तंवर की प्रधानी में जिले में कांग्रेस संगठन हुआ लचर
विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए आधे से ज्यादा हरियाणा नापकर पार्टी संगठन को सक्रिय कर चुके हैं जबकि कांग्रेस के नेता अभी सुप्त अवस्था में हैं।
कर्मपाल गिल, जींद
विधानसभा चुनाव के लिए मुख्यमंत्री जन आशीर्वाद यात्रा के जरिए आधे से ज्यादा हरियाणा नापकर पार्टी संगठन को सक्रिय कर चुके हैं, जबकि कांग्रेस के नेता अभी सुप्त अवस्था में हैं। दो दिन पहले प्रदेश में कांग्रेस संगठन में बदलाव के बावजूद जिले में कांग्रेस की गतिविधियां न के बराबर हैं। इसका बड़ा कारण यही है कि तंवर की प्रधानी में जिले में कांग्रेस संगठन बिलकुल गर्त में जा चुका है।
प्रदेश में हुड्डा सरकार के समय ही अशोक तंवर को प्रदेश कांग्रेस की कमान सौंपी गई थी। 2014 का विधानसभा चुनाव उनकी अगुआई में ही हुआ था और कांग्रेस 15 विधायकों के साथ तीसरे स्थान पर रही थी। उस हार के बावजूद प्रदेश में कांग्रेस संगठन को मजबूत करने के लिए कुछ नहीं हुआ। पिछले छह साल से कांग्रेस के जिला प्रधान सहित सभी पद खाली पड़े हैं। संगठन न बनने से जिले में कांग्रेस धीरे-धीरे कमजोर होती चली गई। अब हालत यह है कि पांचों हलकों में टिकट के दावेदार भी बहुत कम हैं। पार्टी के कार्यक्रमों में भी भीड़ नजर नहीं आती। पांच साल में एक बार भी ऐसा नहीं लगा कि कांग्रेस राजनीतिक रूप से सक्रिय है और विपक्ष की भूमिका निभा रही है। किसी भी मुद्दे पर सरकार को घेरने के लिए कोई आंदोलन नहीं हुआ। जबकि पहले ऐसा नहीं था। वर्ष 2005 के विधानसभा चुनाव में जिले की पांच में से चार सीटों पर कांग्रेस के विधायक थे। जींद से मांगेराम गुप्ता, उचाना से बीरेंद्र सिंह और नरवाना से रणदीप सुरजेवाला प्रदेश सरकार में मंत्री थे। इन तीनों मंत्रियों के कार्यकाल के दौरान जिले में विकास की गति शून्य रही, जिसका खामियाजा पार्टी आज तक भुगत रही है। आम बातचीत में भी लोग यही कहते हैं कि एक जिले से तीन मंत्री होने के बावजूद जींद में कोई काम नहीं हो पाया। इन मंत्रियों की कारगुजारी ही रही कि 2009 के बाद से कांग्रेस के लिए जींद जिले में सूखा पड़ा हुआ है।
कांग्रेस के लिए बंजर हुई जींद की जमीन
सियासी रूप से कांग्रेस के लिए उपजाऊ रही जींद की जमीन अब उसके लिए बंजर बन चुकी है। जींद विधानसभा उपचुनाव में रणदीप सुरजेवाला की करारी हार के बाद कांग्रेसी अभी तक बेहोशी की हालत में हैं। जींद व जुलाना में कांग्रेस की गतिविधियां लगभग शून्य हैं। सफीदों में कर्मवीर सैनी जरूर सक्रिय हैं और कांग्रेस को मजबूत कर रहे हैं। उचाना में बीरेंद्र सिंह के भाजपा में आने के बाद अब कांग्रेस का कोई नामलेवा नहीं रह गया है। नरवाना में भी अब भाजपा व जेजेपी ही टक्कर में हैं।