भाजपा आत्मविश्वास से लबरेज, कांग्रेस और जेजेपी को नए सिरे से बनानी होगी रणनीति
लोकसभा चुनाव के परिणाम ने कांग्रेस और जेजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा प्रत्याशियों को जबर्दस्त जनसमर्थन हासिल हुआ है।
कर्मपाल गिल, जींद
लोकसभा चुनाव के परिणाम ने कांग्रेस और जेजेपी की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जिले के पांचों विधानसभा क्षेत्रों से भाजपा प्रत्याशियों को जबर्दस्त जनसमर्थन हासिल हुआ है। इसका बड़ा कारण यह भी है कि पार्टी ने पिछले पांच साल में जिले में मजबूत संगठन खड़ाकर लिया है। इसी संगठन के बूते भाजपा के प्रत्याशी पूरे आत्मविश्वास से लबरेज होकर विधानसभा चुनाव के रण में कूदेंगे, जबकि प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस और जजपा को नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।
वर्ष 2014 में पहली बार खुद के बूते सत्ता में आई भाजपा ने अपना बड़ा वोटबैंक बना लिया है। जींद उपचुनाव के बाद लोकसभा चुनाव के परिणाम ने यह तस्वीर साफ कर दी है कि जिले में भाजपा का ग्राफ बढ़ गया है। संगठन के स्तर पर भी वोटर लिस्ट के पन्ना प्रमुख तक बनाकर दूसरी पार्टियों को काफी पीछे धकेल दिया है। वोटर लिस्ट के एक पन्ने पर दोनों तरफ 30-30 वोटर होते हैं। इन 60 लोगों पर एक पन्ना प्रमुख बना दिया गया है। हर बूथ पर औसतन 10 से 15 पन्ना प्रमुख बनाए गए हैं। लोकसभा चुनाव में जिले में 1005 बूथ बनाए गए थे। इस तरह भाजपा ने जिले में करीब साढ़े 12 हजार पन्ना प्रमुख बना रखे हैं। इससे ऊपर बूथ, मंडल, ब्लॉक और जिले की टीम अलग से है, जबकि कांग्रेस में तो तंवर और हुड्डा के अहम की लड़ाई में पांच साल से जिला और ब्लॉक के प्रधानों के पद भी खाली पड़े हैं। भाजपा ने संगठन का जिस तरह माइक्रो मैनेजमेंट किया है, उसके चलते आज शहर से लेकर गांवों में भगवा झंडा उठाने वालों की लाइन लग चुकी है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर और जींद में खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बावजूद इनेलो का गढ़ तोड़ने में भाजपा विफल रही थी, लेकिन अब परिस्थितियां बदल चुकी हैं। इनेलो के विधायक रहे स्व. मिढ़ा के पुत्र डॉ. कृष्ण मिढ़ा पहली बार जींद में कमल खिला चुके हैं, जबकि कांग्रेस हाशिये पर जा चुकी है, तो इनेलो खात्मे के कगार पर है। नई नवेली जजपा का प्रदर्शन भी अब काफी निराशाजनक रहा। जींद उपचुनाव में जिस तरह जजपा प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला ने पूरी सरकार का मुकाबला किया था, लोकसभा चुनाव में हालात उसके उलट दिखे। पूरे प्रदेश में हिसार सीट पर दुष्यंत चौटाला को छोड़कर जजपा का कोई भी प्रत्याशी अपनी जमानत नहीं बचा पाया। ऐसे में अब कांग्रेस और जजपा पर दबाव काफी बढ़ गया है। सितंबर-अक्टूबर में संभावित विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस और जजपा को धरातल पर काम करना होगा। संगठन को मजबूत किए बगैर दोनों पार्टियां भाजपा की मजबूत मैनेजमेंट के सामने टिक नहीं पाएंगी।
पांचों विधानसभा क्षेत्रों की सियासी तस्वीर
जींद विधानसभा
कभी इनेलो का गढ़ रही जींद विधानसभा में अब भाजपा की पैठ बन चुकी है। शहर से लेकर गांवों तक भाजपा का जनाधार बढ़ा है। उपचुनाव में डॉ. कृष्ण मिढ़ा को 12 हजार 935 मतों के अंतर से बड़ी जीत हासिल हुई थी, लेकिन चार महीने में भगवा रंग इतना गहरा गया हो कि रमेश कौशिक को जींद विधानसभा से 40,523 वोटों से जीत मिली। जेजेपी प्रत्याशी दिग्विजय चौटाला जहां उपचुनाव में 37,631 वोट मिले थे, जबकि अब उन्हें मात्र 8953 वोट मिले। कांग्रेस प्रत्याशी भूपेंद्र हुड्डा भी मात्र एक राउंड को छोड़कर 12 राउंड में दूसरे नंबर पर रहे। उन्हें मात्र 34126 वोट मिले। गांवों के राउंड में हुड्डा और दिग्विजय बुरी तरह पिछड़ते गए। विधानसभा चुनाव में भाजपा से कृष्ण मिढ़ा की टिकट पक्की है तो कांग्रेस व जेजेपी को मजबूत प्रत्याशी का चयन करने में ही कड़ी मशक्कत करनी पड़ेगी। बॉक्स..
--2019 में मिले वोट
रमेश कौशिक - 74649
भूपेंद्र हुड्डा- 33126
दिग्विजय - 8953 --2014 में मिले वोट
रमेश कौशिक - 50789
जगबीर मलिक - 16791
पदम सिंह - 29862
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सफीदों विधानसभा
भाजपा प्रत्याशी रमेश कौशिक को सोनीपत लोकसभा के नौ विधानसभा क्षेत्रों में सबसे ज्यादा सफीदों से 45125 वोटों की लीड मिली। उन्हें सफीदों से कुल 78573 वोट मिले। जबकि कांग्रेस प्रत्याशी को 33448 वोट मिल पाए। सफीदों हलके से अभी निर्दलीय विधायक जसबीर देशवाल हैं। वह विधानसभा में भाजपा का समर्थन कर रहे हैं, लेकिन विधानसभा चुनाव में भाजपा की टिकट के लिए कई प्रत्याशी लाइन में खड़े हैं। युवा कोटे से जसमेर रजाना सक्रिय हैं तो जिला अध्यक्ष अमरपाल राणा, एचपीएससी सदस्य विजयपाल एडवोकेट, कलीराम पटवारी व कांग्रेस से भाजपा में आए बचन सिंह आर्य भी दावेदार हैं। रमेश कौशिक को मिली बंपर वोटों से यह तय है कि विधानसभा चुनाव में जो भी नेता भाजपा की टिकट लेने में कामयाब हो जाएगा, उसके लिए विधानसभा तक पहुंचना काफी आसान रहेगा। बॉक्स..
--2019 में मिले वोट
रमेश कौशिक - 78573
भूपेंद्र हुड्डा- 33448
दिग्विजय - 9005 --2014 में मिले वोट
रमेश कौशिक - 47986
जगबीर मलिक - 25770
पदम सिंह - 32067 उचाना विधानसभा
लगातार 47 साल तक बांगर की चौधर करने वाले चौ. बीरेंद्र सिंह राजनीति के माहिर खिलाड़ी हैं। मोदी लहर को भांपकर उन्होंने बेटे बृजेंद्र की आइएएस की नौकरी छुड़वाकर हिसार से सियासी दंगल में उतार दिया और सीधी लोकसभा में इंट्री करा दी। उचाना हलका बीरेंद्र सिंह का गढ़ है। वर्ष 2000 और 2009 के विधानसभा चुनाव को छोड़ दिया जाए तो बीरेंद्र सिंह को हर बार जीत हासिल हुई है। पिछले चुनाव में उनकी पत्नी प्रेमलता विधायक बनी थी। अब बीरेंद्र सिंह सक्रिय राजनीति से संन्यास लेने की बात कह चुके हैं और बेटा सांसद बन चुका है। ऐसे में सियासी गलियारों में चर्चा है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा उचाना कलां से नए चेहरे को उतार सकती है। पार्टी ने अभी से उसकी तैयारी शुरू कर दी हैं और मुख्यमंत्री मनोहरलाल ने बीते दिनों नए चेहरे की भाजपा में इंट्री भी करवा दी है। बॉक्स..
--2019 में मिले वोट
बृजेंद्र - 62408
दुष्यंत - 53231
भव्य - 16490 --2014 में मिले वोट
दुष्यंत - 87243
कुलदीप - 36256
संपत - 13070 ----------------------
नरवाना विधानसभा
कभी शमशेर व रणदीप सुरजेवाला का गढ़ रहा नरवाना हलका अब उनकी पकड़ से बाहर जा चुका है। 2009 और 2014 के विधानसभा चुनाव में नरवाना से इनेलो प्रत्याशी को जीत मिली थी। यही नहीं, बीते लोकसभा चुनाव में भी नरवाना हलके से इनेलो प्रत्याशी चरणजीत रोड़ी जीते थे। अब मोदी लहर में भी सिरसा लोकसभा से भाजपा प्रत्याशी सुनीता दुग्गल ने नरवाना हलके से 51 हजार से ज्यादा मतों से जीत हासिल की है। जबकि कांग्रेस के अशोक तंवर के लिए रणदीप सुरजेवाला ने कई नुक्कड़ सभाएं की थी। ऐसे में आगामी विधानसभा चुनाव में भी यहां पहली बार कमल खिलने की तैयारी हो चुकी है। इनेलो विधायक पिरथी नंबरदार जेजेपी में आ चुके हैं। लेकिन जेजेपी व कांग्रेस को अपना संगठन खड़ा करने के लिए कड़ा संघर्ष करना पड़ेगा। पांच साल में भाजपा ने संगठन को काफी मजबूत कर लिया है। बॉक्स..
--2019 में मिले वोट
दुग्गल - 81081
तंवर - 30775
निर्मल - 19499 --2014 में मिले वोट
चरणजीत - 74773
तंवर - 31012
इंदौरा - 31012 जुलाना विधानसभा
जिले में जुलाना विधानसभा सीट को पूरी तरह ग्रामीण सीट माना जाता है। इस सीट पर लोकदल का प्रभाव ज्यादा रहा है। 1977, 1982, 1987, 1991, 2009 और 2014 में यहां से लोकदल के विधायक बने हैं। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में जुलाना से इनेलो प्रत्याशी जीते थे तो विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की जमानत जब्त हुई थी। लेकिन अब लोकसभा चुनाव में पहली बार जुलाना में भी कमल का फूल खिल गया है। ऐसे में अब भाजपा की टिकट के लिए लाइन लगने वाली है। लगातार दूसरी बार इनेलो विधायक परमेंद्र ढुल के भी भाजपा में जाने की चर्चाएं हैं। यदि भाजपा विधानसभा चुनाव में ढुल को टिकट थमाती है तो यह सीट भी पहली बार भाजपा की झोली में जा सकती है। हालांकि भाजपा के ही कई नेता टिकट के जुगाड़ में हैं। अब जुलाना में सियासी गतिविधियां काफी सक्रिय रहेंगी।
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--2019 में मिले वोट
रमेश कौशिक - 61058
भूपेंद्र हुड्डा- 47216
दिग्विजय - 9805 --2014 में मिले वोट
रमेश कौशिक - 33960
जगबीर मलिक - 23632
पदम सिंह - 41895।
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