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कोरोना की मार : मार्केट में नहीं बिक रहे फूल, मंडियों में फेंक कर जा रहे किसान

कोरोना वायरस के चलते शादी समारोह व अन्य सभी प्रकार के कार्यक्रम स्थगित हो गए हैं। जिसका सीधा असर फूलों की खेती करने वाले किसानों पर पड़ा है। फूलों की डिमांड पूरी तरह से खत्म हो गई है।

By JagranEdited By: Published: Sun, 29 Mar 2020 09:28 AM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2020 09:28 AM (IST)
कोरोना की मार : मार्केट में नहीं बिक रहे फूल, मंडियों में फेंक कर जा रहे किसान
कोरोना की मार : मार्केट में नहीं बिक रहे फूल, मंडियों में फेंक कर जा रहे किसान

जागरण संवाददाता, जींद : कोरोना वायरस के चलते शादी समारोह व अन्य सभी प्रकार के कार्यक्रम स्थगित हो गए हैं। जिसका सीधा असर फूलों की खेती करने वाले किसानों पर पड़ा है। फूलों की डिमांड पूरी तरह से खत्म हो गई है। जिसके कारण किसानों को फूल फेंकना पड़ रहा है। जींद शहर के आसपास के अमरहेड़ी व अहिरका गांव में किसान फूलों की खेती करते हैं। किसान हवा सिंह ने बताया कि इस समय शादियों का सीजन होता है और मंदिरों में भी पूजा-पाठ के दौरान गेंदा, गुलाब व दूसरे फूलों की काफी मांग होती है। यहां दिल्ली व पंजाब भी फूल जाता है। किसानों ने शादियों के सीजन व नवरात्रों के लिए फूल तुड़वाए थे। लेकिन उसके बाद लॉकडाउन हो जाने से मार्केट बंद हो गई। इसके चलते पौधों से तुड़वाए हुए फूल मजबूरी में फेंकने पड़ रहे हैं। शनिवार को कुछ किसानों ने सब्जी मंडी में पशुओं के आगे फूल डाल दिए। जिनमें दिनभर गोवंश मुंह मारते रहे। ऐसे में किसान के लिए फूलों की खेती भी घाटे का सौदा साबित हो रही है।

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प्रति एकड़ 20 हजार लागत

किसान सुखदेव ने बताया कि गेंदे की बिजाई, रोपाई व अन्य कार्याें पर करीब 20 हजार रुपये की लागत आती है। प्रति किलो फूल 40 से 42 रुपये किलो बिक जाता था। जिससे प्रति एकड़ दो लाख रुपये तक का उत्पादन होता था। वहीं गुलाब के फूल के भी अच्छे भाव मिलते थे। लेकिन इस बार लागत भी नहीं निकल पाएगी। जो फूल तोड़ लिया है, उसे फेंका जा रहा है और जो पौधे पर है, वो सूख कर खराब हो जाएगा। जिन किसानों ने 40 से 50 हजार रुपये में जमीन ठेके पर ली थी। उन पर दोहरी मार पड़ेगी।


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