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जागरण विशेष : खुद नहीं बन पाया नेशनल खिलाड़ी लेकिन बेटियों को पहुंचाया कबड्डी में अर्श पर

50 हजार रुपये की नौकरी का ऑफर ठुकरा फ्री में सीखा रहे कबड्डी और कुश्ती

By JagranEdited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 07:05 AM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 07:05 AM (IST)
जागरण विशेष : खुद नहीं बन पाया नेशनल खिलाड़ी लेकिन बेटियों को पहुंचाया कबड्डी में अर्श पर
जागरण विशेष : खुद नहीं बन पाया नेशनल खिलाड़ी लेकिन बेटियों को पहुंचाया कबड्डी में अर्श पर

सब हेडिग : 50 हजार रुपये की नौकरी का ऑफर ठुकरा, फ्री में सीखा रहे कबड्डी और कुश्ती --गांगोली के कृष्ण से प्रशिक्षित 60 से ज्यादा खिलाड़ी प्राप्त कर चुके सरकारी नौकरी फोटो- 08, 09, 10, 17 प्रदीप घोघड़ियां, जींद : कुश्ती के खेल में वह अच्छा खिलाड़ी था लेकिन खेलते समय घुटने की इंजरी के कारण उन्हें खेल से दूर होना पड़ा। वह खुद नेशनल चैंपियन नहीं बन पाया लेकिन उसने बच्चों को कबड्डी और कुश्ती की ट्रेनिग दे नेशनल चैंपियन बना दिया। हम बात कर रहे हैं गांगोली गांव के पहलवान कृष्ण की। निजी कोचिग एकेडमियों और अखाड़ों द्वारा उनके बच्चों को सीखाने के लिए कृष्ण को 50 हजार रुपये तक की नौकरी का ऑफर मिला लेकिन उसने इस ऑफर को ठुकरा गांव और आसपास के बच्चों को फ्री में कबड्डी-कुश्ती के गुर सिखाए। आचार्य बलदेव को गुरु मानने वाला गांगोली गांव का 49 वर्षीय कृष्ण 16 साल की उम्र में ही कुश्ती के दंगल में उतर गया था। आचार्य कहने पर गांगोली से धड़ौली गौशाला में आकर प्रेक्टिस करने लगा था। उसी दौरान कृष्ण को खेलते समय घुटने में चोट लगी और उनके लिगामेंट टूट गए। उन्हें कुश्ती को छोड़ना पड़ा। वह अखाड़े में आने वाले बच्चों को प्रेक्टिस करवाते थे तो किसी ने कमेंट कर कह दिया कि यह गरीब बच्चे कौन से मेडल लेकर आएंगे। यह बात कृष्ण को टीस दे गई और उन्होंने गरीब बच्चों को ही तराशने के का निर्णय लिया। जो बच्चे आर्थिक रूप से कमजोर थे लेकिन शारीरिक रूप से फिट और मेहनती थे, उनकी तैयारी शुरू करवाई। सागर, रॉबिन जैसे गरीब परिवार के बच्चों को कुश्ती में नेशनल लेवल तक पहुंचाकर उन्होंने लोगों की धारणा को गलत साबित कर दिया।

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बेटियों को पहुंचाया कबड्डी के अर्श पर

कृष्ण ने उस समय बेटियों को कबड्डी के गुर सीखाने शुरू किए थे, जब लोग बेटियों को घर से बाहर भेजने के पक्ष में नहीं थे। अभिभावकों को विश्वास में ले बेटियों को कबड्डी की प्रेक्टिस शुरू करवाई। खुद भूखे रहकर भी मेहनत कर उन्होंने गांगोली की कबड्डी टीम को पूरे देश में नंबर वन बना दिया। इसके बाद धड़ौली, भाग खेड़ा, मोरखी, आसन, सिवाहा, भिड़ताना, पिल्लूखेड़ा, कालवा, मंडी, जामनी, सरड़ा, रजाना, बेरी खेड़ा के 250 से ज्यादा बच्चे उनसे प्रशिक्षण लेने के लिए आने लगे।

50 हजार रुपये की नौकरी का ऑफर ठुकराया

गांगोली की कबड्डी टीम को राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचाने के बाद उनके पास निजी कबड्डी और कुश्ती एकेडमियों से नौकरी के ऑफर आने लगे। रोहतक के रामकरण अखाड़ा, पंजाब, भिवानी समेत जींद के भी एक बड़े खेल स्कूल ने उन्हें 50 हजार रुपये प्रतिमाह का ऑफर देते हुए उनके बच्चों को कबड्डी के गुर सीखाने के लिए कहा लेकिन कृष्ण ने उस ऑफर को ठुकरा दिया और वह आज भी बच्चों को फ्री में कुश्ती का प्रशिक्षण दे रहे हैं। 60 से ज्यादा बच्चे कर रहे सरकारी नौकरी

कृष्ण पहलवान से प्रशिक्षण लेकर गांगोली के अनूप कुमार भारत केसरी बने तो 60 से ज्यादा खिलाड़ी खेल कोटे से रेलवे, आर्मी, पुलिस, पीटीआई, डीपीई जैसे भर्ती हो सरकारी विभागों में सेवाएं दे रहे हैं। कृष्ण फिलहाल पिल्लूखेड़ा-भुरायण में बच्चों को कुश्ती के गुर सीखा रहे हैं। कृष्ण का कहना है कि उन्होंने गरीबी देखी है, इसलिए उनका मकसद है कि कोई भी गरीब परिवार का बच्चा प्रशिक्षण के अभाव में खेल न छोड़े।


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