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कृषि क्षेत्र को कब्जे में लेना चाहते हैं बड़े पूंजीपति: बलबीर

बदोवाल टोल प्लाजा पर चल रहा किसानों का धरना मंगलवार को भी जारी रहा जिसकी अध्यक्षता हिम्मत सिंह बदोवाल ने की।

By JagranEdited By: Published: Wed, 13 Jan 2021 09:56 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jan 2021 09:56 AM (IST)
कृषि क्षेत्र को कब्जे में लेना चाहते हैं बड़े पूंजीपति: बलबीर
कृषि क्षेत्र को कब्जे में लेना चाहते हैं बड़े पूंजीपति: बलबीर

संवाद सूत्र, नरवाना : बदोवाल टोल प्लाजा पर चल रहा किसानों का धरना मंगलवार को भी जारी रहा, जिसकी अध्यक्षता हिम्मत सिंह बदोवाल ने की। धरने में दबलैन, सुंदरपुरा, बडनपुर, उझाना, नेपेवाला, कोयल, लोन, धमतान, कालवन गांव के किसान शामिल हुए।

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किसान सभा के नेता मास्टर बलवीर सिंह ने कहा कि कोरोना बीमारी का नाजायज फायदा उठाते हुए तीन ऐसे कानून थोंप दिए गए, जिससे कृषि क्षेत्र पूरे तौर पर बड़े पूंजीपति और देशी-विदेशी कारपोरेट के कब्जे में चला जाना निश्चित है। अब तो यह भी भंडाफोड़ हो चुका है कि कानून आने से कई महीने पहले ही अडानी ग्रुप ने पानीपत के नौल्था में 100 एकड़ जमीन खरीद कर हरियाणा सरकार से बड़े अनाज भंडार बनाने की अनुमति भी ले रखी थी। इसीलिए काले कानूनों को रद करवाने के लिए पिछले 6 महीने से चल रहे आंदोलन पूरी तरह से जायज हैं। डा. प्रीतम सिंह ने कहा कि राजा को राज धर्म का पालन करना चाहिए।

इस मौके पर चांद बहादुर, शीशपाल गुलाडी, रणधीर सिंह मोर, सतबीर सिंह, कुडाराम कोयल, धर्मपाल चहल, बलराज दबलैन, होशियार सिंह, करनैल, गजेसिंह, शमशेर, सुनील गोयत, सुरजा फरैन, बसाऊ राम, जयपाल आदि उपस्थित रहे।

उचाना मंडी में कपास में भाव में तेजी, 5800 पार पहुंचे रेट

संवाद सूत्र, उचाना : कपास के भाव में निरंतर तेजी हो रही है। प्राइवेट बोली पर कपास के रेट 5800 के पार चले गए हैं। किसानों को 6 हजार रुपए प्रति क्विटल के रेट होने के आसार दिख रहे हैं। सोमवार को 5861 रुपए प्रति क्विटल तक के भाव कपास के रहे। मार्केट कमेटी में दर्ज रिकॉर्ड के अनुसार अब तक सीसीआई की सरकारी खरीद, प्राइवेट बोली पर 3 लाख 38 हजार 753 क्विटल कपास आ चुकी है। बीते साल अब तक 2 लाख 67 हजार 369 क्विटल कपास आई थी। इस बार सीसीआई द्वारा 2 लाख 64 हजार 693 क्विटल कपास खरीदी है। अब कपास के भाव बढ़ने से किसान प्राइवेट बोली पर कपास बेच रहे हैं। किसान नसीब, कर्मबीर, विकास, अमित ने कहा कि इस साल कपास के भाव सीजन की शुरुआत के दौरान 5 हजार के आस-पास के थे। सरकारी बोली पर भाव अधिक होने के चलते जिन किसानों ने पंजीकरण कपास का करवाया था, वह सरकारी बोली पर कपास बेच रहे थे। अब कपास के भाव प्राइवेट बोली पर अधिक मिल रहे हैं। जिन किसानों ने भाव बढ़ने की उम्मीद के चलते कपास नहीं बेची उनको फायदा होगा।


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