बीरेंद्र बोले : ये जो बालक नौकरी नहीं लागे, इनका जुगाड़ करो सीएम ने कहा : थारा राह काढूंगा, यूनिवर्सिटी मैं कोर्स कराऊंगा
केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह और मुख्यमंत्री मनोहरलाल जब भी मंच पर होते हैं तब दोनों के बीच रोचक जुगलबंदी बनती है। रविवार को उचाना के हलके के गांवों के दौरे पर आए सीएम के सामने बीरेंद्र सिंह ने बेरोजगार युवाओं की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये जो बालक बिना नौकरी लागे रहगे इनका भी जुगाड़ कर दो। जब सीएम बोलने लगे तो कहा कि थारा भी जुगाड़ जरूर करूंगा। थामनै यूनिवर्सिटी में कोर्स कराकै हुनर सिखावांगे। काम सीख कै नौकरी भी मिल ज्यागी अर आपणा काम भी कर सकोगे।
संवाद सूत्र, उचाना (जींद) : केंद्रीय मंत्री चौ. बीरेंद्र सिंह और मुख्यमंत्री मनोहरलाल जब भी मंच पर होते हैं, तब दोनों के बीच रोचक जुगलबंदी बनती है। रविवार को उचाना के हलके के गांवों के दौरे पर आए सीएम के सामने बीरेंद्र सिंह ने बेरोजगार युवाओं की तरफ इशारा करते हुए कहा कि ये जो बालक बिना नौकरी लागे रहगे, इनका भी जुगाड़ कर दो। जब सीएम बोलने लगे तो कहा कि थारा भी जुगाड़ जरूर करूंगा। थामनै यूनिवर्सिटी में कोर्स कराकै हुनर सिखावांगे। काम सीख कै नौकरी भी मिल ज्यागी, अर आपणा काम भी कर सकोगे।
बीरेंद्र सिंह ने अपने पैतृक डूमरखा गांव में ग्रामीण जनसभा में कहा कि होनहार को आज नौकरी से कोई रोक नहीं सकता है, लेकिन जो बिना होनहार हैं, उनके लिए भी कोई राह निकालेंगे। इस पर सीएम ने कहा कि 64 हजार लोगों ने हमारी सरकार आने के बाद नौकरी ज्वाइन की है। जो नहीं लगे हैं, उनका भी राह जरूर काढांगे। नौकरी तो उनको शायद सरकारी न मिल पाए, लेकिन उन लोगों को हुनर सिखाएंगे। कौशल यूनिवर्सिर्टी में कोर्स शुरू करेंगे। आज अच्छे काम सीख लिए जाएं, तो उनको अच्छी नौकरी मिल सकती है।
सीएम ने कहा कि प्रदेश में आठ हजार तालाब ऐसे हैं, जो ओवरफ्लो होते हैं। चार हजार तालाब ऐसे हैं, जो पानी की कमी के कारण सूख जाते हैं। उनके सुंदरीकरण के लिए अलग से बजट इस बार बनाया गया है। 10 हजार से ज्यादा आबादी वाले महाग्राम गांव में सीवर व्यवस्था बनाई जाएगी। प्रेमलता : पगड़ी तो माणसां कै सुथरी लागै सै, बीरेंद्र : विधायक भी माणस सुथरे लागैं सैं, सीएम : अगली बार आपनै देखांगे
डूमरखां कलां गांव जनसभा में जब एक महिला पगड़ी लेकर मंच पर आई और विधायक प्रेमलता को पहनाने लगी तो उन्होंने कहा कि पगड़ी तो माणसां कै आछी लागै है। बीरेंद्र सिंह मंच पर बोलने आए तो मजाकिया लहजे में कहा कि उनकी पत्नी कहती है कि पगड़ी तो माणसां कै सुथरी लागै है, फेर विधायक भी माणस सुथरे लागैं सैं। सीएम ने अपनी बारी में इस बात को आगे बढ़ाते हुए बीरेंद्र सिंह से रूबरू होते हुए कहा कि विधायक माणस सुथरे लागैं सैं तो अगली बार आपनै देखा ल्यांगे। इस बात पर जनसभा में मौजूद लोग खूब हंसे। --सीएम और बीरेंद्र बोले : म्हारे गांव राजनीतिक
केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह ने कहा कि डूमरखां कलां गांव राजनीति गांव है। 1952 से शायद कोई भी ऐसा चुनाव नहीं है, जो हमने न लड़ा हो। कुछ तो खिलाफ है बाकी सब हमारे पक्ष में है। राजनीति का मजा भी तब ही आता है, जब कुछ लोग खिलाफ हो। जो हमारे पक्ष हैं, वे ही हमारी ताकत है, उनकी वजह से ही चुनाव जीतते हैं। एक बार उनके चुनाव में उनके सामने उनका बड़ा भाई सुरेंद्रपाल एडवोकेट था। राजनीति में ऐसा चलता रहता है। आज केंद्र में अगर मंत्री हूं तो इनकी वजह से हूं। प्रेमलता जींद जिले की पहली महिला विधायक बनी हैं, जो डूमरखां कलां गांव से हैं। डूमरखा कलां और खुर्द पहले ही आदर्श गांव हैं। भाजपा ने मुझे जो मान-सम्मान दिया है उससे गांव और हलके का नाम बढ़ा है। पीएम नरेंद्र मोदी के मंत्रिमंडल में 26 मंत्री है, जिनमें सबसे अधिक उम्र का मैं हूं। समय के साथ लोगों की सोच बदली है। जो गांव हमारा विरोध करते थे, आज वो हमारे साथ आ रहे हैं। युवा अगर होनहार है तो उसको नौकरी लेने से कोई रोक नहीं सकता। सीएम ने भी अपने भाषण में कहा कि गांव में आने पर उनको अपने पैतृक गांव निदाना की याद आ जाती है। जिस तरह से बीरेंद्र सिंह का गांव डूमरखा राजनीतिक है तो उसी तरह उनका पैतृक गांव महम चौबीसी में निदाना है। वह भी राजनीतिक गांव है। प्रदेश का हर बड़ा गांव राजनीतिक गांव है। हुड्डा को डरा कर कुछ काम कराए
प्रेमलता ने कहा कि आचार संहिता के कारण कुछ घोषणा नहीं कर सकते, लेकिन गांव में कॉमन हॉल, तीनों तालाब के सुंदरीकरण और कम्युनिटी सेंटर मंजूर हुए हैं। बीते 15 साल हलके को विकास के मामले में पीछे रखा गया। इनेलो शासनकाल में चौटाला ने हलके से भेदभाव किया। कांग्रेस के 10 साल के शासनकाल में भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने विकास नहीं होने दिया। कुछ विकास अगर हुआ तो वह भी बीरेंद्र सिंह की वजह से, जो हुड्डा को डरा कर बात किया करते थे, तो कुछ काम हुए। इस मौके पर विधायक जसबीर देशवाल, डॉ. ओपी पहल, हरेंद्र डूमरखां, अमरपाल राणा, जवाहर सैणी, स?ान श्योकंद, संजीव डूमरखां, दलबीर श्योकंद, ओमप्रकाश थुआ, विजेंद्र डूमरखां, कपिल श्योकंद, नसीब दनौदा, रामनिवास दनौदा, अनूप श्योकंद, रमेश श्योकंद, रणधीर श्योकंद, बिल्लू डूमरखां, सुरेश श्योकंद, धर्मेद्र चहल, राजा बुडायन, सुरेंद्र श्योकंद, गुरनाम पालवां, श्रीकांत आदि मौजूद रहे।