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प्रधान पूनम सैनी की कुर्सी बचाने को आगे आई बीजेपी, एक पार्षद ने की वापसी

नगर परिषद प्रधान पूनम सैनी को पद से हटाने की कोशिशों में लगे विरोधी खेमे को सोमवार को बड़ा झटका लगा। पार्षद राममेहर ठेकेदार उनका साथ छोड़ते हुए वापस प्रधान की तरफ चले गए हैं।

By JagranEdited By: Published: Tue, 06 Oct 2020 06:38 AM (IST)Updated: Tue, 06 Oct 2020 06:38 AM (IST)
प्रधान पूनम सैनी की कुर्सी बचाने को आगे आई बीजेपी, एक पार्षद ने की वापसी
प्रधान पूनम सैनी की कुर्सी बचाने को आगे आई बीजेपी, एक पार्षद ने की वापसी

जागरण संवाददाता, जींद : नगर परिषद प्रधान पूनम सैनी को पद से हटाने की कोशिशों में लगे विरोधी खेमे को सोमवार को बड़ा झटका लगा। पार्षद राममेहर ठेकेदार उनका साथ छोड़ते हुए वापस प्रधान की तरफ चले गए हैं। 18 अक्टूबर को प्रधान के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव के लिए 21 पार्षदों के डीसी डा. आदित्य दहिया को शपथ पत्र दिए गए थे। उनमें शपथ पत्र देने वालों में राममेहर भी शामिल थे। लेकिन सोमवार को वे अपना शपथ पत्र वापस लेने के लिए पहुंचे। उनके साथ बीजेपी जिला प्रधान राजू मोर भी थे। प्रधान को कुर्सी से हटाने के लिए कुल 31 में से दो तिहाई यानि 21 पार्षदों की जरूरत है। राममेहर के पलटी मारने से अब उनके पास 20 पार्षद रह गए हैं। हालांकि विरोधी खेमे का कहना है कि इससे अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिग के लिए मीटिग पर कोई असर नहीं पड़ेगा। मीटिग में वे प्रधान के खिलाफ अपना बहुमत साबित कर देंगे।

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बरोदा उप चुनाव का मिला फायदा

प्रधान पूनम सैनी बीजेपी नेता जवाहर सैनी की पत्नी है। बीजेपी संगठन नहीं चाहता कि बरोदा उप चुनाव से पहले उनका कोई प्रधान पद से हटे। जिससे पार्टी के खिलाफ गलत मैसेज जाए। इसलिए प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकश धनखड़ ने पूनम सैनी की कुर्सी बचाने की जिम्मेदारी जिला प्रधान राजू मोर को दी है। राजू मोर सोमवार को डीसी से मिलने के साथ-साथ प्रधान पूनम सैनी के समर्थित पार्षदों से भी मिले। जवाहर सैनी बीजेपी में प्रदेश सचिव रहे हैं। सीएम का नजदीकी होने के चलते उनका पार्टी में बड़ा कद था। लेकिन विधानसभा चुनाव के बाद विधायक डा. कृष्ण मिढ़ा ने उन पर खिलाफत करने के आरोप लगाए थे। इसकी शिकायत उन्होंने पार्टी हाइकमान से की थी। जिसके बाद जवाहर सैनी को प्रदेश सचिव के पद से हटा दिया गया था।

ईओ से विवाद के बाद शुरू हुआ जोड़-तोड़

17 जुलाई को प्रधान पूनम सैनी के पति बीजेपी नेता जवाहर सैनी और पार्षद काला सैनी का ईओ डा. एसके चौहान के साथ किसी फाइल पर हस्ताक्षर करने को लेकर विवाद हुआ था। ईओ की शिकायत पर जवाहर सैनी और काला सैनी के खिलाफ सिविल लाइन थाना में मामला भी दर्ज है। इसी विवाद के बाद विरोधी पार्षदों ने पूनम सैनी को प्रधान पद से हटाने की मुहिम छेड़ दी। राममेहर समेत कई पार्षद, जो प्रधान के काफी नजदीकी थे, वे विरोधी खेमे में आ गए थे। विरोधी खेमे के पार्षद प्रवीन बेनिवाल और जिले सिंह जागलान ने दावा किया कि अविश्वास प्रस्ताव को लेकर मीटिग बुलाने के लिए दो तिहाई पार्षदों की जरूरत नहीं होती। 31 में से 12 पार्षदों के शपथ पत्र भी ये भी मीटिग बुलाई जा सकती है। मीटिग में वे प्रधान के खिलाफ अपना बहुमत साबित कर देंगे।

वर्जन

एक पार्षद अपना शपथ पत्र वापस लेने के लिए आया था। उसके शपथ पत्र लेने के बाद 20 पार्षदों के शपथ पत्र बचे हैं। जिससे प्रधान के खिलाफ दो तिहाई बहुमत नहीं बचा है। अब अविश्वास प्रस्ताव के लिए मीटिग बुलाई जा सकती है या नहीं, इसके लिए कानूनी सलाह लेकर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

:डा. आदित्य दहिया, डीसी


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