लॉकडाउन में महंगी हुई ईटें फिर हुई सस्ती
लॉकडाउन के दौरान महंगी हुई ईटों के रेट अब फिर से डाउन हो गए हैं। छह हजार के रेट को पार कर चुकी ईंटों के रेट अब 5500 रुपये प्रति हजार पर आ गए हैं।
जागरण संवाददाता, जींद : लॉकडाउन के दौरान महंगी हुई ईटों के रेट अब फिर से डाउन हो गए हैं। छह हजार के रेट को पार कर चुकी ईंटों के रेट अब 5500 रुपये प्रति हजार पर आ गए हैं। बरसाती सीजन शुरू होने के चलते अब ईंट-भट्ठे इसी महीने बंद होने जा रहे हैं और अगले चार से पांच महीने बंद रहेंगे। बावजूद इसके फिलहाल ईंटों के रेटों में किसी तरह का उछाल नहीं है।
मार्च से पहले ईंटों के रेट सामान्य थे। लेकिन मार्च में बरसात होने और उसके बाद लॉकडाउन के कारण ईंटों के रेटों में उछाल आया और रेट 6 हजार को पार कर गया। भट्ठा संचालकों के अनुसार मार्च में बारिश से ईंटें बनाने और पकाने का काम सुचारु नहीं हो पाया था। इस कारण रेट में बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन कहीं न कहीं लॉकडाउन को भी इसकी वजह माना गया था। लॉकडाउन के कारण ईंट-भट्ठों का काम चलता रहा, लेकिन अब फिर बरसात शुरू हो गई है, इसलिए काम रुक गया है। अब भट्ठों पर काम करने वाले प्रवासी कामगार फ्री हो चुके हैं और अपने घर जाने की बाट जोह रहे हैं। जींद जिले में 25 से 30 हजार प्रवासी कामगार हैं, जो जिले के भट्ठों पर इस समय रुके हुए हैं।
भट्ठों की लेबर नहीं गई थी घर
लॉकडाउन में जब हर तरह के काम धंधों पर लॉक लग गया था तो उस दौरान जिले में जितने भी प्रवासी कामगार थे, सभी ने अपने घरों की तरफ वापसी की थी। 15 हजार से ज्यादा प्रवासी कामगार उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान में अपने गृह क्षेत्र में लौट गए थे लेकिन भट्ठों पर काम करने वाली लेबर उस दौरान घर नहीं गई थी। भट्ठा संचालकों ने उन्हें यहीं पर रखा था और खाने-पीने का सामान उपलब्ध करवाया था। इस दौरान इन्होंने ईंटों को बनाने का काम जारी भी रखा था लेकिन लॉकडाउन में ईंटों की डिमांड ही शून्य हो गई थी।
कामगारों को भिजवाए प्रशासन : प्रवीन ढिल्लों
भट्ठा एसोसिएशन के प्रधान प्रवीन ढिल्लों ने कहा कि हर भट्ठे पर सैकड़ों की संख्या में प्रवासी कामगार हैं। बरसाती सीजन के चलते अगले चार से पांच महीने ईंट-भट्ठे बंद रहेंगे। इसलिए प्रशासन इन प्रवासी कामगारों को घर भेजने का इंतजाम करे।