अभिभावकों को गुमराह कर दाखिले ले रहे एकेडमी संचालक
जागरण संवाददाता जींद एक ओर जहां शिक्षा एक ओर जहां शिक्षा विभाग फर्जी स्कूलों की सूची जारी कर उन पर कार्रवाई की बात कह रहा है। वहीं दूसरी ओर कोचिग के नाम पर जगह-जगह एकेडमी खुल रही हैं।
जागरण संवाददाता, जींद : एक ओर जहां शिक्षा विभाग फर्जी स्कूलों की सूची जारी कर उन पर कार्रवाई की बात कह रहा है। वहीं दूसरी ओर कोचिग के नाम पर जगह-जगह एकेडमी खुल रही हैं। जहां कक्षा एक से लेकर 12वीं तक की कक्षाएं लगती हैं। इनके पास किसी प्रकार की मान्यता नहीं है। शिक्षा विभाग की नाक नीचे ये सब चल रहा है, लेकिन इसके बावजूद इन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
जिले में जींद, जुलाना, सफीदों, नरवाना में इस तरह की 50 से ज्यादा एकेडमी खुली हुई हैं। इन एकेडमी में अभिभावकों को गुमराह करने के लिए मेरिट के आधार पर दाखिले लेने का दावा किया जाता है। इसके लिए एंट्रेंस एग्जाम भी लिया जाता है। पहली से पांचवीं कक्षा तक जहां एक बच्चे के सालाना 40 से 50 हजार रुपये लिए जाते हैं। वहीं बड़ी कक्षाओं की एक लाख रुपये तक फीस ली जाती है। एकेडमी में पढ़ने वाले बच्चों का दाखिला किसी मान्यता प्राप्त निजी स्कूल में दिखाया जाता है, जहां छात्र संख्या कम हो। छात्र संख्या कम होने के कारण ऐसे निजी स्कूल चंद पैसों के लालच में अपने यहां दाखिले कराने के लिए राजी हो जाते हैं। निजी शिक्षण संस्थान खोलने के लिए एजुकेशन सोसाइटी बनाई जाती है, जिसकी अनुमति जिला उद्योग केंद्र से लेनी होती है। जिसमें शिक्षा का काम बिजनेस नहीं हो सकता। अगर कक्षाएं लगानी हैं तो इसके लिए हरियाणा शिक्षा बोर्ड से मान्यता लेनी होगी। वहीं कोई ट्रस्ट बना कर उसके माध्यम से कोचिग दे सकते हैं। जिन बच्चों के स्कूलों में दाखिले हैं, उन्हें स्कूल समय में कोचिग नहीं दे सकते।
पंपलेट में सेना में ऑफिसर बनाने का दावा
जुलाना में एक एकेडमी ने दाखिलों के लिए पंपलेट छपवाए हुए हैं। जिसमें एंट्रेंस एग्जाम के आधार पर दाखिले कर उन्हें सेना में ऑफिसर बनाने का दावा किया गया है। पंपलेट पर छपे मोबाइल नंबर पर फोन पर बात की गई और उससे एक बच्चे का तीसरी कक्षा में दाखिला करने के लिए कहा। फोन पर सामने वाले व्यक्ति ने बताया कि वैसे तो 10 मार्च को दाखिले के लिए एंट्रेंस एग्जाम हो चुका है, लेकिन 17 तारीख को और एग्जाम होना है। उसमें अपने बच्चे को लेकर आओ।
एग्जाम के बाद बच्चे खूबी व खामियों का पता चलेगा। उसी आधार पर उसका दाखिला होगा। फीस के बारे में पूछा तो उसने 45 हजार रुपये सालाना देने के लिए कहा। जब पूछा कि एकेडमी के पास मान्यता नहीं है, तो दाखिला कैसे होगा। इस पर उस व्यक्ति ने जवाब दिया कि इस बारे में फोन पर नहीं बता सकते, इसकी भी व्यवस्था हो जाएगी।
शिक्षा का हो रहा नुकसान
स्कूल समय में कोचिग नहीं दे सकते। पांच-छह शिक्षक इकट्ठे होकर दो-तीन लाख रुपये में बिल्डिंग किराये पर लेकर एकेडमी शुरू कर देते हैं, जबकि स्कूल पर तीन से चार करोड़ का खर्च लगता है। अवैध रूप से एकेडमी खोल कर शिक्षा को प्रभावित कर रहे हैं। इससे बच्चे को एक स्कूल का वातावरण नहीं मिल पा रहा है। इसमें स्कूल भी जिम्मेदार हैं। क्योंकि एकेडमी में पढ़ने वाले बच्चे की हाजिरी तो किसी स्कूल में लग रही है। कुछ एकेडमी में तो नाइट क्लास भी शुरू कर दी गई हैं। ये शिक्षा के साथ खिलवाड़ है, जो हमारी संस्कृति और अनुशासन के खिलाफ है।
वजीर ढांडा, प्रधान, जींद प्राइवेट स्कूल संघ
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एकेडमी शिक्षा विभाग के अधीन नहीं
फर्जी स्कूलों की लिस्ट जारी करने व उन पर कार्रवाई करने के सभी बीईओ को निर्देश जारी किए गए थे। दोबारा इस संबंध में बीईओ की सोमवार को मीटिग बुलाई है। एकेडमी में कक्षाएं नहीं लगाई जा सकती। अगर किसी एकेडमी के बच्चे का निजी स्कूल दाखिला लेता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी। एकेडमी उनके अधीन नहीं आती हैं, इसलिए वे उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर हैं। एकेडमी शुरू करने के लिए मान्यता कहां से मिलती है, इसके बारे में जानकारी नहीं है। अभिभावक भी स्कूल की मान्यता देख कर ही अपने बच्चे का दाखिला कराएं।
सुनीता रूहिल, जिला शिक्षा अधिकारी, जींद