प्रकृति के अनुरूप त्योहारों को मनाएं : आर्य
हमारे देश की आदि काल से परंपरा रही है कि हम अपने त्योहारों को प्रकृति के अनुरूप मनाए तथा पर्यावरण को साफ सुथरा बनाएं ताकि आगामी पीढ़ी भारत की जीवन शैली एवं सर्वोच परंपराओं का अनुपालन करते हुए सही मायने में हृदय और आत्मा में प्रकाश उत्सव मनाने के लिए प्रेरित हो।
संवाद सूत्र, नरवाना : हमारे देश की आदि काल से परंपरा रही है कि हम अपने त्योहारों को प्रकृति के अनुरूप मनाए तथा पर्यावरण को साफ सुथरा बनाएं, ताकि आगामी पीढ़ी भारत की जीवन शैली एवं सर्वोच्च परंपराओं का अनुपालन करते हुए सही मायने में हृदय और आत्मा में प्रकाश उत्सव मनाने के लिए प्रेरित हो। यह बात केएम राजकीय महाविद्यालय के एसोसिएट प्रोफेसर जयपाल आर्य ने कही। उन्होंने कहा कि हम बाहर तो प्रकाश करते हैं, लेकिन हमारे अंदर अंधेरा होता है। जब तक अंदर उजियारा नहीं होगा, तब तक बाहर का प्रकाश हमें दिग्भ्रमित कर सकता है। इसलिए दीपावली को शुद्ध सात्विक तरीके से मनाने का संकल्प लें। मिट्टी के दिए में घी डालकर ही जलाएं और मोमबत्ती और लड़ियों का प्रयोग ना करें, क्योंकि लड़कियों में पोलिथिन या प्लास्टिक के अवयव टूट कर के वायुमंडल में जहर घोलते हैं। अत: हमें स्वस्थ रहने के लिए इन सबसे निजात पानी होगी।