान पूनम सैनी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए 18 सितंबर को 21 पार्षदों की तरफ से डीसी डा. आदित्य दहिया को शपथ पत्र दिए गए थे। लेकिन सोमवार को बाजी उस समय पलट गई जब वार्ड 30 के पार्षद राममेहर ने डीसी के पास जाकर अपना शपथ पत्र वापस ले लिया।

By JagranEdited By: Published: Wed, 07 Oct 2020 06:34 AM (IST)Updated: Wed, 07 Oct 2020 06:34 AM (IST)
प्रधान खेमे में लौटे पार्षद राममेहर व कर्मबीर मोना के खिलाफ हो सकती कार्रवाई
प्रधान खेमे में लौटे पार्षद राममेहर व कर्मबीर मोना के खिलाफ हो सकती कार्रवाई

जागरण संवाददाता, जींद : नगर परिषद में प्रधान और विरोधियों में शह मात का खेल जारी है। प्रधान पूनम सैनी के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए 18 सितंबर को 21 पार्षदों की तरफ से डीसी डा. आदित्य दहिया को शपथ पत्र दिए गए थे। लेकिन सोमवार को बाजी उस समय पलट गई, जब वार्ड 30 के पार्षद राममेहर ने डीसी के पास जाकर अपना शपथ पत्र वापस ले लिया। जिसके चलते विरोधियों के पास दो तिहाई बहुमत नहीं रहा। पार्षद राममेहर पर नगर परिषद और दूसरे विभागों की जमीन पर कब्जा करने का आरोप है। पिछले साल किसी ने उनके खिलाफ शिकायत की थी। नगर परिषद की जांच में आरोप सही ठहराए गए हैं। वहीं वार्ड पांच के पार्षद कर्मबीर मोना पर गलत तरीके से पीएमएवाइ योजना का लाभ लेने का आरोप है। ईओ की जांच में उनके खिलाफ आरोपों को सही ठहराया गया है। कर्मबीर मोना भी प्रधान के खेमे से हैं। कुछ दिन पहले ईओ की जांच के आधार पर जिला नगर आयुक्त की तरफ से दोनों के खिलाफ कार्रवाई के लिए स्थानीय निकाय विभाग के निदेशक को रिपोर्ट भेजी गई है। हालांकि जिला नगर आयुक्त ने कार्यालय से संबंधित मामला होने की बात कहते हुए कुछ भी बताने से इंकार कर दिया। हालांकि विरोधियों को कहना है कि नियमानुसार सरकारी जमीन पर कब्जा करने वाले और पीएमएवाइ योजना का गलत तरीके से लाभ लेने पर नियमानुसार दोनों पार्षदों की सदस्यता जानी चाहिए। पार्षद प्रवीन बेनिवाल ने बताया कि नगर परिषद ने दोनों को दोषी माना है। इसलिए दोनों की सदस्यता खत्म होनी चाहिए।

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बदल सकते हैं समीकरण

अगर अविश्वास प्रस्ताव के लिए वोटिग होती है, तो प्रधान पूनम सैनी को अपनी कुर्सी बचाने के लिए एक तिहाई यानि 31 में से 11 पार्षदों का समर्थन चाहिए। वहीं विरोधियों को उन्हें प्रधान पद से हटाने के लिए दो तिहाई यानि 21 पार्षदों का समर्थन चाहिए। अभी प्रधान के पास 11 पार्षद हैं और विरोधियों के पास 20 पार्षद हैं। अगर राममेहर और कर्मबीर मोना की सदस्यता खत्म हो जाती है, तो प्रधान के पास नौ पार्षद रह जाएंगे। जबकि उन्हें बाकी 29 पार्षदों में से 10 पार्षदों की जरूरत होगी।

दबाव बनाने के लिए हो रही बदले की कार्रवाई : कर्मबीर मोना

कर्मबीर मोना ने आरोप लगाया कि उन पर दबाव बनाने के लिए बदले की कार्रवाई की जा रही है। कुछ लोग दबाव बनवा कर प्रधान की बजाय विरोधी खेमे में लाना चाहते हैं। लेकिन वे किसी दबाव में नहीं आने वाले हैं। पीएमएवाइ के नियमों को पूरा पढ़ कर ही उसने आवेदन किया है। सब कुछ नियमों के अनुसार ही किया है।

किसी जांच के बारे में जानकारी नहीं है : राममेहर

पार्षद राममेहर ने कहा कि उसने किसी जमीन पर कब्जा नहीं किया हुआ है। नगर परिषद में उनके खिलाफ अतिक्रमण से संबंधित कोई जांच चल रही है, उसके बारे में कोई जानकारी नहीं है। वे प्रधान के साथ अपनी मर्जी से गए हैं और किसी का दबाव नहीं मानेंगे।


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