उगते सूर्य को अर्घ्य देकर लोक आस्था का पर्व छठ संपन्न
उगते सूर्य को अर्घ्य देकर लोक आस्था का छठ पर्व रविवार को संपन्न हो गया। इस पर्व को लेकर भारी तादाद में श्रद्धालुगण शनिवार सांय को ही नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर पर पहुंच गए थे।
संवाद सूत्र, सफीदों : उगते सूर्य को अर्घ्य देकर लोक आस्था का छठ पर्व रविवार को संपन्न हो गया। इस पर्व को लेकर भारी तादाद में श्रद्धालुगण शनिवार सांय को ही नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर पर पहुंच गए थे। सांय को श्रद्धालुओं ने यहां पहुंचकर पंडाल बनाकर पूजा-अर्चना की और डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया था। उसके उपरांत अपने-अपने पांडाल में रात भर यहीं रहकर भजन-कीर्तन करते छठी मईया के गीत गाए। सुबह होते ही श्रद्धालुओं ने नागक्षेत्र सरोवर में पवित्र डूबकी लगाई। पूजा-अर्चना के उपरांत उगते सूर्य को अर्घ्य देकर अपना कई दिनों से चल रहा अनुष्ठान संपन्न किया। नागक्षेत्र सरोवर पर प्रसाद वितरित करके अपने घरों को लौट गए। यहां यह उल्लेखनीय है कि सफीदों क्षेत्र में काफी तादाद में बिहार व पुर्वांचल के लोग रहते है और खासकर वहां के लोगों के लिए यह विशेष पर्व माना जाता है। नगरीय लोगों विशेषकर प्रवासी लोगों में इस पर्व को लेकर विशेष उत्साह देखने को मिला। नगरीय लोगों ने भी नागक्षेत्र सरोवर पहुंचकर प्रवासी लोगों को छठ पर्व की बधाई दी। इस मौके पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने बताया कि यह त्यौहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की छठी को मनाया जाता है। पति की दीर्घायु और संतान सुख की कामना के लिए व्रत रखा जाता है। 36 घंटे के इस निर्जला व्रत के लिए वे कई दिनों से तैयारियों में लगे हुए थे। व्रत रखकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद रविवार सुबह व्रत को संपन्न करने के लिए यहां एकत्रित हुए हैं। उन्होंने उगते हुए सूर्य को अर्घ देकर व्रत को संपन्न करके सुख समृद्धि के प्रतीक सूर्य देव की कृपा धरती के सभी जीव-जंतुओं पर बनी रहे, ऐसी कामना उन्होंने की है। इस मौके पर प्रसाद का भी वितरण किया गया। नागक्षेत्र सरोवर के घाट पर महिलाओं ने छठ मईया के गीत गाए और सूर्य उपासना के बाद घाट पर दीपावली जैसा माहौल बन गया था। छठ पूजा में व्रती महिलाएं अपने लिए छठी मइया से सूर्य जैसा प्रतापी और यश को प्राप्त करने वाली संतान की प्रार्थना करती हैं।